नेताओं की फोटोकापियां
आलोक पुराणिक
इस खाकसार के हाथ टाईम मशीन लग गयी है और वह मई, 2857 तक पहुंच गया। यानी तब पहले स्वतंत्रता संग्राम की हजारवीं वर्षगांठ मनायी जा रही होगी, अब से करीब साढे आठ सौ सालों बाद-स्पीकर का सिर टेबल पर आयेगा। और मैसेज देगा-बाकी के बाडीपार्ट्स ओवरहाल होने के लिए गये हैं, सिर्फ सिर एवेलेबल है। वही स्पीच देगा।
डीयर मेंबर्स
आज पहले स्वतंत्रता संग्राम की हजारवीं वर्षगांठ है। इस मौके पर हमें अतीत से सबक लेना चाहिए। हमें देखना चाहिए कि हम कैसा आचरण कर रहे हैं और हमारे पूर्वज सांसद कैसा आचरण करते थे। अब टेकनोलोजी बहुत प्रोग्रेस कर गयी है, बाडी के सारे पार्ट अलग -अलग इलाकों में अलग-अलग काम करने के लिए भेजी जा सकती है। पर मुझे बहुत सौरी होकर कहना पड रहा है कि ज्यादा सांसद अपने दिमाग को सांसद में भेजते नहीं है, उसे खोलकर कहीं और भेज देते हैं। वो सिर्फ पेट और जेब को ही संसद में भेज देते हैं। यह गलत है, संसद में हमारे पूर्वज ऐसा नहीं करते थे। 2007 के आसपास के रिकार्ड हमारे पास मौजूद है, सांसद लोग अपने दिमाग को भी संसद में लाते थे, और फुल इनर्जी से लडने-भिडने, बायकाट, हाय-हाय, कांय-कांय में लगाते थे। अरे संसद में ही सोते थे। संसद में दिमाग को रेस्ट देते थे, आज की तरह नहीं कि अपने दिमाग को बाहर छोड कर आयें।
मुझे शिकायत मिली है कि कई सांसद अपने दिमाग में दूसरे देशों की चिप फिट करवा कर आते हैं, इस वजह से वे इस देश के हितों के डिसीजन नहीं,बल्कि दूसरे देशों के हितों के डिसीजन लेते हैं। वो विदेशों के घोटालों पर ध्यान लगाते थे। हमारे पूर्वज ऐसा नहीं करते थे, वे सारे घपले डोमेस्टिक करते थे। चारा हो या कोलतार, सब कुछ यहीं करते थे। यही कमाते थे, यही मकान बनाते थे। यही महंगी कारें खरीदकर यहीं कईयों को रोजगार देते थे। मैं प्रार्थना करता हूं कि सारे सांसद डोमेस्टिक घोटालों पर ही ध्यान दें और उसकी रकम स्वदेश में ही खर्च करें, विदेश में नहीं। यही स्वदेश और गदर के सेनानियों के प्रति हमारी राइट श्रध्दांजलि होगी।
टेकनीक ने बहुत डेवलपमेंट कर लिया है, और अब कोई बंदा जितनी चाहे अपनी फोटोकापी करवा सकता है। यह सुविधा हमारे पूर्वजों को नहीं थी। मुझे बहुत सौरी होकर कहना पड रहा है कि एक- एक सांसद अपनी हजारों फोटोकापी करवा कर मार मचा रहा है। एक फोटो कापी कहीं चारा घोटाला कर रही है, दूसरी कहीं तेल घोटाला कर रही है, तीसरी फोटोकापी कबूतरबाजी कर रही है। पांचवीं छठी, सातवीं, आठवीं कुछ और कर रही है। यह गलत बात है, एक नेता अपनी पांच फोटोकापी ही करवाये, और अपने क्रिया-कलाप को पांच तक ही सीमित रखे। पांच फोटोकापी प्रति नेता कम नहीं हैं। ऐसी छूट हमारे पूर्वजों को नहीं थी।
एक नेता अपनी सिर्फ पांच ही कापियां करवाये, यही हमारे पूर्वजों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आलोक पुराणिक मोबाइल-09810018799
Thursday, May 17, 2007
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11 comments:
हा हा हा....सही है.
बहुत गंभीर समस्या का जिक्र किया है स्पीकर जी आप ने हमे सोचना होगा कि हम जो कर रहे है क्या वो सही है लेकिन मुझे खेद के साथ कहना पडता है की स्पीकर जी अगर मै आपके ५ वाले सुझाव पर अमल करुगा तो सबसे पहले आप स्पीकर नही रह पायेगे और न मै प्रधान मंत्री आप को पता है ११७० सांसदो मे से ४७५ मेरे फ़ोटो कापी ही हैऔर १७५ आपके
कृपया सोच समझ कर सुझाव दिया करे
अरे और ये बन्दा कौन है,कहा से घुस आया इसे फ़ोरन २५००० साल पहले भेज दिया जाये
बातो-बातो मे ्सच को क्या खूब लिखते है आप।बधाई।
बहुत खूब लिखा आपने।
धारदार व्यंग।
जबरदस्त लिखा है भाई।
मजा आ गया।
तकनीक का विस्तार थोड़ा और ज्यादा करिए, इसका अगला भाग लिखिए। मतदाता के पास भी तो तकनीक होगी। आनलाइन वोटिंग वाली। और गूगल को मत भूलिएगा, एक वही धर्म "गूग्लिज्म" बचेगा, अगले सौ सालों मे।
आपके ब्लॉग के साइड बार मे आपने नारद का लिंक नही दिया है, उसे प्रदान करें। किसी भी प्रकार की सहायता के लिए यहाँ देखें।
सच मे बढि़या लगा, आपके प्रपंचतंत्र काफी अच्छे लगते थे। बधाई
वाह साहब, आनन्द ला दिया. बहुत खूब!!! बधाई, आप लिखते रहें और हम पढ़ते रहें.
बहुत खूब आलोक जी
वाह-वाह!आखिर कब तक। आलोक जी बेहतरीन पेशकश रहती है आपकी,..इतना जोरदार कटाक्ष भी है और सच भी।
धन्यवाद।
आपके अगले चिट्ठे का इन्तजार रहेगा।
सुनीता(शानू)
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