Thursday, August 9, 2007

BEGGARS OF DELHI

दिल्ली के भिखारी

आलोक पुराणिक

दिल्ली में आईटीओ चौराहे पर दिल्ली में एक नौजवान भिखारी भीख मांग रहा था। मैंने कहा- भीख मांगते हो, अरे कुछ मेहनत किया करो।

भिखारी ने मुझसे पूछा-क्या आपने कभी भीख मांगी है।

मैंने हैरान होकर कहा-नहीं।

फिर आपको क्या पता कि भीख मांगना कितनी मेहनत का काम है-भिखारी ने बताया।

सच्ची में भीख मांगना बहुत मुश्किल काम है, ये पता लग रहा है दिल्ली सरकार चलानेवालों को देखकर। बार-बार पब्लिक को बताना पड़ता है कि देखो यूपी वाले पानी की भीख नहीं दे रहे हैं, दे रहे हैं, तो पूरा नहीं दे रहे हैं।

खबर है कि उत्तर प्रदेश सरकार भिखारियों का रिकार्ड तैयार कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार भिखारियों की गिनती करायेगी। मैं यह सोचकर डर रहा हूं- सारे दिल्ली वाले भी उसमें शामिल किये जायेंगे क्या।

दिल्ली वाले रोज यूपी सरकार से पानी मांगते हैं और साहब किस अंदाज से मांगते हैं। जैसे उधार वसूल रहे हों, जैसे पानी की भीख देना उत्तर प्रदेश सरकार का कर्तव्य हो।

बहुत पहले, बहुत पहले मैंने एक हास्टल का भिखारी देखा था। हास्टल शहर से थोड़े दूर बने कालेज का था। भिखारी हास्टल में लड़कों के कमरे के बाहर फुल जोरदारी से अपना कटोरा बजाता था और कहता था कि समझ लो, यहां आकर भीख मांग रहा हूं, तुम पर अहसान कर रहा हूं। वरना इत्ती दूर कौन आता है मांगने। चलो दे दो, तुम भी क्या याद रखोगे, इत्ती दूर आया मैं तुम्हे पुण्य का मौका देने।

दिल्ली वाले जब पानी मांगते हैं, तो ऐसे ही लगते हैं-यूपी गवर्नमेंट हमको थैंक्यू के साथ पानी दो, पुण्य का मौका दिया।

ये दिल्ली का कैरेक्टर है, मांगने का भी इस्टाइल है।

अब यूपी वाले पानी दे रहे हैं, जो नेताओं के ईमान से थोड़ा कम गंदा है।

दिल्ली वाले इस पर हाय-हाय कर रहे हैं-हाय गंदा पानी।

वैसे इस मौके का मुहावरा हो सकता है-भीख के पानी की गंदगी नहीं देखी जाती।

पर नहीं, दिल्ली का कैरेक्टर है, दिल्ली की स्टाइल है। दिल्ली वाले दान की बछिया के भी दांत गिनते हैं।

यूपी वाले इस पर आगे कह रहे हैं-दिल्ली को पानी गंदा ही मिलेगा, क्योंकि दिल्ली वाले यमुना को इतनी गंदी करके आगे भेजते हैं। दिल्ली में जब यमुना घुसती है, तो साफ होती है, निकलती है, तो गंदी हो चुकी होती है।

ये भी साहब दिल्ली का कैरेक्टर है, कई नेता, सांसद जब दिल्ली में पहली बार घुसते हैं, तो

साफ होते हैं, जब यहां से निकलते हैं, तो यमुना से भी ज्यादा गंदे हो चुके हैं।

दिल्ली का कैरेक्टर है। दिल्ली की स्टाइल है।

दे दीजिये, अबे दे दे, नहीं देगा, तेरी तो ..................कुछ भिखारीनुमा आवाजें आ रही हैं।

मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि ये पैसे मांगने वाले भिखारी हैं या यूपी से पानी मांगने वाले भिखारी।

आलोक पुराणिक मोबाइल -09810018799

8 comments:

अनुराग said...

यूपी वाले इस पर आगे कह रहे हैं-दिल्ली को पानी गंदा ही मिलेगा, क्योंकि दिल्ली वाले यमुना को इतनी गंदी करके आगे भेजते हैं। दिल्ली में जब यमुना घुसती है, तो साफ होती है, निकलती है, तो गंदी हो चुकी होती है।

ये भी साहब दिल्ली का कैरेक्टर है, कई नेता, सांसद जब दिल्ली में पहली बार घुसते हैं, तो

साफ होते हैं, जब यहां से निकलते हैं, तो यमुना से भी ज्यादा गंदे हो चुके हैं।

दिल्ली का कैरेक्टर है। दिल्ली की स्टाइल है। "

गजब लिखा है

Gyan Dutt Pandey said...

भीख मांगने का गौरवशाली इतिहास रहा है. भिक्षुक ब्राह्मण अपने तेज से समाज का शीर्ष रहा है. यह तो अब है कि भिक्षा चिर्कुटिया गयी है वर्ना वह भी क्या दिन थे जब दुर्वासा जैसे भिक्षुक से अच्छों-अच्छों की पुलपुली कांपती थी. पता नहीं कब श्राप दे दें और पूरी बनी बनाई शून्य हो जाये!
साहब, दिल्ली को दुर्वासा मान कर चलें.

अनूप शुक्ल said...

अमेरिका भी तो सबसे सहयोग ही मांगता है। सहयोग दे दो वर्ना!

Arun Arora said...

भले भीख मागो पर उसमे शेर जैसी गर्जना होनी चाहिये,यू पी से ही तो माग रहे है..कोई सोनिया जी से थोडे ही,वहा अधिकार भी भीख से ज्यादा दयनीयता से मागते है .यकीन नही जी तो साथ आकर देख लो..:)स. दिक्षित

Udan Tashtari said...

ये तो सबका अपना अपना स्टाईल है, आपको क्या???

बहुते धांसू दिये हो भाई.

हरिमोहन सिंह said...

दिल्‍ली वासियों से माफी मॉंगते हुये कहना चाहूँगा कि सच्‍ची बात कह रहे हो । दिल्‍ली की फितरत ही ऐसी है

Shiv said...

Rahiman paani 'maangiye', bin paani sab soon.....

Aage ka yaad nahin aa raha.Thoda confusion pahli line mein bhee lag raha hai mujhe....maangiye likha tha Rahim ne, ya phir rakhiye...

Khair jo bhee likha tha, shaayad Dilli Sarkar ke liye hi likha tha...Rahim waastav mein mahaan the...Unhein maloom tha ki 2007 mein Dilli mein paani ki samasya aayegi...Isliye unhone pahle se hi aagah kar diya tha...

Ab choonki Sarkar ke log Rahim jaise achchhe logon ki nahin sunte, isliye ye takleef ho rahi hai unhein...Rahim ka kaha maana hota to Rahiman paani raakhiye...,par amal karte huye kuchh 'paani' to zaroor rakhte...Nahin maanane ka nateeja saamne hai...Zara bhee 'paani' baaki nahin hai, aur UP se 'paani' maang rahe hain...

UP 'paani' de sakne kee haalat mein hai?

Avanish Gautam said...

गुरू तुम लिखते अच्छा हो... कई दिन से मेरी तुम्हारे ब्लाग पे नज़र है....लेकिन तुम आलोक आलोक पुराणिक के बजाए कलयुग पुराणिक के नाम से लिखा करो...ज्यादा सटीक रहेगा.