Sunday, May 13, 2007

1857 और चालू चैनल-मंगल पांडे, कांटेपररी लुक लाइए ना

1857 और चालू चैनल-मंगल पांडे, कांटेपररी लुक में आइये ना
दो इंतजार में उर्फ आठ लाख की मोटरसाइकिल
आलोक पुराणिक
चालू चैनल परेशान हैं, 1857 को डेंढ सौ साल हो लिये हैं। साक्षात् बहादुरशाह जफर, मंगल पांडे खुद आये हैं ऊपर से इस मौके पर कुछ बताने।
चालू चैनल परेशान यूं है कि मामला अपमार्केट जमाना है। मंगल पांडे देसी मजबूत आदमी, आंखों में जोश। बहादुरशाह जफर शायर- चैनल वाले परेशान हैं, इन्हे कैसे सैट करें। क्या सैट बनायें।
प्रोग्राम जमाने के लिए स्पांसर जमाना जरुरी है। स्पांसर जमाने के लिए अपमार्केट जमाना जरुरी है।
बाई दि वे आप कुछ अपमार्केट ड्रेस में नहीं हो सकते क्या-एक प्रोड्यूसर मंगल पांडे से पूछ रहा है।
आपका आशय क्या है-मंगल पांडे पूछ रहे हैं।
देखिये आपको थोंडा कंटेपररी लुक देना जरुरी है। फिर आपको पता नहीं, मंगल पांडे से बंडी अलग तरह की एक्सपेक्टेशन्स हो गयी हैं। मतलब जैसे कि आमिर खान जब से मंगल पांडे बने हैं, तब से मामला यह हो गया है कि कोल्ड ड्रिंक बेचने का हुनर तो मंगल पांडे में जरुरी है-प्रोड्यूसर कह रहा है।
कोल्ड ड्रिंक से आपका आशय क्या है-मंगल पांडे फिर पूछ रहे हैं।
ओफ्फो, आपको तो कुछ पता ही नहीं है- प्रोड्यूसर झल्ला रहा है।
ओ. के. जफर साहब क्या यह पासिबल है कि आपने जो शेर कहे हैं, उनमें कुछ अंगरेजी शब्द मिला लें, अप मार्केट हो जायेगा। इतना एडजस्टमेंट तो करना पंडेगा-प्रोड्यूसर बहादुरशाह जफर से कह रहा है।
जफर साहब नाराज हैं-मैंने अंगरेजों से एडजस्टमेंट नहीं किया, अंगरेजी से एडजस्टमेंट क्यों करुंगा।
देखिये, फिर हम यूं करेंगे कि मंगल पांडे और आपको रीयल में नहीं लेंगे, हम आपकी जगह कुछ और लोगों को मंगल पांडे और बहादुर शाह जफंर बना देंगे, इसे हम नाटय रुपातंरण कहते हैं- प्रोड्यूसर समझा रहा है।
मंगल पांडे और बहादुरशाह जफर स्टूडियो के कोने में बैठा दिये गये हैं।
कुछ अपमार्केट बंदे लाये गये हैं, एक मंगल पांडे हो गये हैं, दूसरे जफर।
चालू चैनल का पोग्राम शुरु हो गया है-फ्रीडम एड न्यू हाइट, 1857 की फ्रीडम फाइट।
एंकर-हां तो मंगल पांडेजी बताइए। आपने कैसे किया, क्या किया।
मंगल पांडे का माडल-जी मैंने वही किया, जो आपने मंगल पांडे फिल्म में किया। बस थोंडा सा फर्क यह है कि फिल्म वाले मंगल पांडे को यादा पैसे दिये गये होंगे, मुझे तो बहुत कम पैसे में सैट कर लिया गया है।
(प्रोड्यूसर एंकर को डांटता है, कुछ इंटरेस्टिंग एक्शन की बात करो ना )
एंकर- तो बताइए मंगल पांडेजी जो आपने किया, उसके पीछे क्या था। कैसे आपने वह सब कर दिया। जरा बताइए।
बीच में कमर्शियल ब्रेक कूद लेता है-
हर सिचुएशन के लिए हाजिर है सर, अलां-फलां कोल्ड ड्रिंक की पावर।
मंगल पांडे का माडल-जी मैं क्या बताऊं। आपने कमर्शियल ब्रेक में बता दिया है।
ओरिजिनल मंगल पांडे स्टूडियो में गुस्सा हो रहे हैं। एक असिस्टेंट प्र्रोडयूसर उन्हे कोल्ड ड्रिंक आफर कर रहा है। मंगल पांडे और गुस्सा हो रहे हैं।
एंकर-जफर सर आप रंगून क्यों गये, रंगून तो बहुत बोरिंग प्लेस है। आप कहीं और क्यों नहीं गये, जैसे पेरिस, जैसे न्यूयार्क।
जफर का माडल-जी मेरे हाथ में कहां था जाना, अपनी मर्जी कहां चलती है।
कमर्शियल ब्रेक फिर कूद लेता है-अपनी मर्जी पर चलिये, सबको चलाइए, हर चीज के लिए हमसे लोन ले जाइए। चौबीस घंटे लोन उपलब्ध, गिव मी मनी बैंक।
एंकर-ओह, क्या उस टाइम इस तरह से लोन देने वाले बैंक नहीं थे, जो आप अपनी मर्जी से न्यूयार्क या पेरिस नहीं जा सकते थे।
ओरिजनल बहादुरशाह जफर स्टूडियो में गुस्सा हो रहे हैं। उन्हे एक एक्जीक्यूटिव टाइप बंदा कह रहा है-सर नाराज न हों, हम आपको बहुत ही कंसेशनल रेट वाला लोन देंगे। प्लीज कोआपरेशन कीजिये।
एंकर- ओके बहादुरशाह जफर साहब प्लीज वो वाला शेर सुनाइए, जो बहुत हिट था।
जफर का माडल-उम्र-ए-दराज मांग कर लाये थे चार दिन,
दो आरजू में कट गये, दो इंतजार में
एंकर-सर इसका हिंदी में ट्रांसलेशन कर दीजिये।
जफर का माडल -ओ. के. इसे हिंदी में यूं कहेंगे कि टू डेज तो विश में कट गये, टू वेटिंग में।
एक और कमर्शियल ब्रेक कूद लेता है-नो वेटिंग इंस्टैंट डिलीवरी, अलां -फलां पिजा।
एक और कमर्शियल ब्रेक कूदता है-वेट करना पंडता है, अच्छी चीजों के लिए वेट करना पंडता है। आठ लाख रुपये देकर इंपोटर्ेड मोटरसाइकिल बुक कराइए। पांच साल बाद नंबर आयेगा।
एंकर-जफर साहब क्या आपने अपना शेर इस मोटरसाइकिल कंपनी के लिए लिखा था कि कुछ सालों तक तो तक इसकी आरजू करो, फिर कई सालों तक इसका इंतजार करो।
जफंर का माडल मुस्कुराता है।
ओरिजिनल जफर और ओरिजनल मंगल पांडे स्टूडियो में बहुत गुस्सा हो रहे हैं।
चैनल वालों ने उन्हे मिलकर स्टूडियो से बाहर निकाल दिया है।
1857 शो हिट हो लिया है।
आलोक पुराणिक एफ-1 बी-39 रामप्रस्थ गाजियाबाद-201011
मोबाइल-09810018799

6 comments:

Arun Arora said...

काहे आलोक भाई जे टी वी चैनल वालेन के पीछेई पर गये हो सवेरे सवेरे धौ डाला वो भी कूट कूट के
देखो जे देश वेश से नेताओ और पत्रकारो या चैनलो का कोई लेना देना नही है सब अपना अपना धन्धा कर रहे है अब देश के लोगो ने गलतफ़हमी पाल लई तौ इनका क्या कसूर

Udan Tashtari said...

;) सही है भाई!! लगे रहें.

संजय बेंगाणी said...

बीच बीच में कोमर्शियल कमाल का फिट किये हैं. :)

Sanjeet Tripathi said...

भैया मन्ने तो लागे है कि कामर्शियल विज्ञापन वालो से सेटिंग कर ली आपने तभी बीच बीच में फ़िटै कर दिये हो।
मस्त लिखा है आपने।
इन चैनलों का बस चले तो सच में यही कर डालें

Laxmi said...

बहुत बढ़िया लिखा है, मज़ा आगया। यही सच्चाई है।

अभिनव said...

जय हो आलोक भाईसाहब,
बढिया लेख।