Wednesday, May 23, 2007

यूं टें बोला स्पाइडरमैन


यूं टें बोला स्पाइडरमैन
आलोक पुराणिक
तो साहब जैसा कि आप सभी नहीं जानते हैं -स्पाइडरमैन हिंदी, भोजपुरी में झक्कास हिट हुआ, सो स्पाइडरमैन ने तय किया कि अपने करतब इंडिया में ही दिखायेगा। स्पाइडरमैन इंडिया में रुक गया, और भारतवर्ष के चौर्यपुरम् में बस गया और साधो फिर सुनो स्पाइडरमैन की कथा।
स्पाइडरमैन एक दिन रेस्ट कर रहा था कि मोबाइल की घंटी बजी, मिस काल आया था। स्पाइडरमैन ने सोचा शायद किसी से गलती से नंबर दब गया होगा।
फिर दोबारा मिस काल आया।
स्पाइडरमैन ने दोबारा सोचा, शायद दोबारा नंबर गलत दब गया होगा।
तीसरी बार घंटी बजी, अबकी फुलमफुल बजी-उधर से स्वर उभरा-
कै दमाग खराब हो गया सै तेरा। साडे, इत्ता ठोकूंगा कि सपाइडरीमैनगिरी भूल जाओगा। दो बेर मिस काल मारीं, पलट के फोन क्यों ना क्किया बे।
स्पाइडरमैन घबरा गया और बोला-हू यू, आप कौन हैं।
अब्बे हमें ना जाणता, हम बोड़ रै हैं तेरे बाप पांडु हवडदार इंडियन पुलिस से-उधर से परिचय आया।
जी पर आप मिस काल करके बंद क्यूं कर रहे थे, पूरी बात करने ना-स्पाइडरमैन ग़िडग़िडायमान मुद्रा में बोला।
ल्लै तू ना जाणता इधर के चलन को, हम काल नहीं करते, मिस काल करते हैं। फिर फुल काल उधर से होती है, समझ्झा कि नही। अबे ल्लै इत्ती सी बात भी ना समझता कि बात हमें करनी है, तो क्या उसके पैसे भी हम्मी खर्च करेंगे। तू पुलिस हेडक्वार्टर आ जा, यहां प्पे चोरी हो ली है-उधर से बात पूरी हुई।
स्पाइडरमैन ड्रेस टांग कर निकल लिया पुलिस हेडक्वार्टर में।
हेडक्वार्टर पर कि एक पुलिस वाला बोला-शायद चोर कुछ फाइलें लेकर ऊपर पचासवीं मंजिल की ओर गये हैं।
स्पाइडरमैन दीवार पर चढने लगा, फिसलने लगा, विकट काई। बिल्डिंग की दीवारें पचास सालों से कभी साफ ही नही हुई। स्पाइडरमैन को चिकनी अमेरिकी दीवारों पर काम करने की आदत थी, मुश्किल से स्पाइडरमैन ऊपर पहुंचा।
वहां एक चोर था, जिसके पास फाइलें थी, फाइलें एक घपले की इन्क्वायरी की थी।
चोर बोला-ले ले पचास लाख ले ले स्पाइडरमैन और मुझे छोड़ दे।
क्या यहां पचास लाख लेकर छोड़ देते हैं-स्पाइरमैन ने पूछा।
चोर ने बताया कि नहीं कम में भी छोड़ देते हैं-चोर ने बताया।
तो तुम्हे छोड़ क्यों नहीं दिया पुलिस ने, काहे को पकड रही है-स्पाइडरमैन ने कहा।
पुलिस कहां पकड रही है, तुम पकड रहे हो। तुम पचास लाख मुझसे लोगे, नीचे पुलिस तुमसे पचास लाख ले लेगी। पुलिस इधर डाइरेक्ट नहीं लेती, स्टिंग आपरेशन हो रहे हैं ना। अब पचासवीं फ्लोर पर तो स्टिंग आपरेशन नहीं ना होगा, सो यह इलाका सेफ है। इस सेफ इलाके में डील के लिए हमें भेजा गया है-चोर ने बताया।
स्पाइडरमैन गुस्सा हुआ और बोला मैं इस डिपार्टमेंट के मिनिस्टर के बात करुंगा, सब साफ कर दूंगा।
मिनिस्टर का मैं तो भतीजा हूं, उन्ही के इशारे पे तो मैं फाइलें ले जा रहा हूं। ये उनके घपले की फाइलें हैं। देखो, तुमने अगर कोआपरेट नहीं किया, तो तुम प्राबलम में आ जाओगे। पुलिस बतायेगी कि चोरी स्पाइडरमैन कर रहा था और मैं गवाह हो जाऊंगा कि चोरी तुम ही कर रहे थे। तुम्हारे पास पुलिस हेडक्वार्टर में घुसने की वजह क्या है-चोर ने पूछा।
तो तुम्हारे पास पुलिस हेडक्वार्टर में घुसने की वजह क्या है-स्पाइडरमैन ने पलट कर पूछा।
मैं चोर हूं डिक्लेयर्ड चोर, यहां चोर पुलिस से मिलता-जुलता है, तो इसे नेचुरल एक्टिविटी ही माना जाता है। मेरी वजह तो नार्मल है-चोर एकदम तार्किक बात कर रहा था।
चोर के तर्कों को सुनकर स्पाइडरमैन की समझ में आ रहा था कि ज्ञान-चिंतन के मामले में भारत को अब विकसित देश क्यों माना जाता है।
हे स्पाइडरमैन तू मुझे छोड़ वरना, अभी मिनिस्टर अंकल को बुलाकर सबके सामने तुझे अरेस्ट करवाता हूं। तुझे चोर डिक्लेयर करके इंडिया से निकलवाता हूं-चोर ने धमकाया।
स्पाइडरमैन स्तब्ध हो गया। आखों के सामने मकडी के जाले जैसा कुछ नाचने लगा। स्पाइडरमैन बेहोश होकर नीचे गिर गया।
और गिरते-गिरते उसकी समझ में यह आ गया कि इंडिया में चोर को पकडना तो आसान है, पर उसे पकडे रहना मुश्किल है। जैसे स्पाइडरमैन को समझ में आया, वैसे ही सबकी समझ में आये, बोल ..................की जय।

10 comments:

अभय तिवारी said...

सही है.. पर कल के नवभारत टाइम्स में पहले ही पढ़ लिया गया था..

Sanjeet Tripathi said...

हा हा! सही है!
वैसे हम जैसे बहुत लोग हैं जो नवभारत टाइम्स नहीं पढ़ पाते!
आभार

योगेश समदर्शी said...

अच्छा व्यंग्य है.
बधाई

परमजीत सिहँ बाली said...

आलोक पुराणिक जी,आप का व्यग्य का जवाब नहीं। बातो बातो मे सच के दर्शन करा देते है आप।

संगीता मनराल said...

नमस्कार आलोक जी, कैसे हैं| विज़ से आपके ब्लाग की जानकारी मिली| काफी मजेदार व्यंग्य है|

ePandit said...

मजेदार, वैसे वो देसी स्पाइडर मैन के भी आने की बात हो रही थी क्या हुआ इस बारे।

संजय बेंगाणी said...

यह तो एकदम सत्य घटना लगती है :)

Pramendra Pratap Singh said...

मजेदार

Udan Tashtari said...

मजेदार और करारा व्व्यंग्य. मजा आ गया, बधाई.

Rajeev (राजीव) said...

बहुत सटीक, मज़ा आ गया। तीखा व्यंग्य किया है और मकड़-मानव भी अब आया पहाड़ के नीचे।