आलोक पुराणिक
यह निबंध बीए के उस छात्र की कापी से लिया गया है, जिसने एक निबंध प्रतियोगिता में टाप किया है। निबंध का विषय वह पुरानी कहावत थी-भागते भूत की लँगोटी।
इस कहावत में कुछ गड़बड़ है, भूत लँगोटी क्यों पहनता है।
क्या भूतलोक में भी एक-दूसरे से शर्म करने का प्रचलन है।
भूत लँगोटी पहनकर क्या साबित करना चाहता है, क्या उसके पास लँगोटी है या यह साबित करना चाहता है कि भूत लोक में भी नेतागण हैं जो इत्ते लुटेरे हैं, कि सामान्य भूतों के लिए सिर्फ लँगोटी बचती है। इस तरह से पता चलता है कि भूत लोक और इंसानी लोक कई तरह की समानताएं हैं।
भागते भूत की लँगोटी कहावत से यह पता नहीं चलता कि भूत भाग क्यों रहा है।
और उसकी लँगोटी में किसी की दिलचस्पी क्यों है। भूत की लँगोटी में दिलचस्पी किसी आम आदमी की नहीं हो सकती, जो अपनी ही लँगोटी बचाने में बिजी रहा है।
मेरे हिसाब से जरुर कोई विज्ञापन वाला उसके पीछे लगा है , वह जानना चाह रहा है कि आखिर भूत ने किस ब्रांड की लँगोटी पहनी है।
भूत की लँगोटी का ब्रांड पता करके विज्ञापन वाला भूत को प्रेरित करना चाहता है कि वह उसके ब्रांड की लँगोटी ही पहने।
पर यहां एक मसला और उठता है कि जो भूत लँगोटी पहनकर भाग रहा है, उसे लगता है अपनी महत्ता का पता नहीं है।
वह भागे जा रहा है, और तमाम टीवी चैनलों वाले उसके पीछे भागे जा रहे हैं, किसी भूत वाले प्रोग्राम में भूत को सैट करने के लिए।
भूत से कमाई होती है, उससे कई टीवी चैनल वालों के सूट-पैंट बनते हैं। हो सकता है कि कोई टीवी चैनल वाला कृतज्ञता ज्ञापन करने के लिए भूत को सूट-पैंट देने के लिए भूत के पीछे भाग रहा है।
इसलिए नयी कहावत यूं हो सकती है-भागते भूत को सूट, भूत यूं ना फूट।
आलोक पुराणिक मोबाइल-09810018799
9 comments:
आज रात बारह बजे देखता हूं टी वी पर..फिर सोचूंगा कि सूट या लंगोटी.
पहले पता होता तो भूत यूँ ना भागता.
ये बात है जी ,मतलब सारे भूत प्रायोजित किसम के है.और उन्हे केवल चड्ढी का ही प्रायोजक मिल पाया..?.इस पर एक सेमीनार कर लेते हैभूत प्रायोजक स्मस्या निवारण पर..?आखिर देश के भूतो के भविष्य का स्वाल है ..:)
आपकी पोस्ट् में छपी भूत की फ़ोटो से भागते भूत् को लंगोटी भली का कारण समझ में आता है। भूत भाग रहा है उसकी कमर पतली है। विश्वसुंदरी टाइप। जब वह भागता है तो उसका पैंट सरकता होगा। चढ्ढी भी साथ छोड़ देती होगी। इसीलिये उसने लंगोट् की तरफ़ ध्यान् दौड़ाया होगा ताकि वह् नीचे से ऊपर और् दांये-बायें बंधा रहे। जब वह भागे तब भी साथ न् छोड़े। चूंकि आप सब कुछ् बाजार् के बजरे पर चढ़ के देखते हैं इसलिये आपसे इत्ती सी बात रह गयी। :)
अंदरगारमेंट कंपनियां आपका आइडिया चुरा कर मुनाफा कमाऎगीं ! आपसे गुजारिश है कि इतनी उदारता न दिखाऎ...
हा हा!!
भूत को सूट पहना दोगे तो गज़ब हो जाएगा ना सरकार, बहुत से टी वी वालों के तन से सूट गायब हो जाएगा फ़िर तो!!
मस्त है
यह पोस्ट प्रायोजित है - टोह लेने को कि ब्राण्डेड लंगोट का मार्केट कैसा रहेगा! :)
कौन सी कम्पनी वाले से सैटिंग की है! :)
अब तो भूतनी को नदिया में लंगोट भी घोना पडेंगा और चुडैलों को आंख फाड फाड के देखना भी पडेंगा भाई ।
भूत के बहाने ही सही, लँगोट पर तो आपने लिख दिया .अब चोली पर कुछ चटखारे दार हो जाये आलोक जी,
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