Sunday, April 7, 2013

उफ्फ, 180 सेकंड्स का वेट



आलोक पुराणिक


18-19 साल का वह बालक मेरी बाइक के पीछे बैठा था, एक व्यस्त चौराहे पर उसने हाहाकारनुमा बयान दिया-हाय पूरे 180 सेकंड्स की रेड-लाइट है ये।


हाय, 180 सेकंड्स में व्यथित हो लिया ये नया बालक। हममें से तो कई बीस-पच्चीस सालों से लाइफ की किसी एक रेड-लाइट पर ही रुके हुए हैं, पर ये बात मैंने उससे कही नहीं, ऊंची हो जाती। 180 सेकंड्स में उसने फेसबुक पर स्टेटस अपडेट कर लिया-आन ए रेडलाइट, मिसिंग यू एवरीबडी। दो-तीन पोस्ट्स को लाइक कर लिया। इतना लंबा वेट, इतना काम तो बनता था।

नयी जेनरेशन के हिसाब से समय-बोध यूं बनता है-180 सेकंड्स यानी एक युग, 120 सेकंड्स यानी लांग-टर्म, 60 सेकंड्स यानी मीडियम टर्म, 30 सेकंड्स यानी नार्मल टाइम। एक सेकंड भी युग लग उठता है, जब बालक किसी वैबसाइट कोई खास टाइप की फिल्म डाऊनलोड कर रहा हो। और पांच घंटे भी पांच सेकंड जैसे लगते हैं अगर नया बालक यूएस एंबेसी में वीसा की लाइन मे लगा हो।

हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक खुदा करे कि कयामत हो और तू आये, इस गीत का मतलब नया बालक समझ ले, तो बेहोश हो जाये। कयामत तक इंतजार, जी यहां तो  180 सेकंड्स में  मामला खल्लास हो जाता है।
मैंने नये बालक से कहा-अबे खूब होता है तुझसे इंतजार, देख सरकार महंगाई पर महंगाई बढ़ाये जाती है, इसके खिलाफ कोई आंदोलन ना करता तू। सरकार बदलने के लिए तू इंतजार करता रहता है पांच साल खत्म होने का। एक नेता ने कहा था कि जिंदा कौम पांच साल का इंतजार नहीं करतीं।

नये बालक ने कहा-हू केयर्स फार इंडियन गवर्नमेंट, पांच साल कि दस साल।
तो तू किस गवर्नमेंट को चेंज करने का इंतजार करता है-मैंने उससे पूछा।

वह बोला-मुझे क्या मतलब इंडियन गवर्नमेंट से, मुझे आस्ट्रेलिया, कनाडा या सिंगापुर में सैटल होना है। मैं तो वहां की गवर्नमेंट बदलने का इंतजार करता हूं कि कहीं वो इंडिया से वहां जाना मुश्किल ना कर दे।

हुजूर इंतजार सिर्फ एक ही भला, कनाडा सिंगापुर जाने का इंतजार।

गवर्नमेंट वो ही भली, जो बाहर आना-जाना आसान बनाये। हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक, वीसा तेरा इंतजार।
नया प्रेम-बोध यही है।

मर्डर का सिक्सर



आलोक पुराणिक
पाकिस्तान में इमरान खान नेतागिरी मचाये हुए हैं। डेमोक्रेसी में मुल्क के हालात बुरे हों, और बंदे के नसीब अच्छे हों, तो बंदा प्रधानमंत्री तक बन जाता है। बन ही नहीं जाता है, बना ही रहता है। दो टर्म्स-तीन टर्म्स, जाने कित्ती टर्म्स। बुरा ना मानो, डेमोक्रेसी है।
पाक में इमरानजी के चुनाव लड़ने पर आपत्तियां खड़ी की जा रही हैं, इस आधार पर कि वह कभी जुआ खेला करते थे।
अपरिपक्व लोकतंत्र है पाकिस्तान। इंडियन डेमोक्रेसी परिपक्व है, लोकतंत्र में सबको प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए जुआरी, डकैतों, चोरों, कमीशनबाजों सबको।
टीवी चैनल में कार्यरत मेरा एक दोस्त कहता है कि क्रिकेटरों को पालिटिक्स में अधिक से अधिक आना चाहिए, ताकि अलग-अलग शो के लिए अलग-अलग एक्सपर्ट्स बुलाने के झंझट ना रहें। अब पाक में इमरानजी पालिटिक्स, इकोनोमी, माडलिंग, बम-धमाकों, भारत-पाक नीति, स्पोर्ट्स  सब पर बोलते हैं। कोई क्रिकेटर पांच बजे आ जाये टीवी न्यूज स्टूडियो में, हर शो में एक्सपर्ट कमेंट देकर रात बारह बजे फारिग हो।
मुझे दिख रहा है कि किसी इंडियन टीवी चैनल पर कोई क्रिकेटर छिद्दूजी हर विषय पर अपनी राय यूं रख रहे हैं-
सवाल- खराब ला एंड आर्डर का क्या करें।
छिद्दूजी-राजधानी में एक  दिन में मर्डर का सिक्सर लग गया है। नया रिकार्ड बन रहा है। डाकुओं ने चौका मार दिया है, चार डाके एक ही घंटे में। पूरे देश में धमाके सेंचुरी के करीब पहुंच रहे हैं।  हमें इंतजार करना चाहिए कि क्रिमिनल्स खुद ही इनिंग डिक्लेयर करें। क्रिकेट में हर समस्या का इलाज है।
सवाल-मंदी का क्या करें।
छिद्दूजी- मंदी है। मुझे पता है कि क्रिकेटरों को गोरा करने वाली क्रीम के इश्तिहार कम मिल रहे हैं। ग्लोबलाइजेशन से मंदी दूर होगी। आईपीएल जैसे टूर्नामेंट्स से मंदी दूर होगी। हमारे यहां विदेशों से डांसर आकर आईपीएल में डांस करते हैं, इंडियन डांसर चीन, अमेरिका में जाकर डांस से कमायें। हमारी विदेश नीति का फोकस इस पर होना चाहिए कि अमेरिका और चीन में आईपीएल शुरु हो, ताकि हमारे डांसर वहां डांस कर सकें। क्रिकेट में हर समस्या का इलाज है।
समस्याओं के सोल्यूशन ना मिलें, तो कम से कम हंसी तो मिले छिद्दूजी से।

Saturday, April 6, 2013

फ्लेक्सिबल फिटनेस है जी



आलोक पुराणिक
आईपीएल मैच में कुछ प्लेयर ऐसे सरसरायमान होकर दौड़ रहे हैं कि यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि कुछ दिन पहले देश के लिए खेलने के वक्त ये अनफिट हो रखे थे।
आईपीएल के लिए फिट हैं, देश के लिए फिट नहीं हैं।

ऐसा तक हो लिया है कि बंदा आईपीएल तक के लिए फिट ना है, पर इश्तिहारों की माडलिंग के लिए एकदम फिट है टनाटन। खेंचे जाओ फोटू, दिये जाओ नोट। मैचों में जो कभी-कभार खेलता दिखता है प्लेयर, वह इश्तिहारों में 24 बाई 7 खेल मचाये हुए है।
फिटनेस अब फ्लेक्सिबल हो रही है।

एक ऐसे फ्लेक्सिबल फिट प्लेयर को डांटा मैंने, तो उसने मुझे उलट-डांटा-कुछ पता तो है ना आपको। तिहाड़ जेल में बंद हैं कई नेता, वहां कुछ काम करने को कहो उनसे,तो कहते हैं कि फिट नहीं हैं, पर मुख्यमंत्री-मंत्री बनने को एकदम फिटमफिट मानें खुद को।
मैंने प्लेयर को बताया-देखो मुख्यमंत्री और मंत्रीगिरी में कुछ खास करना नहीं होता है, उसके लिए तो मरणशैय्या पर भी फिट हैं। पर तिहाड़ जेल में बिस्कुट वगैरह बनाने के काम में तो मेहनत लगती है, इसलिए उसके लिए फिट ना हैं। नेता फ्लेक्सिबल फिटनेस दिखाये, तो समझ में आता है। पर तुम प्लेयर लोग इंडियन टीम के लिए अनफिट हो, आईपीएल के लिए फिट हो। यह बात समझ ना आती।

प्लेयर और नाराज हो गया, बोला-खबरदार जो आपने मुझे नेताओं से कंपेयर किया। सिर्फ फ्लेक्सिबल फिटनेस के आधार पर हमें नेताओं से कंपेयर ना किया जा सकता।
मैंने आगे कहा उससे-अरे फ्लेक्सिबल फिटनेस वाले नेता और प्लेयर एक और मामले में एक जैसे हैं, तुम भी तमाम आइटम बेचो, नेता भी मुल्क को बेचे डाल रहे हैं।
आईपीएल प्लेयर गोरे होने की क्रीम का इश्तिहार करते हुए बोला-ना हम तो जो भी बेचते हैं, उसके बारे में सब कुछ बता कर बेचते हैं। नेता तो बेचे ही जा रहे हैं,बता कुछ ना रहे। बताओ, एक भी सौदे के बारे में किसी नेता ने बताओ हो कुछ भी।

बात तो आईपीएल प्लेयर सही ही कह रहा है।

नेता लोग प्लीज, बोल-बता के बेचो, प्लेयरों की तरह।