Saturday, May 12, 2007

1857-मेरठ से दिल्ली वाया पटना

1857-मेरठ से दिल्ली वाया पटना
आलोक पुराणिक
निम्नलिखित लेख कक्षा सात के उस छात्र की कापी से लिया गया है, जिसे यथार्थवादी हिंदी निबंध प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार मिला है-
गदर यानी 1857 का हमारे सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में बहुत महत्व है। जैसा कि हम जानते हैं कि गदर पर एक फिल्म बन चुकी है, जिसमें सन्नी देओल ने बहुत धांसू एक्शन किया था। इस फिल्म को देखकर ही हमें पता चला कि गदर तो बहुत मजेदार होता था। 1942 के बारे भी हमें ऐसे ही पता चला था, जब एक डाइरेक्टर ने फिल्म बनायी थी 1942- एक लव स्टोरी। 1857 पर कोई लव स्टोरी टाइप कुछ बनायेगा, तो हमें 1857 के बारे में और भी बहुत कुछ समझ में आयेगा।
हमें पता चला कि इस दिन की याद में सरकार ने ऐसे जुगाड किये, जिसमें मेरठ से दिल्ली तक लोग चलकर पहुंचे। केंद्रीय सचिवालय में काम करने वाले मेरे चाचाजी कहते हैं, सारे सरकारी कर्मचारियों को भी इस जश्न में भागीदार बनाया जाना चाहिए। यह किया जाना चाहिए था कि मेरठ से जिस रास्ते में क्रांतिकारी चलकर दिल्ली आये थे, उस रुट का टीए डीए सरकार सारे सरकारी कर्मचारियों को दिलवा देती। यह भी क्रांति के खाते में डाल दिया जाता। 1857 तब सरकारी कर्मचारियों के लिए जोरदारी से मनता। वैसे मेरे अंकल का कहना है कि अनलिमिटेड टीए डीए का इंतजाम होना हो, तो फिर सारे सरकारी कर्मचारी मेरठ से दिल्ली वाया चेन्नई और अंडमान निकोबार आते।
किसी ने रेलवे मंत्रालय के किसी अफसर को सुझाव दिया कि बेहतर होता अगर इस मौके पर रेल गदर एक्सप्रेस चलाये। इस पर उस पर अफसर ने आफ दि रिकार्ड बताया कि मेरठ से लेकर दिल्ली तक के रुट पर गदर एक्सप्रेस चलानी हो तो भी लालूजी उसे वाया पटना ले आयेंगे। और करुणानिधि वीटो लगा देंगे कि मेरठ से दिल्ली का रास्ता अगर वाया चेन्नई नहीं निकाला, तो सपोर्ट वापस ले लेंगे। और लेफ्ट वाले पुरानी धमकी देंगे कि अगर मेरठ से दिल्ली का रास्ता वाया कलकत्ता नहीं निकाला, तो हम सपोर्ट वापस नहीं लेंगे, और कांग्रेस नेताओं को टेंशन में डाले रहेंगे।
तो इस तरह से हम देख सकते हैं कि गदर का भारी राजनीतिक महत्व है। इसके अलावा, हमने देखा कि इसका भारी आर्थिक महत्व भी है। कई शोध परियोजनाएं इस पर चली हैं, और एकाध इतिहासकार नहीं, बल्कि इतिहासकारों की कई पीढियां इस पर पली हैं। इतिहास के अलावा अन्य विषयों वाले गदर से कैसे खा-पी सकते हैं, इस पर शोध होना अभी बाकी है।

आलोक पुराणिक एफ-१ बी-३९ रामप्रस्थ गाजियाबाद-201011 मोबाइल -09810018799

5 comments:

विजेंद्र एस विज said...

वाह..आलोक जी..वाह..बढिया...स्वागत है ब्लाग मुहल्ले मे..अरसा हुआ आपसे मिले हुए..उम्मीद है कुशल होंगे..हम दोनो मजे मे हैँ..कब आपके दर्शन होंगे??..

Arun Arora said...

भाई हमार तो एक ही राय थी कि मेरठ से दिल्ली यात्रा मे मल्लिका शेरावत और विपाशा को बुला लेते कसम से अहा हा "मेरठ से दिल्ली यात्रा और काग्रेसियो का गदर" पर आपका आलेख भी आ जाता और पुनरावत्ती भी हो जाती मोदी नगर,मुरादनगर,गाजियाबाद वाले भी जान लेते गदर कहते किसे है

ePandit said...

हम बहुत होनहार छात्र मालूम पड़ता है, आगे जाकर जरुर देश का महान नेता बनेगा। :)

Udan Tashtari said...

बालक का नाम पता पार्टी कार्यालय में पहुँचाया जाये, अगले चुनाव में इनसे काफी उम्मीदें है.

Pankaj Vishesh said...

अति उत्‍तम

खूब गदर काटा आपने