सवाल-महिलाओं के लिए फेयर एंड लवली क्रीम थी पर पुरुषों के लिए फेयर एंड हैंडसम क्रीम आयी है। क्या पुरुषों को लवली नहीं होना चाहिए। उनका काम सिर्फ हैंडसम होने से चल जाता है क्यों।
जवाब- हैंडसम का मतलब है हैंड में सम यानी रकम, तब ही पुरुष का मामला जमता है। उनका काम सिर्फ लवली होने से नहीं चलता। वैसे अब तो महिलाओं का भी हैंडसम होना जरुरी है। सिर्फ लवली के बाजार भाव बहुत डाऊन हैं।
सवाल-जो पुरुष फेयर एंड हैंडसम नहीं लगाते, वे क्या हैंडसम नहीं होते।
जवाब-नहीं चुपके से लगाते होंगे। बताते नहीं है, क्या पता बाद में बतायें। जैसे बरसों तक अमिताभ बच्चन की शानदार एक्टिंग देख कर सब समझते रहे कि अमिताभजी की मेहनत-समर्पण इसके पीछे है। पर उन्होने अब जाकर बताया कि वो वाला तेल, ये वाली क्रीम, ये वाला कोल्ड ड्रिंक, वो वाला च्यवनप्राश इसके लिए जिम्मेदार हैं। असली बात लोग बाद में बताते हैं जी।
सवाल-पुरुष हैंडसम हो जाये, तो क्या होता है।
जवाब-बेटा क्लियर है, ज्यादा कन्याएं उसकी ओर आकर्षित होती हैं।
सवाल-क्या पुरुष के जीवन का एकमात्र लक्ष्य यही है कि कन्याएं उसकी ओर आकर्षित हों।
जवाब-नहीं इमरान हाशमी की तमाम फिल्में देखकर पता लगता है कि पुरुषों का लक्ष्य दूसरों की पत्नियों, विवाहिताओं को आकर्षित करना भी होता है।
सवाल-मैं अगर फेयर एंड हैंडसम लगाऊं और फिर भी सुंदरियां आकर्षित न हों, तो क्या मैं कंपनी पर दावा ठोंक सकता हूं।
जवाब-नहीं, तमाम इश्तिहारों के विश्लेषण से साफ होता है कि सुंदरियां सिर्फ क्रीम लगाने भर से आकर्षित नहीं होतीं। इसके लिए वह वाला टायर भी लगाना पड़ता है। इसके लिए वो वाली बीड़ी भी पीनी पड़ती है। इसके लिए वो वाली सिगरेट भी पीने पड़ती है। इसके लिए वो वाली खैनी भी खानी पड़ती है। इसके लिए वो वाला टूथपेस्ट भी यूज करना पड़ता है। इसके लिए वो वाला कोल्ड ड्रिंक भी पीना पड़ता है।
सवाल-बंदा इसी सब में सुबह से शाम तक बिजी हो जायेगा, तो फिर वह और काम क्या करेगा।
जवाब-हां,यह सब इश्तिहारों में नहीं बताया जाता कि सुंदरियों को आकर्षित करना पार्ट-टाइम नहीं फुल टाइम एक्टिविटी है।
सवाल-तमाम इश्तिहार पुरुषों से आह्वान करते हैं कि वे ये खरीद कर या वो खऱीद कर सुंदरियों को आकर्षित करें, पर सुंदरियों से यह आह्वान नहीं किया जाता कि वे ये वाला टायर खरीदकर या वो वाली सिगरेट पीकर या बीड़ी पीकर या टूथपेस्ट यूज करके पुरुषों को आकर्षित करें। इसका क्या मतलब है।
जवाब – इसका यह मतलब है कि इस देश की महिलाएं सहज और स्वाभाविक रुप से आकर्षक हैं, पर ऐसा पुरुषों के बारे में नहीं कहा जा सकता। सो महिलाओँ को आकर्षित करने के लिए उन्हे किसी टायर, किसी सिगरेट, किसी बीड़ी की जरुरत पड़ती है।
संक्षेप में हम कह सकते हैं इस देश की महिलाएं स्मार्ट और आकर्षक हैं।
और पुरुष ढीलू, चिरकुट, घोंचू च घामड़ हैं।
आलोक पुराणिक मोबाइल -09810018799
11 comments:
" और पुरुष ढीलू, चिरकुट, घोंचू च घामड़ हैं।"
यह आत्मालोचना को सार्वजनिक सोच में ट्रांसफार्म करने में, हास्य-व्यंग के लेखक(अपनी हीन ग्रंथि को सब पर बड़ी सहजता से थोपने में)सफल हो जाते हैं. आप जो हैं सो बने रहें - शान से. औरों को क्यों घसीटते हैं - विशेषकर सिनेमा,क्रिकेट और कार्टून चैनल के हीरो लोगों को. :)
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हम तो चले हैंडसम बनने जी.
हम तो जी ऐसे ही ठीक है,अभी तो काकेश और ज्ञान जी को देख लेते है ,दोनो हैंडसम बनने की प्रकिया मे लग चुके है ना...:)
अब तो आलोक जी बचके रहियेगा । महिला मोर्चा आ ही रहा होगा आपके घर की तरफ । महिलाएं आकर्षक हैं ये तो ठीक है । पर उनके पुरूष को आपने घामड़ सामड़ क्या क्या कहा, इसी पर मोर्चा निकलेगा ।
आलोक जी,बढिया व्यग्य है।
जब आपने कहा कि महिलाएम न पढें --तो मेरी सहज बुद्धि ने इसे पढना बहुत ज़रूरी समझा ।वैसे ऐसा नही है कि लडकियां कोशिश नही करतीं ।उन्हे भी बालों को सिल्की बनना पडता है ,फ़्ल्लं साबुन से नहा कर स्किन को चिकना और ग्लोइन्ग करना पडता है ,खाने मे अमुक ब्रान्ड के मसाले डालने पडते हैं ,बिदेसी ब्रान्ड की लिपस्टिक लगानी पडती है और पत्रा नही क्या क्या ....ह्ह्ह!!
अब हम अउर कतना हैन्सम बनें जी!!
मस्त है!!
हैलो, हैन्डसम जी,आपको पढ़कर दिन शुरु करते हैम तो हम भी हैण्डसम टाईप ही नजर आते हैं. ऐसा लगता है आसपास के माहौल और मुस्कराहटों से. :)
-बेहतरीन!!
अच्छा अनुभव है.
"सवाल-क्या पुरुष के जीवन का एकमात्र लक्ष्य यही है कि कन्याएं उसकी ओर आकर्षित हों।
जवाब-नहीं इमरान हाशमी की तमाम फिल्में देखकर पता लगता है कि पुरुषों का लक्ष्य दूसरों की पत्नियों, विवाहिताओं को आकर्षित करना भी होता है।"
हे हे, सही कहा जी। :)
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