Friday, May 18, 2007

कुछ आलसी आइडिये

कुछ आलसी आइडिये
आलोक पुराणिक
वैसे यह कहने की जरुरत नहीं है कि मैं आलसी हूं। सुधी पाठक खुद ही समझ लेंगे कि अगर कुछ और कर ही सकता यह आलसी, तो सिर्फ लिखता ही थोड़े ही बैठता।
इधर नयी तकनीक भी आलसियों के फुल सपोर्ट में हो गयी है।
रोज तमाम धरने-प्रदर्शन होते रहते हैं, और लोग उम्मीद करते हैं कि मेरा जैसा लेखक भी उनमें पहुंचेगा। पहुंचना चाहिए कि कुछ जिम्मेदारी बनती है, लेखक की समाज के प्रति। इधर मैंने कुछ नयी तरकीबें निकाली हैं, जिनमें मेरे जैसे समझदार लोग एक साथ आलस और जिम्मेदारी निभा सकते हैं। निम्नलिखित प्रस्तावों पर गौर करें-
एसएमएस सत्याग्रह
राष्ट्र व्यापी सत्याग्रह चलाना अब आसान है।
अब जैसे किसी को सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाना है कि वह ऐसा कर रही है, या वैसा कर रही है, या जैसा भी कर रही है। तो यूं हो सकता है कि एक बंदा अहमदाबाद से प्रधानमंत्री को विरोध का एसएमएस भेजे, एक बंदा कलकत्ता से भेजे, एक बंदा चेन्नई से भेजे, एक बंदा मुंबई से भेजे, एक बंदा दिल्ली से भेजे।
बाद में इन सारी गतिविधियों को राष्ट्रीय सत्याग्रह का नाम दिया जा सकता है।
तमाम मोबाइल कंपनियां इस संबंध में अपनी सेवाएं प्रदान कर सकती हैं।
बल्कि यूं भी हो सकता है कि एक मोबाइल कंपनी अपने इश्तिहार में यूं कहे-सबसे सस्ता सत्याग्रह हमारा है।
दूसरी मोबाइल कंपनी अपने इश्तिहार में कह सकती है कि छह महीने तक सत्याग्रह फ्री। एक ही नेटवर्क में सत्याग्रह करने के लिए तो हमेशा ही फ्री।
तेरा सत्याग्रह मेरे सत्याग्रह से सस्ता कैसे, टाइप नारे दिखने लगेंगे तमाम इश्तिहारों में।
वाह क्या सीन होगा। सत्याग्रह का मामला दोबारा जमने लगेगा।

आनलाइन गिरफ्तारी
बताइए इतनी गरमी है। सच्ची की गिरफ्तारी कैसे दी जाये। एक सिलसिला यूं हो सकता है कि सारे गिरफ्तारी-प्रदायक तय कर लें कि गिरफ्तारी दिन में 12 बजे दी जायेगी। सारे गिरफ्तारी-प्रदायक बारह बजे दिल्ली पुलिस या मुंबई पुलिस की वैबसाइट पर जाकर मैसेज देंगे, गिरफ्तारी दी। पुलिस अफसर मैसेज के बदले जवाब देंगे, गिरफ्तारी ली।
गिरफ्तारी की रसीद ले ली। बाद में विज्ञप्ति जारी कर दी अखबारों में कि इतनी गिरफ्तारी दे दी जी।
ना किसी को टेंशन, सब काम राजी-खुशी हो जायेगा।
नेता लोग तब यह कहेंगे जी आज तो मैंने इराक में अमेरिका के कब्जे के खिलाफ न्यूयार्क में गिरफ्तारी दे दी, यहीं से। इसलिए मुझे वोट मिलने चाहिए।
दूसरा नेता कहेगा कि महंगाई के खिलाफ मैंने दिन में बीस बार गिरफ्तारी दी। एक बार आईटीओ थाने पर, एक बार कनाट प्लेस थाने पर, एक बार ........।
हर नेता अपने बायोडेटा में कम से कम से एक लाख गिरफ्तारियों का जिक्र करेगा।
पुलिस में बेरोजगारी फैल जायेगी, एक हवलदार ही पांच लाख गिरफ्तारियों को कंप्यूटर पर क्लिक करके ले लेगा।
बल्कि इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियां खुद ही आफर करने लगेंगी कि पचास लाख की आनलाइन गिरफ्तारी का पैकेज सिर्फ एक हजार में। सरकार के विरोध में गिरफ्तारी में पचास लाख लोग आयेंगे। सरकार के पक्ष में गिरफ्तारी में भी वही पचास लाख लोग आयेंगे।
एक नया रोजगार मिलेगा इंडिया के लोगों को। एक नयी तरह की सेवा की आउटसोर्सिंग शुरु हो जायेगी। अब मान लो आस्ट्रेलिया में विपक्ष को सरकार के खिलाफ धऱना देना है। चार करोड़ लोग इंडिया से आनलाइन गिरफ्तारी दे देंगे, आस्ट्रेलिया की सरकार के खिलाफ। सरकार के नेता बेहोश हो जायेंगे, इतनी आनलाइन गिरफ्तारी देखकर, वहां की जनसंख्या कुल दो करोड़, आनलाइन गिरफ्तारी चार करोड़ की। पूरे विश्व की सरकारें हिल उठेंगी जी।

मोबाइल धरना
यह भी विकट धऱना होगा। फिजिकल धरने में तो बंदे को अपनी जगह से हिलने-डुलने नहीं दिया जाता है। मोबाइल धरने में होगा यूं कि एक तय टाइम पर बारी –बारी से कई लोग किसी अफसर, या नेता को एसएमएस पर एसएमएस करेंगे। इतने एसएमएस आयेंगे उस नेता और अफसर के मोबाइल पर कि वह कुछ और कर ही नहीं पायेगा। सिर्फ एसएमएस देखने भर का हो जायेगा। कोई काल नहीं कर पायेगा, कोई काल रिसीव नहीं कर पायेगा।
मोबाइल की घेराबंदी इस तरह से एसएमएस धऱने से कर दी जायेगी। मांग पूरी होने तक यह घेराबंदी की जा सकती है। अनवरत एसएमएसबाजी से कई मसले निपटाये जा सकते हैं।
है ना धांसू आइडिये, समझे ना, आवश्यकता नये आविष्कारों की जननी भले हो न हो, पर आलस्य कई आविष्कारों का पापा जरुर होता है।
आलोक पुराणिक एफ-1 बी-39 रामप्रस्थ गाजियाबाद -201011
मोबाइल-09810018799

7 comments:

शैलेश भारतवासी said...

आलोक जी,

उपाय तो सही में बहुत अच्छे हैं। वैसे हो सकता है, आपने इसे व्यंग्य के नज़रिए से लिखा हो, लेकिन यह पूरी तरह से कारगार है। हमलोगों ने प्रैक्टिकल किया भी है, कैसे? बताता हूँ।

जब मैं बी॰ टेक सेकेन्ड इयर में था तो कॉलेज़ मैनेज़मेंट हमारे साथ बहुत ज़्यादतियाँ करता था। चारों वर्षों के छात्रों को उन्होंने अलग-२ हॉस्टलों में रखा था ताकि कम्यूनिकेशन-गैप की वज़ह से स्ट्राइक जैसी कोई बात न बने। मगर लड़कों ने एक दिन प्लान बनाया, जूनियर-सीनियर को रातों-रात एसएमएस के ज़रिए सूचना भेजी और अगले दिन सफल हड़ताल हो गई। नेशनल हाईवे २ ज़ॉम हुआ, हमारी माँगें मानी गईं और मुफ़्त में एक हफ़्ते की छुट्टी भी मिली।

Arun Arora said...

भाई आईडिया पेटेंट करालो फ़ोरन,जो स्ट्राईक पर जायेगा रायल्टी आपको देगा,सोचॊ कल आपका नाम भारत की और फ़िर विश्व की बडी बडी मैगजीनो मे छपेगा,तेजी से बढती संपदा ,सबसे जल्दी अरबपती बनने वालो मे आपका नाम,और फ़िर आप लिखा करोगे,स्ट्राईक कराने के लिये,अहा क्या बात होगी,मै भी करोडपति बन जाउगा,भाई आप आईडिये के लिये कमीशन तो भेजा ही करोगे ना,

Vikash said...

पेटेंट तो करा ही लीजिये सर जी! बैठे बैठे लक्ष्मी आएगी तो आलस धर्म भी तो पनपेगा थोडा।

परमजीत सिहँ बाली said...

आलोक जी,कहना पड़ेगा कि आप जैसे आइडिया देने वाला हमने आज तक नही देखा था। कितनी गहरी पैठ रखते है आप । हँसी-हँसी में ऎसा कुछ कह जाते हैं कि हम सोच ने पर मजबूर हो जाते है कि आखिर आप ऎसे आइडिए ढूढं कैसे लेते हैं?वाह! भाई पढ्कर मजा आअ गया।

Srijan Shilpi said...

हमेशा की तरह धांसू आइडिया! आने वाले दिनों में इन पर अमल भी होने तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

सुनीता शानू said...

वाकई आलोक भाई बडे़ ही धांसू हो आप...क्या बडी़या आईडीया देते हो,..बैठे बिठाए इतनी सारी बातें कहाँ से लाते हो?
सुनीता(शानू)

Udan Tashtari said...

अब फ्री में आइडिया बाटोगे तो आलस तोड़ना भी चाहेंगे तो कोई काम न नजर आयेगा. भाई मेरे, पेटेंट करा लो. सालिड आइडिया है. जल्दी ही इस्तेमाल होता दिखेगा. बहुत बेहतरीन!! ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आप आलसी बनें रहें और ऐसे ही बेहतरीन लिखते रहें. :)