Thursday, August 2, 2007

MOBILE OF AKBER THE GREAT

बादशाह अकबर का मोबाइल
आलोक पुराणिक

जिस दौर में चपरासियों तक का काम भी मोबाइल बगैर नहीं चल रहा है, मैं सोच रहा हूं कि अकबर जैसे बादशाह ने अपनी हुकूमत बगैर मोबाइल कैसे चलायी होगी।
कैसे, कैसे अकबर फतेहपुर सीकरी से फास्ट कांटेक्ट करने होंगे-अकबराबाद के उस कोतवाल से, जिसे सलीम की गतिविधियों पर नजर रखने का जिम्मा दिया गया होगा। कोतवाल
साहब बच गये तब। अब का सा टाइम होता , तो अकबर हर मिनट की रिपोर्ट मोबाइल पर मांगते। नेटवर्क एरिया से सलीम बाहर निकल जाते, तो कोतवाल की नौकरी खतरे में पड़ जाती।
अब तो कुछ मोबाइ
ल सेवाएं ये भी बता सकती हैं कि जिससे बात की जा रही है, वह शहर के किस इलाके में हैं, कनाट प्लेस या राजा गार्डन में। फंस जाते सलीम-घर कह कर जाते कि राजा गार्डन जा रहा हूं-कालेज में पढ़ने के लिए।
उधर से अकबर फोन करके पता लगा लेते कि सलीम कनाट प्लेस में है, अनारकली के साथ। बहुत आफत हो जाती, सलीम मियां सही टाइम पर धरती पर आकर सही टाइम पर ही ऊपर को कट लिये। अब के सलीम-अनारकलियों के लिए बहुत आफत है।
मैं देखता हूं अपनी क्लास में, कई बच्चे मोबाइल आन करके बैठते हैं।
मैं मोबाइल आफ करने के लिए कहता हूं, तो कहते हैं-सर आपकी आवाज मोबाइल के थ्रू पापा तक पहुंच जायेगी तो उन्हे तसल्ली हो जायेगी कि हम क्लास में ही हैं। वरना पापा समझेंगे कि हम कहीं लफंटूशी कर रहे हैं। पापा हमारी नहीं सुनते, मोबाइल की गवाही सुनते हैं।
अकबर भी यही करते, थमाते मोबाइल सलीम को और कहते कि जाओ क्लास से अपने उस्ताद की आवाज मोबाइल के जरिये सुनवाओ।
वैसे सलीम स्मार्ट होते, तो करते यह कि खुद अनारकली से बातचीत में बिजी हो जाते और अपना मोबाइल उस छात्र को थमा देते, तो क्लास में रेगुलर जाता हो।

जरा सोचिये, कैसे बीरबल बगैर मोबाइल बगैर ए
सएमएस चुटकुलों के बादशाह के मनोरंजन के लिए नये-नये मनोरंजक किस्से गढ़ते होंगे। बहुत पेचीदा सवाल है। है ना। भले निपट गये, अकबर उस दौर में। अब का सा मामला होता, तो आफत हो लेती। रोज –रोज नयी चाल के मोबाइल फोन आते और नवरत्न डिमांड करते कि अब पांच लाख मुद्राओं वाला नया मोबाइल दिलवाइये ना।
बड़ी आफत होती- जब अकबर को पता चलता कि एकदम लेटेस्ट चाल के नये नौ मोबाइल फोनों के लिए जितनी रकम चाहिए, उसके जुगाड़मेंट के लिए लाहौर के किले का डिसइनवेस्टमेंट करके उसे बाजार में बेचना होगा।
बड़ी आफत होती-अकबर इंटेलेक्चु्अलाना अंदाज में दीन-ए-इलाही पर प्रवचन दे रहे हैं ।
और बीरबल बोरियत से बचने के लिए कतई नान-इंटेलेक्चुअल एसएमएस चुटकुले पढ़ रहे हैं, मोबाइल पर। या अचानक रहीम का मोबाइल घनघना उठता, कोई कवि हैं उधर लाइन पर। पूरा कवित्त मोबाइल पर ही सुनाने पर आमादा हैं। रहीम कह रहे हैं कि थोड़ी देर बाद बात करुंगा।
उधर वाला कवि कह रहा है कि बस एक मिनट, असली लाइनें तो अब आने वाली हैं।
ऊपर वाले को शुक्रिया कहिये, बादशाह अकबर ऊपर जन्नत में बैठकर कि भईया सही टाइम पर धरती से वापस होकर ऊपर आ लिये। नहीं क्या।
आलोक पुराणिक मोबाइल-09810018799

12 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

सब समय से होता है. अकबर-सलीम-बीरबल टाइम से कट लिये. हम टाइम से हैं. नेट ऑन है. डेली की पुराणिक पौष्टिक फ्लैक्स डाइट सबेरे सबेरे चाय के साथ ले रहे हैं. कानाफूसी करनी हो तो उनसे ईमेलिया लेते हैं. अकबर के जमाने में क्या ये मजा था? :)

Udan Tashtari said...

हा हा!! क्या बात है, अच्छा यह बताओ कि तस्वीर कहां से लाते हो. हमें तो सटीक तस्वीर मिल ही नहीं पाती. क्या खुद बनाते हैं??

Arun Arora said...

ज्ञान जी को जो ड्राईवर लाने ले जाने का कार्य करता है,वही घर मे संध्या काले रिपोर्टिंग करने के उपरांत ही अपने घर के लिये रवाना होता है.इसी लिये उन्हे अब मोबाईल से कहा है पूछे जाने की चिंता नही काहे की मोब.पर फोन तो आते है पर ज्यादा विश्वसनीय जगह पर ,कहा है साहब..?और ड्राईवर् लोकेशन बता देता है..:)

काकेश said...

आप केवल अकबर के जमाने की बात कर रहे हैं हम तो राम और कृष्ण के जमाने की कई समस्याओं पर भी विचार कर रहे थे. जब हनुमान जी अशोक वाटिका से सारी खबर राम तक पहुंचा रहे थे.

अनुराग श्रीवास्तव said...

ये तो वाकई बुरा हुआ, मोबाइल का ज़माना होता तो सलीम और अनारकली की एम.एम.एस. क्लिप तो देखने को मिल जातीं.

tejas said...

In today's instant age, a lot of things have lost thir context such as...."ham intazaar karenge...tera qayamat tak, khuda kare ki kayamat ho, aur tu aaye"

रवि रतलामी said...

कुछ और पौराणिक हस्तियों के मोबाइल मेनिया के बारे में जानना दिलचस्प होगा - मसलन रावण के. क्या वो दस मोबाइल रखता होगा?

व्यंग्य चित्र भी मारक हैं.

Sanjeet Tripathi said...

हा हा मस्त है!!

रवि रतलामी जी, रावण की छोड़िए, यमराज की सोचिए!!

परमजीत सिहँ बाली said...

मोबाइल में इंटर्नेट सेवा भी है उसे क्यों भूल गए।क्या अकबर को इस की जानकारी नही है?अगर होती तो....वह क्या दॆखता...समझ गए ना।हा हा हा...जरा उन से कहो मोबाईल की सभी सुविधाऒ का लाभ उठाएं।(:):(

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

मैं सोच रहा हूँ कि आपके कालेज के ही प्राचीन इतिहास के किसी प्रोफेसर को पटा कर आपके पीछे लगा दूं.

अनूप शुक्ल said...

सही है। अच्छा रहा वे सब गये। खुशी-खुशी।

Ila's world, in and out said...

Puranikji, aapke blogs kuch ek mahine se padh rahi hoon. Shukra hai us jamane mein net aur mobile ki vyavastha nahi thi warna salim- anarkali ki musibat ho jaati. Is jamane mein to internet se hamen faayda hi faayda hai, aap jaise prabudhh lekhakon ko padh paate hain.