Tuesday, May 15, 2007

चमचा महात्म्य

हर दफ्तर में दो तरह के लोग होते हैं, एक जो काम करते हैं, और दूसरे जिनका प्रमोशन होता है। दोनों की स्टाइल, प्रोफाइल पर फोकस यह कव्वाली हर दफ्तर को समर्पित है।

कव्वाली की धुन-है अगर दुश्मन जमाना, गम नहीं।

पुरुष स्वर-है अगर दुश्मन दुश्मन जमाना , गम नहीं गम नहीं
बास के चमचे हम भी कम नहीं, कम नहीं

स्त्री स्वर-लो जरा अपनी खबर भी
जाओ कभी तुम दफ्तर भी
फाइल पे फाइल है पड़ी
है वहां आफत की घड़ी
पब्लिक शोर मचाती है
सर पे आकाश उठाती है
जाकर कुछ काम करो
यूं ना आराम करो
पुरुष स्वर- है अगर दुश्मन दुश्मन जमाना , गम नहीं गम नहीं
बास के चमचे हम भी कम नहीं, कम नहीं
काम हम आखिर क्यों करें
जाकर दफ्तर में क्यूं मरें
बास के घर पर तो हमें ही जाना है
बास के बच्चों को हमें खिलाना है
काम करने से भला आखिर क्या होता है
काम करने वाला आखिर में रोता है
है अगर दुश्मन दुश्मन जमाना , गम नहीं गम नहीं
बास के चमचे हम भी कम नहीं, कम नहीं

स्त्री स्वर-हाल ये अच्छा कुछ नहीं
चमचई में रखा कुछ नहीं
काम करने में है मजा
निठल्लापन तो है सजा
काम करके जो तुम ठीक दिखलाओगे
अपनी सीआर को तुम अच्छा करवाओगे
लाइफ में आगे जाओगे
नाम रोशन करवाओगे

पुरुष स्वर- है अगर दुश्मन दुश्मन जमाना , गम नहीं गम नहीं
बास के चमचे हम भी कम नहीं, कम नहीं
अरे तुझको ना कुछ कुछ पता
पर इसमें ना तेरी खता
तूने चमचागिरी को कभी परखा ही नहीं
तूने इसमें भरोसा कभी रखा ही नहीं
सीआर के चक्कर में हम ना यूं आयेंगे
बास के घर पे हम सीआर लिखवायेंगे
है अगर दुश्मन दुश्मन जमाना , गम नहीं गम नहीं
बास के चमचे हम भी कम नहीं, कम नहीं

2 comments:

Arun Arora said...

है नही गर चमचे,चमचे
तो बोस मे भी दम नही दम नही दम नही
हम तो सब्जी भी लादे
मैडम को बाजार घूमा दे
बच्चे को स्कूल से लादे
गाडी मे पंचर लगवादे
आफ़िस के काम का ~ ~आ आ
आफ़िस के काम का
हमकॊ गम नही गम नही गम नही
फ़ाईल को चाहे चूहे खाये
पब्लिक चाहे भाड मे जाये
काम है हम अब भी हम करते
आफ़िस से है ज्यादा मरते
पर अब परमोशन भी है होते
कोई मेरे ए ऐ ए ऐ
कोई मरे आफ़िस मे
पर अब हम नही हम नही हम नही
कैसी कही पुराणिक भाई "
आखिर हमने भी पंगा ले ही लिया

Udan Tashtari said...

वाह भाई, बहुत सही.

आपने चमचों से ज्यादा ऑफिस महात्म पर ध्यान जो फरमाया, ऐसा ही कुछ माह पूर्व ज्ञान बांटन हमारे द्वारा भी किया गया था. कभी मौका लगे तो नजरें इनायत करें:

http://udantashtari.blogspot.com/2006/11/blog-post_10.html