राजा भृतहरि की वैराग्य नवकथा आलोक पुराणिक
राजा भरथरी ने राज की बात अपनी परम-प्रिय रानी को कही –हे सुमुखे, लेटेस्ट मेडिकल टेस्ट में मुझे कैंसर का शक बताया गया है। इस बीमारी का इलाज, सुनते हैं, स्विटजरलैंड में होता है। वहां जाकर अपन इलाज भी करवा आयेंगे। और हाल के हवाई जहाज घोटाले में जो रकम बटोरी है, उसे स्विस बैंक में जमा भी करा आयेंगे। हे रानी, तुम ही एकमात्र ऐसी हो, जिसे राज की यह बात पता है। क्योंकि जिस डाक्टर ने मेरा मेडिकल चेकअप किया था, उसका भी मैंने मर्डर करवा दिया है। मर्डर का इलजाम मैंने उस आधुनिक कवि पर लगवा दिया है, जो सबको कविताएं सुनाकर बोर करता है। मैं यह घोषणा करवा दूंगा कि इस कवि ने उस डाक्टर को अपनी पचास कविताएं जबरन सुना दीं, सो वह बोरियत से मर गया।
रानी यह सुनकर कांप उठी, क्योंकि वह कवि उसका प्रेमी था।
उस रात में कवि-प्रेमी को रानी ने बताया-हे कवि, तू यहां से फूट ले, नहीं तो जिंदगी से ही हूट हो जायेगा। तू जाकर फ्रांस में एनआरआई बनकर सैटल हो जा, फिर भी वहीं आ जाऊंगी। तेरे-मेरे इश्क पर उस बुढ़ऊ राजा का लगा ग्रहण छंटने वाला है, क्योंकि राजा निपटने वाला है। बस यह राज की बात किसी से मत कहना।
कवि –प्रेमी यह सुनकर कांप उठा कि उसे रानी के साथ पूरी जिंदगी काटनी पड़ेगी। कवि-प्रेमी तो इस चक्कर में था कि राजा चलता रहे, रानी के साथ चक्कर भी चलता रहे। उसके मुर्गे-मोबाइल-लाइफ-स्टाइल के बिल रानी भरती रहे, संक्षेप में वह रानी की पत्नी बनकर ही कवि से प्रेम करती रहे।
कवि-प्रेमी ने पूरा किस्सा अपनी प्रेमिका नंबर टू को बताया कि यह किसी से ना कहना।
प्रेमिका नंबर टू का भी प्रेमी नंबर टू था-एक दरोगा।
उसने पूरा किस्सा उस दरोगा को बताया।
दरोगा की स्वाभाविक तौर पर एक स्मगलर से दोस्ती थी। एक खाऊ-पीऊ बैठक में दरोगा ने स्मगलर को बताया कि राजा टें बोलने वाला है, नये सेट अप में सैटिंग –गैटिंग का जुगाड़मेंट कर लो। यह बात बहुत राज की है, किसी से ना कहना।
स्मगलर का हमजोली एक नेता था। नेता से स्मगलर ने कहा-गुरु राजा टें बोलने वाला है। उसे जाकर समझाओ कि कुछ रकम आपके थ्रू आपके दारु, स्मैक, चरस, कैबरे, हवाला, के धंधे में लगवा दे। बहुत रिटर्न मिलेगा, स्विस बैंकों से ज्यादा। पर यह बात बहुत राज की है, किसी से मत ना कहना।
अगले दिन वह नेता राजा से बात करने गया कि इस विषय पर कि क्यों स्विस बैंकों के चक्कर में पड़ रहे हो, यहीं रकम लगा देंगे धांसू धंधों में।
राजा ने ताड़ लिया कि मामला कुछ सीरियस है। उसने दहाड़ते हुए कहा –तुझे मेरी स्विस यात्रा और बीमारी की बात कैसे पता चली, अगर तूने मुझे नहीं बताया, तो मैं तुझे उस कवि की सौ कविताएं सुनने के लिए कवि के कमरे में ठेल दूंगा। बोल।
नेता ने बहुत डरते-डरते पूरा किस्सा बयान किया कि नेता ने स्मगलर से पूछा, स्मगलर ने दरोगा से सुना, दरोगा ने अपनी प्रेमिका से सुना, प्रेमिका ने प्रेमी नंबर वन यानी कवि से सुना, कवि ने अपनी प्रेमिका नंबर वन यानी रानी से सुना और रानी ने राजा से सुना।
भरथरी का दिल टूट गया। समझ में आ गया कि दुनिया गोल है और गोलमाल भी। वैराग्य फुल धड़ल्ले से दिल में एंट्री ले गया। यही निश्चय करके वो सब कुछ छोड़कर जंगल जाने का निर्णय सुनाने रानी को आये। मन में सोच रहे थे कि अगर रानी माफी मांगेगी, तो साथ ले चलूंगा। रानी से उन्होने वैराग्य की इच्छा जतायी।
ओ के गो अहेड-लेकिन स्विस खातों के सीक्रेट नंबर तो मुझे देते ही जाओ। माया का त्याग कर रहे हो, तो अपनों की झोली में ही करो ना।
रानी के ऐसे वचन सुनकर भरथरी को मौका-ए-वारदात पर ही खटाक मोक्ष प्राप्त हो गया।
बोल नोटाय नम्, बोल खोटाय नम्।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-09810018799
9 comments:
जैसे इनके दिन बहुरे वैसे सबके बहुरैं।
अरे भाई ई तो हमार किस्सा बा आपको कईसे पता चल गईन ।
“आरंभ” संजीव का हिन्दी चिट्ठा
आपके शोध में धार नहीं होती. भरथरी के अलावा किसी बन्दे का नाम नहीं है. नाम होता तो शोध में विश्वसनीयता आती. व्यंगकार ड़रपोक होता है - यह मैने नहीं जाना था. प्रेमिका, दारोगा, स्मगलर -- सबके नाम पते और सारे ग्रंथीय रेफरेंस देकर पोस्ट अपडेट की जाये.
और खटाक से मोक्ष प्राप्ति के लिये इतनी कथा की क्या जरूरत थी. अल कायदा से सहायता क्यों नहीं मांगी गयी?
बॉस, कवि का रोल सटीक लगा अपन को!!
मूल नाम भर्तृहरि है।
अच्छा हुआ आपके राजा भरथरी ने रानी पिंगला को अमर फल की तर्ज पर स्विस बैंक की पासबुक नहीं थमाई। वर्ना ना ही तो आजकल के टीवी सीरियल्स की तर्ज पर चल रही मल्टी डायमेंशन लव स्टोरियों का खुलासा हो पाता- और ना ही राजा साहब के काबिल लोगों के असली चेहरे बेनकाब हो पाते। लेकिन एक बात बताइये जनाब, आप तंज के बहाने बेचारे(?) कवियों को टारगेट क्यों करते हैं...? कोई पुराना हिसाब तो नहीं है ना...?
रानी के ऐसे वचन सुनकर भरथरी को मौका-ए-वारदात पर ही खटाक मोक्ष प्राप्त हो गया।
आगे, तब कवि नम्बर १ पर रानी ने उसकी पत्नी बनने का प्रेशर डालना शुरु किया और कवि घबरा गया. कालांतर में वह कनाडा जाकर एन आर आई कवि बन कर अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक जीवन यापन करने लगा.
किंग भरथरी एंड हिज़ टाइम्स, बीस पेज़ी कहानी के लिए अच्छा शीर्षक हो सकता है.
वाह-वाह बहुत दिनों बात खालिस अगड़म-बगड़म पढ़ने को मिली। मजा आ गया।
@आलोक,
भर्तृहरि को जनसामान्य में बाबा भरथरी ही कहा जाता है।
@उड़नतश्तरी,
कवि सुखपूर्वक जीवनयापन करने लगा और उसके श्रोता...
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