डेटिंग बनाम बिलों की डेट
आलोक पुराणिक
इंटरनेट न हो तो आफत है।
वैसे हो, तो ज्यादा आफत है। कल ई-मेल में एक डेटिंग वैबसाइट ज्वाइन करने का प्रपोजल आया, प्रपोजल के बाद वैबसाइट के मार्केटिंग मैनेजर ही आ लिए, लाइन पर। विकट संवाद हुआ, पेश है-
मार्केटिंग मैनेजर उर्फ मामै-देखिये, आप डेटिंग साइट ज्वाइन कर लीजिये। डेटिंग बहुत मजे की चीज है।
अपन-देखिये इंडिया में शादी के दस साल बाद बंदा सिर्फ ये डेट याद रखता है-मोबाइल के फोन के बिल के पेमेंट की लास्ट डेट, लैंडलाइन के बिल के पेमेंट की लास्ट डेट, बच्चों की फीस की डेट, टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेट, हाऊस टैक्स जमा कराने की डेट, बिजली के बिल की डेट। अगर इसे डेटिंग कहते हैं, तो हम धुआंधार कर रहे हैं, उसमें वैबसाइट क्या कर लेगी।
मामै-देखिये, डेटिंग बहुत धांसू एक्सपीरियंस है। इट्स सो फनी।
अपन- ड्यू डेट पर बिलों पे बिल दिये जाओ, इसमें फन कहां से आया।
मामै-देखिये, आप समझ नहीं रहे हैं। मतलब आप नयी पासिबिलिटीज को एक्सप्लोर कर सकते हैं।
अपन-जी वो तो यूं भी करते रहते हैं। पिछली बार उधार गुप्ताजी से लिया था, अबकी बार शर्माजी से लेंगे। बाकी सारे बैंकों से लोन लिये जा चुके हैं। बस एक बच गया है, सो उससे भी ले लेंगे। पर इसमें वैबसाइट क्या कर लेगी, उधार एक्सप्लोर करने का होमवर्क तो हम ही कर लेते हैं। फिर अब तो हम आदी हो गये हैं, इन पुराने टेंशनों के। पुराने टेंशन पति की तरह के हो जाते हैं, जो न हों, तो परेशानी सी हो जाती है। हालांकि हों, तो भी परेशानी रहती है।
मामै-देखिये आप समझ नहीं रहे हैं, इसमें एडवेंचर है। जरा सोचिये, कित्ता एडवेंचर, अनिश्चितता, आप एक्सप्लोर कर रहे हैं, पता नहीं कैसे सिलसिला जम जाये, किससे जम जाये।
अपन-जी एडवेंचर तो वैसे ही बहुत है। परसों बेटी की फीस देनी है, करीब आठ हजार रुपये, अभी तक जुगाड़मेंट नहीं ना हुआ है। कहां से होगा,अनिश्चितता, एक्सप्लोर कर रहे हैं।
मामै-अगर टेंशन है, तो आप फिर डेटिंग में क्यों नहीं जाते, कुछ नया एक्स्पलोर करने। देखिये डेटिंग बहुत थ्रिलिंग एक्सपीरियंस है। वेट करने में बहुत थ्रिल है।
अपन-वैसे ही कम थ्रिल नहीं है लाइफ में। हम तो हर घंटे खुद ही घर के दरवाजे खोलकर देख लेते हैं कि किसी अख़बार का कोई भुगतान तो नहीं लेकर आया कूरियर वाला। नहीं आता, थ्रिलिंग वेट चलता रहता है। पेमेंट नहीं आता। पत्नी कई बार डांट चुकी है, जितने विरह से तुम भुगतान की प्रतीक्षा करते हो, उतने विरह से अगर ऊपर वाले को याद करो, तो वह भी आ जाये। मैं इस पर कहता हूं कि ऊपर वाला आ भी जाये, तो मैं क्या करुंगा, उसके भोग-प्रसाद में और खर्च हो जायेगा। ऊपर वाला बिल-फीस तो नहीं चुकायेगा। बीबी गुस्सा हो जाती है, वह कब तक रुठी रहेगी, यह थ्रिलयुक्त सवाल चलता रहा है। पेमेंट के इंतजार में थ्रिल है।
मामै का जवाब नहीं आया है। उसकी हार्ड डिस्क क्रैश हो गयी है शायद।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-9810018799
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8 comments:
पत्नी कई बार डांट चुकी है, जितने विरह से तुम भुगतान की प्रतीक्षा करते हो, उतने विरह से अगर ऊपर वाले को याद करो, तो वह भी आ जाये।
--सही तो कह रही हैं. हमेशा अपनी ही अपनी ठेलते हैं. कभी तो कायदे की बात मान कर देखें.
--बहुत सही हैं यह डेटिंग साईट-कोई कह रहा थे इसमें ६०% से ज्यादा मेरिड लोग हैं-काम की है!!! :)
एक पंथ दो काज नहीं हो सकता? एक मस्त और मालदार डेटिनी तलाश लें जो आपसे डेटियाये भी और ड्यू डेट पर आपके बिल भी चुका दे! आइडिया को आउट राइट रिजेक्ट न करें - विचार कर देखें. :-)
ज्ञानदत्तजी का आइडिया बुरा नहीं है। अनुभवी हैं ।करके देखिये न! अच्छा लिखा है!
ज्ञान जी की बात को गंभीरता से लेते हुये इस दिशा मे रचनात्मक कार्य करे और और कुछ डेटे चेले को भी थमा दे (रिजेक्ट वाली..)
ha ha ha ha....Alok ji Ghyandutt Pandey ji ka suggestion bahut dhaansoo idea hai...such mein outright reject na karein...nahi toh ek kaam aur ker sakte hain ..jitne bhi bill ki payment kerni hai..wahaan sabhi jagah ek ek date fix ker lijiye...tensions ke/juggling ke toh aap puraane aadi hain...ha ha ha ha ha ...Alok ji kya ghumaaya hai aapne dating ke concept ko ..shat shat pranaam
Alok ji ...baaki logon ke comments abhi padh rahi hun...mujhe lagta hai aap thodi samaaj seva ker hi daalen...Arun ji ki prarthana sweekar ker ke...ha ha ha ha
आलोकजी लगता है ये मामै आप जैसे महान व्यक्तित्व से मिलकर मन ही मन आपको दंडवत प्रणाम कर रहा होगा :)
मामै बेचारे में इतनी सामर्थ्य कहां कि आपको झेलने के बाद दुबारा आए बेचारा!!
डेटिंग साईट को गुरु जैसन मैरिड लोग ही देखें अपन को फ़ुरसत ही नही रहती ऐसी साईटन पे जाने की !!
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