आलोक पुराणिक
कभी सोचता हूं कि
अभी मेरी बेटी के 98.88 पर
98.88 परसेंट पर शेम। हाय री स्कूली शिक्षा निराला तेरा गेम।
बेटी परेशान नहीं है, उसकी मां परेशान है। सहेलियों को जवाब देना होता है जी, मिसेज राजवंशी के चुन्नू की सेकंड पोजीशन है। और वह स्वाति की मां बतायेगी कि हमेशा की तरह स्वाति तो फर्स्ट पोजीशन पर ही है जी। हाय रे हाय-98.88 परसेंट सिर्फ, तुझे शर्म नहीं आयी।
बेटी मुझसे पूछ रही है-पापा कितने आते थे आपके।
मारे शर्म के मैं सच नहीं बोलता।
मैं बहुत डर गया हूं। अभी पांचवी क्लास का सिलेबस देख रहा हूं।
मैथ की प्रोजेक्ट फाइल बनेगी। उसमें हरबेरियम की पत्तियां
क्या पूछा-हरबेरियम का मतलब क्या होता है। मुझे
मुझे लगता है कि
क्या अंडों के छिलकों से खरगोश बनाना नहीं आता, अरे तीसरी क्लास का क्राफ्टवर्क है यह।
क्या माचिस से कुत्ता बनाना नहीं आता, चौथी क्लास का क्राफ्टवर्क है यह तो।
मम्मी
खैरजी बिटिया को मैथ के प्रोजेक्ट में वैरी गुड मिला है। बिटिया को नहीं, उसकी मां और पापा को मिला है। पूरी रात जागकर बनाया था।
हम पति -पत्नी एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं।
मेरा स्कूल वालों से अनुरोध है कि होमवर्क के लिए एक वर्कशाप मम्मी-पापा के लिए लगा लें। बहुत शर्म आती है, जब बच्ची पूछती है कि आपको राजस्थानी स्टाइल की पगड़ी बनानी आती है कि नहीं,हाथी को पहना कर ले जानी है। पापा पहले मम्मी को किसी राजस्थानी मित्र के ले जाते हैं, मम्मी खुद राजस्थानी पगड़ी बांधना सीखती हैं। हाथी को पहनानी है।
मम्मी कल ग्लेज्ड पेपर पर अरहर की दाल
बिटिया सो चुकी है।
आलोक पुराणिक- मोबाइल-09810018799
13 comments:
सच लिखा आलोक भाई आपने...जीवन इम्तेहान ले रहा है माता-पिता का.और बेहतरीन परसेंट लाने की होड़ में बच्चा इंसान बनने से महरूम रह हो गया है.अभिभावक सारा तामझाम जुटा देने के बावजूद असुरक्षा से भरा है ..कल क्या होगा.ये भी तय है कि जो आदर आपने मैने अपने बुज़ुर्गों को दिया वह हमें नहीं मिलने वाला जबकि साधनों के जुगाड़ में हम सब हर पल खट रहे हैं ..हमें अतीत की ओर लौटना होगा आलोक भाई.मेरा मानना है कि इस पैकेज परिदृष्य ने सारा बंटाढार किया है...मध्यम वर्ग इन बीते पाँच सालों में जितना विचलित दिखाई दिया है वैसा पहले कभी नहीं ..वह रातों रात अपने मोहल्ले में रहने वाले अग्रवाल साहब जैसा धनाढ्य हो जाना चाहता है और इसके लिये ही वह सारी उम्मीदें अपने बच्चे से कर रहा है..ये परसेंट अपेक्षा क्लास में अव्वल आने के लिये नहीं...सोसायटी में अव्वल आने के लिये है ..चाहे उसके लिये बच्चे का मासूम बचपन ही क्यों न रौंदना पड़े.
बड़ा बवाल है भाई!
चलो, ग्लेजड पेपर वाला प्रोजेक्ट खत्म करके टिप्पणी पढ़ लेना. अफ्रीका के चीते की तस्वीर न मिले तो हमारी लगा देना. मिलती जुलती है. कई लगा चुके हैं लोग प्रोजेक्ट में, पास कहलाये. तब तक आप और भौजी दोनो हमारी बधाई भी टिका लो बिटिया को मैथ के प्रोजेक्ट में वैरी गुड जो मिला है। बिटिया को भी शाबाश कह देना. ऐसे ही आप और आपकी पत्नी जी तरक्की करते रहें यही कामना है बच्ची तो आगे निकल ही जायेगी. सब आप पर ही तो है.
सही कहा आलोक जी,बच्चो को इन स्कूल और हमारी दौड ने बचपन को कही पीछे छोडने पर मजबूर कर दिया है..
आजकल बच्चे के साथ-साथ माँ-बाप का भी इम्तहान होता है।
आप पढ़ाई-लिखाई की बजाय अगड़म-बगड़म लिखेंगे तो 98.88% से कम होकर 98.87% नम्बर हो जायेंगे बिटिया के. बहुत निराशाजनक होगा वह.
बाप-धर्म का पालन कीजिये. अगड़म-बगड़म आउट सोर्स कर दीजिये (ढ़ेरों घोस्ट राइटर मिलेंगे) और NCERT की किताबों का चाटन प्रारम्भ कर भविष्य सिक्योर करें. :)
ye andaaze bayan nirala hai....accha laga
बहुत सही प्रभु, हमारी शिक्षा व्यवस्था बस बस्ते का बोझ बढ़ाते जा रही, अंको का मान बढ़ाते जा रही पर क्या हम बच्चों को सही मायने मे शिक्षित कर पा रहे हैं। सरकारें चाहती है कि सब साक्षर हो जाएं पर क्या साक्षर होना ही शिक्षित हो जाने का पर्याय है!!
बधाई क्या खाक दीं जाए. आपको इतना भी नहीं पता कि हर्बेरियम प्रोजेक्ट मैथ में नहीं बोटनी में होता है जी. अपके जमाने में चाहे जो भी रहा हो पर बच्चों को पढाना हो तो सर्वग्य होना पड़ेगा. ऊपर यह भी सुनाना पड़ेगा कि जीं आजकल तो पैरेंट्स की कोई तैयारी ही नहीं होती.
इतना अच्छा आप सोच कैसे लेते है ?
बढि़यॉं लिखते है।
अगर आज ये कंडीशन है तो जब तक हमारे बच्चे होंगे क्या होगा? हम अपने नंबर कैसे बताएँगे जी।
वैसे सचमुच बोत माड़ा टाइम आ गया है। स्कूल में बच्चों को देखता हूँ तो तरस आता है। बेचारों को मशीन बनाकर रख दिया है। उनका बचपन छिन गया है उनसे।
किसने कहा था शादी करने को? कर ही ली तो किसने कहा था अपने घर बच्चा पैदा करने को? मूंग-मसूर की दाल समझी थी?
namaskaar prabhu. bhai hame tp kabhi 65% se jada nahi aaye. haan 10th class me 99 number aaye the maths me. uske baad se latak hi raha hun.
unse kahe ki 98.88% bhi bahut achcha hai aur position laa kar kya hoga? position to mantri-santri ka hota hai.
dhanyawaad.
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