आजादी बेइज्जती के रेट बढ़ाने की आलोक पुराणिक
15 अगस्त के आसपास वातावरण देशभक्ति टाइप बातों से गचागच हो जाता है। पूरे साल की देशभक्ति इसी दिन भड़भड़ाकर निकलती है, सो ओवरसप्लाई सी हो लेती है। 15 अगस्त, को जैसी कि परंपरा है कि पुराने टाइप के लोग कुछ-कुछ सेंटीमेंटल हो जाते हैं। मैं भी जब बच्चा था, नासमझ था तो सेंटीमेंटल हो लेता था। कुछ-कुछ इसलिए भी कि स्कूल में कोई महान टाइप आते थे और देश प्रेम पर व्याख्यान देते थे और फिर उनके कर-कमलों से लड्डू बंटते थे।
बाद में पता लगा जिसे देश से वो प्रेम करते थे, वह शहर के बारह पेट्रोल पंपों में निहित था। हमें वे सिर्फ लड्डुओं से प्रेम करने छोड़ देते थे। और बाद में पता लगा कि पूरे देश में महान यही कर रहे हैं कि खुद तो पेट्रोल पंप, गैस एजेसियों और फार्म हाऊसों में निहित देश से प्यार कर रहे हैं और पब्लिक को सिर्फ लड्डुओं के आश्वासन से प्रेम करने के लिए कह रहे हैं।
पर नयी पीढ़ी स्मार्ट है। अभी मैंने पूछा एक नये बच्चे से बताओ 15 अगस्त का क्या महत्व है।
उसने बताया-इस दिन से तीन की महाछूट आफर फलां बाजार में मिलना शुरु होता है।
पर बेटा, छूट को छोड़ो, स्वतंत्रता को समझ लो-मैंने समझाने की कोशिश की।
जी मुझे समझ में आ गया कि सबको स्वतंत्रता है , निठारी नोएडा में बच्चे मरने को, किडनैप होने को स्वतंत्र हैं। किडनैपर नोट वसूलने, मारने को स्वतंत्र हैं। दिल्ली में कैंटीन ठेकेदार छोले भटूरे में लपेटकर प्लाट खाने को स्वतंत्र है, सीबीआई इन्क्वायरी न करने को स्वतंत्र है। या वैसी करने को स्वतंत्र है, जैसी वह अब तक सारे घोटालों में करती आयी है।
पुलिस अफसर हत्यारों की चंपूगिरी करने को स्वतंत्र हैं। हत्यारे मंत्री बनने को स्वतंत्र हैं। मंत्री अपने सालों को गुंडागिरी के छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं। नेता पुत्र स्मैक मर्डर को स्वतंत्र है। बहुत भारी स्वतंत्रता मची है, सब तरफ। इसे तो स्वतंत्रता कहते हैं ना-बच्चे ने पलट जवाब दिया।
पर बेटा, समझो हम अब वाकई आजाद हैं, अंगरेजों से आजाद हैं-मैंने आगे समझाने की कोशिश की।
हां, अब हम आजाद हैं, पहले अंगरेज यहां आकर हमारी बेइज्जती करते थे, मुफ्त में। अब शिल्पा शेट्टी आजाद हैं कि वह ब्रिटेन जाकर बिग ब्रदर शो में तीन करोड़ रुपये में बेइज्जत हों। पहले मुफ्त में यहीं गाली खाने की आजादी थी, हम अब अमेरिका जाकर भी गाली खा सकते हैं। बेइज्जती के रेट बढ़ाने की आजादी हो गयी है। यही तो आजादी है ना-बच्चा पूछ रहा है।
आप ही समझाइए कि मैं कैसे समझाऊं कि स्वतंत्रता का क्या मतलब होता है।
चलूं बीस मर्डर, पांच बलात्कारों के बाद बाइज्जत (बरी) हुए नेताजी का स्वागत करुं, कालोनी के समारोह के मुख्य अतिथि वही बने हैं। मुख्य अतिथि इसलिए बनाया है कि वो आयेंगे, तो सड़क नालियां साफ हो जायेंगी। मेरे लिए स्वतंत्रता का मतलब यही है कि सड़क नालियां साफ कराने के लिए किसी बाइज्जत को मुख्य अतिथि बना सकता हूं।
आलोक पुराणिक मोबाइल-09810018799
6 comments:
चलो, आप को स्वतंत्रता का महत्व तो समझ आया. हमें यह समझ आया कि आपके पास बच्चे आप से ज्यादा फास्ट च स्मार्ट हैं. उन्हीं की बदौलत आपकी सटायरी चल रही है. अगर ये बच्चे न होते तो न आप टीप कर निबन्ध लिख पाते और न ब्लॉगरी में इतने चेले बनते!
हम तो कल फेमिली ब्लॉगिंग की बात कर रहे थे. आपकी पोस्ट देख कर लगता है कि आपको चेला/बच्चा ब्लॉगिंग कम्पनी बनानी चाहिये! :)
चलिये, हम भी स्वतंत्रता का अर्थ जान गये वरना तो किस गुमान में जी रहे थे. बहुत खूब, मास्स्साब.
पुराणिक जी को पढने ना पढने की आजादी हमें नही है हमें तो पढना ही पडता है
पुराने टाइप का ही हूं इस मामले में, कुछ कुछ सेंटीमेंटल हो जाता हूं!!
फांसू च धांसू.. क्या करू बूढ़ा हो गया हूँ ..सैंटीमेंटल होके खांसू ना खांसू...
गुरुवर ऎसे एक-दो बच्चे हमारे पास पढ़ने भिजवा दें तो हमारी भी दुकान चल निकले।
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