आउट-साइड सपोर्ट उर्फ बाहर से हूटेंगे
आलोक पुराणिक
भारतीय क्रिकेट के एक सीनियर राजसिंह डूंगरपुर बता रहे हैं कि माकपा ने सौरव गांगुली को मौका न दिए जाने की स्थिति में संसद में बोर्ड के खिलाफ प्रस्ताव रखने की धमकी दी थी।
बढ़िया है, माकपा सिर्फ सरकार को ही बाहर से समर्थन नहीं देती, क्रिकेट को भी देती है।
पर नतीजा दोनों मामले में एक ही होता है-फजीहत।
पर माकपा की बात भी सही है कि सारी फजीहत सिर्फ शरद पवार क्यों करायें। फजीहत की मोनोपोली सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास क्यों हो।
माकपा किसी भी किस्म की मोनोपोली के खिलाफ है। इसलिए उसका हाथ भी लगना ही चाहिए, भारतीय क्रिकेट में।
पर वह चिंता का मसला नहीं है।
मसला यह है कि क्रिकेट राष्ट्रीय खेल है। इसमें सिर्फ माकपा ही क्यों खेल करे। कुछ मौका औरों को भी मिलना चाहिए। दक्षिण की सारी पार्टियों को मौका मिलना चाहिए। शिव सेना, भाजपा सबके सब इसमें हाथ बंटायें।
साथी हाथ बढ़ाना।
संसद को एक प्रस्ताव पास कर देना चाहिए कि क्रिकेट टीम का चयन अब संसद द्वारा किया जायेगा।
मुझे कई दिव्य दृश्य अभी से नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रपति के चुनाव में शिव सेना ने जो किया है, उसे देखकर अंदाज लगता है कि किसी क्रिकेट मैच में एक रोचक दृश्य यह आ सकता है-
इंडियन क्रिकेट में शिव सेना ने पांच महाराष्ट्रीय खिलाड़ी रखे हैं। इंडियन टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने जा रही है। आस्ट्रेलियन टीम ने रणनीति के तहत आस्ट्रेलिया में बसे एक महाराष्ट्रीयन बंदे मान लो-राजू कुलकर्णी को आस्ट्रेलियन टीम का कप्तान बना दिया है।
अब शिव सेना घोषित कर देगी कि हमारे पांचों के पांचों के प्लेयर आस्ट्रेलिया के पक्ष में खेलेंगे। राजू कुलकर्णी जब शाट मारेंगे, तो उसे हमारे बंदे फील्ड नहीं करेंगे। बल्कि खुद ही लात मारकर बाल को बाऊंड्री के पार कर देंगे।
राजू कुलकर्णी का कैच कोई इंडियन खिलाड़ी नहीं पकड़ेगा-शांत मराठी मानुस चा खेल चालू आहे।
राजू कुलकर्णी को जिस इंडियन बालर ने आउट करने की हिमाकत की, उसे शिव सैनिक सरे स्टेडियम ठोंक देंगे।
अब टीम कप्तान भले ही भाजपा नेताओँ की तरह घिच-घिच करे, शिव सेना नेता साफ कर देंगे-शटअप खेल ऐसे ही चलेगा।
पर मुझे ज्यादा टेंशनात्मक सीन साऊथ का लग रहा है।
करुणानिधि की पार्टी इंडियन क्रिकेट टीम में नामिनेट करेगी करुणानिधि के एक बेटे को, तो दूसरे बेटे के समर्थक इंडियन टीम के चयनकर्ताओं को ठोंक-पीट जायेंगे। यह बताते हुए कि करुणानिधि की विरासत पर सिर्फ सलेक्टेड बेटे का ही हक नहीं है। दूसरा बेटा भी है।
पिच पर दोनों बेटों के समर्थक ही इतनी मार मचा देंगे कि मैच न हो पायेगा।
और हम हार से बच जायेंगे।
इस तरह से करुणानिधि भारतीय क्रिकेट की लाज बचायेंगे।
लेफ्ट फ्रंट के सारे घटक दल मिलकर भारतीय क्रिकेट के साथ जो कर सकते हैं, वो अति ही धांसू होगा। लेफ्ट फ्रंट के नामिटेड किये हुए सारे खिलाड़ी सिर्फ बैटिंग करेंगे।
जब इनका नंबर फील्डिंग का आयेगा,तो वे आराम से स्टेडियम में बैठेंगे।
इंडियन टीम का कप्तान जब इनसे प्रार्थना करेगा कि महाराज प्लीज फील्डिंग कर लो।
तो लेफ्ट फ्रंट वाले घोषित कर देंगे-जी हम तो सिर्फ बाहर सपोर्ट करते हैं। फील्ड के अंदर से सपोर्ट करना हमारी पालिसी नहीं है।
आउट-साइड सपोर्ट का मतलब यह भी है कि बाहर से हूट करेंगे।
मतलब लेफ्ट फ्रंट के नामिटेड खिलाड़ी यह भी कर सकते हैं- कि इंडियन टीम के खिलाड़ियों के आउट होने पर तालियां बजायें।
इसकी सफाई में वे यह कह सकते हैं-सपोर्ट देने का मतलब यह थोड़े ही ना है कि हम हर बात में टीम के साथ हैं।
मुझे चिंता भाजपा द्वारा नामिनेट किये जाने वाले खिलाड़ियों को लेकर हो रही है।
भाजपा के खिलाड़ी तो आपस में ही धड़ाम-धुड़ूम मचाना शुरु कर देंगे। मारधाड़ करते हुए ये खिलाड़ी कहेंगे कि पहले आपस में एक-दूसरे को निपटा लें, फिर विपक्षी टीम से निपटेंगे।
आपस में निपटते-निपटते सब कुछ निपट जायेगा और इंडियन टीम खेलने से बच जायेगी।
और हां हार से भी, यह इंडियन क्रिकेट टीम को भाजपाई योगदान होगा।
इस मामले में सबसे धांसू परफारमेंस मायावतीजी की पार्टी की होगी। उनके खिलाड़ी कुछ भी करने से पहले यही कहेंगे कि बहनजी से पूछना पड़ेगा।
बसपा कोटे के खिलाड़ी कैच नहीं लेंगे, कहेंगे बहनजी की परमीशन चाहिए।
बसपा कोटे के खिलाड़ी बैटिंग करने नहीं उतरेंगे, कहेंगे बहनजी की परमीशन चाहिए।
विपक्षी टीम झल्लाकर खेलने से इनकार कर देगी। और इस बसपाई योगदान ने भारतीय टीम हारने से बच जायेगी।
और कांग्रेस के मामले में तो मामला एकैदम साफ होगा। कांग्रेस कोटे के सारे प्लेयर कहेंगे-जी हम क्या करेंगे, जो कुछ करेंगे, वह राहुल भैया करेंगे।
जीत गये तो सब कहेंगे कि जीते इसलिए कि मैंने काम किया।
और हार गये, तो जिम्मेदारी राहुल भैया की मानी ही जायेगी।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-09810018799
Monday, July 2, 2007
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8 comments:
जी बहुत ही आधिकारिक वक्तव्य दिया है आज आपने ,हमे तो लग रहा है कही आप पीछे से कई सारी पार्टियो को राजनीतिक राय तो नही देते ,लेकि न राहुल भैया के बारे मे गलत लिख मारा
जीत गये तो सब कहेंगे कि जीते इसलिए कि मैंने काम किया।
और हार गये, तो जिम्मेदारी राहुल भैया की मानी ही जायेगी।
की जगह यह होना चाहिये था
जीत गये तो सब कहेंगे कि जीते इसलिए कि राहुल भैया ने काम किया।
और हार गये, तो जिम्मेदारी वहा के कार्य करताओ की मानी ही जायेगी।
अरुण के कह देने के बाद कुछ बचा नहीं...अरुण ने जो कहा, इन्क्लूडिंग शेर, हमारी बात मानी जाये..और अरुण अपनी बात अलग से कहें. :)
बहुत खूब, आलोक भाई.
मेरी गुजारिश है कि शीघ्र ही आपको क्रिकेट बोर्ड का चैयरमैन बनाया जाय.ताकि कुछ सीटें हम ब्लौगरों की भी पक्की हो सकें.
काकेश , कहाँ हो यार...दिख नहीं रहे..इसलिये यहाँ पकड़ा...आलोक भाई का आभार आपको वापस ले आये. :)
काकेश > मेरी गुजारिश है कि शीघ्र ही आपको क्रिकेट बोर्ड का चैयरमैन बनाया जाय.ताकि कुछ सीटें हम ब्लौगरों की भी पक्की हो सकें.
मुझे नहीं लगता.
क्रिकेट बोर्ड का चेयरमैन होने पर पुराणिक ब्लॉगरी भूल जायेंगे. तब इनके नक्शे ही दूसरे होंगे. देखते नहीं - पंवार जी कृषि मंत्रालय चलाने के अलावा सारे काम कर रहे हैं.
जी हाँ! कोँग्रेस की टीम का चयन अकेले सोनिया गाँधी ही करेंगी. कप्तान तो राहुल होंगे (या सोनिया ये भी कह सकती हैं की, उनकी फ़ैमिलि के लोगों को बॉडीलाईन बालें फ़ेकी जाती हैं, सो कप्तान मनमोहन सिंह होंगे.
बहुत सही मुद्दे पर, सटीक!!
सही विचार है! शुरू की जाये हूटिंग!
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