लव लैटर उर्फ कीड़ा
आलोक पुराणिक
सच्चे प्रेमियों के साथ होने वाली धोखाधड़ी का यह पहला उदाहरण नहीं था।
अपने कंप्यूटर के ई-मेल बाक्स में जिसे मैं लव –लैटर समझ रहा था, वह दरअसल कीड़ा निकला, कंप्यूटर कीड़ा। मेरे कंप्यूटर की सारी फाइलों को वह लव-लैटर ऐसे चौपट कर गया, मानो किसी लड़की के पहलवान भाईयों ने अपनी बहन के अवांछित प्रेमी की ठुकाई की हो।
इधर कंप्यूटर के कीड़ों के ऐसे-ऐसे नाम हो गये हैं कि संवेदनशील बंदा तो धोखा खा जाये। अब बताइए लव-लैटर नाम का मैसेज ई-मेल में आया हो, तो कौन मनहूस होगा, जो उसे नहीं खोलेगा। और जो खोलेगा, वो.........।
गालिब होते तो कुछ यूं कहते-
किया जो इश्क तो आशिक की गली में बखेड़ा निकला
था जो ऊपर से लव-लैटर, कंप्यूटर का कीड़ा निकला
हुई यूं खत्म जमा कंप्यूटर की सारी फाइल्स
बाद मरने के ना खत एक भी हसीनों का निकला
बड़े पेचीदा मामले हैं साहब।
कंप्यूटर की फाइलों में सुरक्षित हसीनों के सारे खत एक ही झटके में तबाह। लव-लैटर से तबाह होने के बाद मैंने तमाम प्रेमियों को सलाह दी है कि ई-मेल से प्राप्त पत्र का प्रिंट आउट निकाल कर उसकी हार्ड कापी अपने पास रख लो। ताकि सनद रहे और वक्त-जरुरत काम आये। वरना अगला या अगली कह दे, जी आप कौन-खामखा।
पुराने टाइप की फिल्मों में एक सीन यह होता था-कोई कन्या विलेन टाइप बंदे के आगे गिड़गिड़ा रही है, मेरी शादी कहीं और हो रही है, मेरे लव-लैटर वापस कर दो।
विलेन टाइप बंदा कह रहा है-नहीं, नहीं।
अब आधुनिक कन्या यह नहीं करेगी। वो फाइनल प्रेम-पत्र लिखेगी और उसमें अटैच करेगी वायरस-लव लैटर। और फिर.....................।
इधर कंप्यूटर वायरस पर रिसर्च की है, तो पता लगा है कि कैसे-कैसे कातिल नाम हैं, कीड़ों के- हैप्पी 99, माई लाईफ, प्रैटी पार्क, याहा, बैकडोर एजेंट, बडी लिस्ट, एक कंप्यूटर वायरस का नाम तो पाप स्टार एवरील लेविग्ने के नाम पर है।
प्रैटी पार्क कंप्यूटर वायरस आपके कंप्यूटर में पार्क सारी फाइलों को प्रैटी नहीं बनाता है, उनकी ऐसी-तैसी करता है।
बैकडोर एजेंट नामक कंप्यूटर वायरस चुपके से नहीं, फुलमफुल धुआंधारी से आपके कंप्यूटर में घुसता है और खुलेआम सारी फाइलों पर कब्जा करके बैठ जाता है।
इन कीड़ों के नाम और इनके काम देखकर मुझे कुछ और याद आ रहा है।
एक अफसर,जिनका नाम नगर विकास अधिकारी हुआ करता था, बाद में नगर के सारे पार्कों पर बिल्डरों का कब्जा करवाने के दोषी पाये गये। एक सज्जन, जिनका नाम थानेदार हुआ करता था, वह अपने इलाके में चरस की दुकान चलाते पाये गये।
सुंदर नामों वाले खतरनाक कीड़े सिर्फ कंप्यूटर में ही नहीं होते। उसके बाहर भी होते हैं।
इधऱ मैं सोच रहा हूं कि सारे कीड़ों के नाम विदेशी ही क्यों हों, कुछ नाम भारतीय भी तो हों। इधर कंप्यूटर में एक वायरस आता है-सेसर, यह अच्छे-भले चलते इंटरनेट को बंद कर देता है, पूरे कंप्यूटर को बंद कर देता है, फिर कुछ समय बाद कंप्यूटर को दोबारा स्टार्ट करता है। कई बार यह हर पांच मिनट में ऐसा करता है, कई बार यह हर दो मिनट में ही ऐसा करता है।
इस वायरस का नाम रखना चाहिए –इंडिबा यानी इंडियन बाबू। सरकारी दफ्तरों में काम करने वाला ऐसा बाबू, जो हर पांच मिनट पर चाय पीने के लिए अपना काम बंद करता है। चाय पीने के बाद फिर अपना काम दोबारा स्टार्ट करता है। कभी-कभी वह ऐसा हर दो मिनट बाद भी करता है।
एक वायरस कंप्यूटर में आता है, जिसके चलते कंप्यूटर स्टार्ट होकर पहली ही स्क्रीन पर अटक जाता है, उससे आगे नहीं जाता है। ऐसा अटकता है, ऐसा अटकता है, जैसे पुराने टाइप का आशिक, जो किसी भी हालत में टलता ही नहीं है। इस वायरस का नाम होना चाहिए-पुटाल। यानी पुराने टाइप का लवर, जो टलता नहीं है। नये टाइप के लवर इस तरह की हठधर्मिता नहीं दिखाते। बराबर नये-नये मौकों के लिए ट्राई मारते रहते हैं।
आलोक पुराणिक एफ-1 बी-39 रामप्रस्थ गाजियाबाद -201011 मोबाइल-9810018799
Wednesday, May 16, 2007
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9 comments:
आलोक जी अभी तक आपके चिट्ठे पर ध्यान नही दिया,...बहुत ही अच्छा लिखते है बात भी पते की कहते है और हँसाते भी जाते है,...
धन्यवाद!
सुनीता(शानू)
अरे जनाब आप की रिसर्च तो धाँसू है...लेकिन अब आप आई टी में भी घुसियेगा तो हमें कौन पूछेगा....अब हमें भी एक कीड़ा बनाने की सोच रहे हैं..पहले पहल आप को ही भेजेंगे.
आलोक पुराणिक जी, आप ने बहुत अमुल्य जानकारी दी है। इन कीड़ों (वायरस) का पाला कभी ना कभी सभी से पड़ता है।आप के लेख को पढ्कर सभी सावधानी बरतेगें।अच्छी जानकारी व अच्छे लेखन के लिए बधाई।
कीड़े के कारनामे जानकर दुख हुआ । अच्छा लिखा है आपने ।
घुघूती बासूती
हुजुर बढ़िया लिखा है इन कीड़ों के बारे मे, जरा अब लोगो के दिमागी कीड़े के बारे में भी कुछ हो जाए
इतने प्यार के साथ आया गर गरियाता हुआ आता तो भी तो बतियाते भाई काहे नारज हो रहे हो काकेश भाई से सुरक्षा कबच ले लो फ़िर ये दिक्कते कम आयेगी
और आपने कहां से खोज लिया मुझे। एक शहर में रहते हुए भी नेट से संपर्क स्थापित हो रहा है यह क्या कम आश्चर्य है।
09312440606
कमप्यूटर का कीड़ा तो समझ में आया और वो तो ठीक भी हो जायेगा मगर यह आपको क्या हुआ:
किया जो इश्क तो आशिक की गली में बखेड़ा निकला
था जो ऊपर से लव-लैटर, कंप्यूटर का कीड़ा निकला
हुई यूं खत्म जमा कंप्यूटर की सारी फाइल्स
बाद मरने के ना खत एक भी हसीनों का निकला
--यह शेर शायरी का कीड़ा ?? इसका तो कोई इलाज भी नहीं है, बंधु. आप तो गये काम से. :)
भाई श्री अन्त में फोन नम्बर किस किड़े के लिए रख छोड़ा है, ऐसा परेशान करेगा की.....
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