आलोक पुराणिक
यह लेख उस छात्र की कापी से लिया गया है, जिसने एक निबंध कंपटीशन में टाप किया है। लेख का विषय़ था-हिमेश रेशमिया।
हिमेश रेशमिया का हमारी फिल्म इंडस्ट्री में बहूत महत्व है। वो कहावत में कहा जाता है कि नाक की बात है यानी नाक सबसे महत्वपूर्ण अंग है बाडी का। हिमेश ने इस कहावत को साकार करके दिखाया है। नाक सिर्फ जुकाम के काम नहीं आती, गाने के काम भी आती है, यह बात हिमेश ने साबित कर दी है।
सबसे अच्छी बात यह है कि वह अब जिद कर रहे हैं कि वह उस फिल्म में ही काम करेंगे, जिसमें वह हीरो भी हों, डाइरेक्टर भी हों, म्यूजिक डाइरेक्टर भी हों, और हां सिंगर भी हों।
बस बहुत जल्दी वह कहने वाले हैं कि हीरोईन का रोल भी वह वह खुद करेंगे। यानी फिल्म में डबल रोल वाले हिमेश रेशमिया नजर आयेंगे हीरोईन के रुप में।
हिमेश जी अगर हीरोईन बने, तो बहुत मामला सुधर जायेगा।
हिमेशजी कित्ते कपड़े पहनते हैं। सिर तक को टोपी से ढकते हैं। अब की हीरोईनें कुछ भी ना ढकने में यकीन करती हैं। इस तरह से फिल्मों में नया चेंज आयेगा, और धीमे-धीमे हीरोईनों को प्रेरणा मिलेगी कि अगर हिमेशजी की तरह कामयाब होना है, तो सिर-विर ढक कर काम करना चाहिए। थोड़े दिनों में तमाम हीरोईनें टोपी पहने दिखायी देंगी।
पर खतरा यह है कि कई हीरोईनें यह जिद ना पकड़ लें, कि वे सिर्फ टोपी पहनेंगी।
वैसे कुछ दिनों बाद हिमेशजी डिमांड करेंगे कि विलेन का रोल भी वह खुद ही करेंगे।
ये भी ठीक ही होगा जी। बड़ी आसानी से काम हो जायेगा, बतौर विलेन हिमेशजी जिसे टार्चर करना चाहेंगे, उसे बांधकर उसे पचास गाने सुनायेंगे, खास तौर पर वो वाले गाने, जिनमें आखिर में कुत्ते के चीखने की सी आवाज आती है।
इत्ते टार्चर के बाद तो विलेन जो चाहे करवा सकता है। नहीं क्या।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-09810018799
17 comments:
अभी अभी हिमेश जी से बात हुई है उनको आपका आइडिया पसंद आया.वो बतौर ड्रेस डिजाइनर आपको भी लेने को तैयार हैं.उन्होने कहा है कि चुंकि आप टोपी पहनाने में माहिर हैं इसलिये हिरोइन को भी टोपी पहना ही पायेंगे.बांकी तो कुछ पहनाना ही नहीं है.आप हाँ कहें तो आपका कोंट्रैक्ट भिजवाऊं.
ये कांट्रैक्ट वगैरा गुरूजी नही हम देखते है,आप फौरन एडवांस के चैक(कैश हो तो ज्यादा अच्छा है) के साथ कांट्रेक्ट हमे भेज दे..
अपने जनरल नॉलेज को कोस रहे हैं. पहले विकिपेडिया पर देख कर आ रहे हैं कि ये हिमेश रेशमिया हैं कौन. कोई गजनिया-बजनिया लगते हैं, जो और भी सभी तरह के काम कर लेते हैं.
सारी ऊर्जा यह पता करने में निकल गयी. कमेण्ट क्या करें अब? :)
पांडेयजी पीड़ा हमारी भी पीड़ा है। वैसे ये हीरो अगर हीरोइन वाले रोल करेंगे तो कित्ता 'वाऊ' टाइप लगेगा। है न!
पांडे जी को और अनूप जॊ को हम जी रहे हैं, जल्द जबाब दें. :) हमारा उन्हें समर्थन...बाकि आप बतायें.
हिमेस भाई,
चलती का नाम गाड़ी जैसी फ़िल्म बनाना हो तो हमारे आलोक जी संपर्क करें...लाजवाब कथा,पटकथा,संवाद सबकुछ देंगे.गाड़ी चल पडे़गी.
हिमेश रेशमिया की इस घोषणा के बाद निर्धारित होंगी कुछ सज़ाएं-- 1. पचास पचास कोस दूर जब भी कोई बच्चा रोएगा तो मां कहेगी बेटा सो जा वरना हिमेश रेशमिया की फिल्में दिखाऊंगी ।
2. बच्चा जब होमवर्क करके नहीं लाएगा या क्लास में लडियाएगा तो मास्साब कहेंगे चलो टी.वी. रूम में, तुमको हिमेश रेशमिया की फिल्म दिखानी पड़ेगी ।
3. पत्नी पति को धमकी देगी, देखो अगर तुमने फलां फरमाईश पूरी नहीं की तो मैं सास बहू के सीरियल छोड़कर हिमेश रेशमिया की फिल्में देखने लगूंगी । पति सटपटा जाएगा ।
4. अगर दफ्तर में लिपिक देर से आएगा तो अधिकारी उसका रेडमार्क नहीं करेगा, बल्कि उसे टी.वी.रूम में हिमेश रेशमिया की फिल्म चलाके बंद कर देगा । अगले दिन से कोई लेट नहीं आयेगा ।
5. बाकी की सज़ाएं आप स्वयं निर्धारित कर लें । हिमेश अगर इतनी भूमिकाओं में होंगे तो ये संसार ही एक सज़ा बन जायेगा ।
हिरोइन को टोपी पहनने वाला आइडीया क्रांतिकारी है, हम इस क्रांति की प्रतिक्षा कर रहें है.
waise to himesh reshamiya ko bhi samajh me nahi aata ki jab tak woh muh se gaya ,koi use jaanta tak nahi tha. Ab film banane ki sochi to uskn naak par hi film ban jaye to public bahut like karegi.
satyendra
gorakhpur.
(hindi me type karne pe agdam- bagdam hi aa raha hai, abhi devnaagri me blog
par kaise likhe, seekh raha hu.Chhama kariyega.)
हा हा!!
अभी अभी खबर मिली है कि मुंबई से हिमेश रेशमिया ने दिल्ली के अगड़म बगड़म लेखक के आईडियाज़ से प्रभावित होकर उन्हें अपने पी ए कम कंसलटेंट का पद ऑफ़र किया है। इससे भी बड़ी खबर अभी यह आ रही है कि इस ऑफ़र के बाद ये लेखक सोच रहें हैं कि यह पद स्वीकार कर लेने से तो अच्छा है कि या तो इंडिया से कल्टी हो जाएं या फ़िर इस जग से ही। कम से कम चैन से तो रह सकेंगे!!
ज्ञान दद्दा, बढ़िया हुआ कि आपने बस जानकारी ही ली रेशमिया के बारे में,दो चार गाने सुन लोगे तो दफ़्तर छोड़ रेलवे लाईन पर इंजन के सामने जाकर खड़े हो जाने की सोचोगे!!
मैं तो कहूंगी -"क्या मजेदार टिप्पणियां हैं"
वाह! क्या बढिया नाक पकड़ी है।
पहले टोपी वाली बात.क्योंकि यही सबसे गम्भीर मामला है.
हीरोइन यदि टोपी पहनेगी ( और वो भी आलोक भैय्या से) तो कही मज़ाक करते करते पीटो पीटो ना हो जाये.( मेरा मतलब हीरोइन से है ना कि आलोक भैय्या से)
... यूं किसी ने अ भी अभी बोला कि आलोक जी टोपी बढिया पहनाते है. .. क्यू जी.. पहनी है क्या ?
मज़ा तो तब आयेगा कि हिमेश कहे कि फिल्म मे हीरो और हीरोइन के पूज्य पिताजी का रोल भी वही करेंगे. अब सवाल है कि बाप बेटे को टोपी पहनायेगा कि बेटा बाप को .जमाई तो हिमेशा ( सौरी हमेशा) ही ससुर को टोपी पहनाता है.
लेकिन ऐसी फिल्म में जिसमें सब कुछ हिमेश ही करेगा, तो उसे देखेगा कौन? हिमेश अकेला ?
hahahaha...bechaara himesh...sab log haath dho ker uski naak aur topi ke peeche padh gaye hain....ab topi toh O.P. Nayyar bhi pehnate the..unse toh kabhi kisi ne kutch nahi kahaa...ab koi Himesh ko support kerne waala bhi hona chaahiye na...waise yunus bhai ki sujhaain sajaayein such mein laagoo ho gayi toh mein toh is dunia se kat loongi...ha ha ha ha ha....Alok ji kal kis per nazar padhne waali hai..badhaai...bahut badhiya likha hai....heroines aapko special dhanywaad kerengi..naya fashion sujhaane ka..sirf topi pehnane ka..waise bhi sir khali hota hai , chupaana padhta hai
सर ये आपकी ही नही मेरी भी वेदना है.....धन्यवाद.
वैसे शोले के री-मेक में हिमेश को ठाकुर वाला किरदार मिले तो गब्बर (ठाकुर को बंदी बना कर बाँध कर) कुछ ऐसे संवाद बोलेगा,"बहुल गान है इस नाक में, ये नाक जो मुर्दों को गाना सुना कर भगा देती है, याद है तूने कहा था कि ये नाक नहीं मरघट का घंटा है. खुल गया घंटा!! ये नाक मुझे दे दे ठाकुर...ये नाक मुझे दे दे ठाकुर..."
जैसे ठाकुर अपने कटे हाथों को शॉल से ठके रहते हैं, वैसे री-मेक में ठाकुर अपनी कटी नाक को टोपी से ढक़े रहेंगे.
maraj thakne malm hi ke kone ab himesh ke bal aaige.man lage thake bal koni to aap himesh se contec kare vo thane jadi buti dega
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