Sunday, August 26, 2007

ज्यादा पैसे लेकर भी

ज्यादा पैसे लेकर भी

आलोक पुराणिक

से क्या कहें को-इनसिडेंट या को-एक्सीडेंट, जिस दिन शरद पवारजी वाले क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने सीनियर टीम से लेकर जूनियर क्रिकेट अगड़म -बगड़म-हर किस्म के क्रिकेट के क्रिकेटरों के लिए रकम बढ़ाने की घोषणा की, उसी दिन इंडिया डे मैच हार गयी।

अपना मानना है कि इंडिया की टीम ऐसे नहीं हारी, उसने अपने ऊपर लगे आरोप का जवाब दिया है। इंडिया की टीम पर आरोप लगता रहता है कि उसके खिलाडी सिर्फ माडलिंग, इश्तिहार पैसे के लिए खेलते हैं। जैसे पवार साहब ने पैसे बढाये, टीम ने हारकर दिखा दिया, लो हम पैसे के लिए भी नहीं खेलते। ज्यादा पैसे लेकर भी हम हार सकते हैं।

वैसे मुझे लगता है कि कपिल देव वाली क्रिकेट लीग का भविष्य एकदम चकाचक है। अगर उसके खिलाडियों को ज्यादा पैसा मिलता है, तो उनके मजे हैं ही। और अगर उसके खिलाडियों को पवार साहब के खिलाडियों से कम पैसा मिलता है, तो कपिल के खिलाडी कह सकते हैं कि हम बेहतर हैं, क्योंकि हम सस्ते में हारते हैं। सो विदेशों में हारने का पहला हक उनकी टीम का बनता है।

मुझे लगता है कि कुछ समय बाद, चार-छह क्रिकेट लीग टाइप संस्थाएं हो जायेंगी, बडी बमचक रहेगी। हर क्रिकेट संस्था वाला अपनी टीम की मार्केटिंग करेगी-रस्ते का माल सस्ते में, हम से हरवाईये, एकदम सस्ते में काम चलाईये। एक मैच हारने की फीस में दो मैच हारेंगे, एक पे एक फ्री।

दिल्ली में आजापुर सब्जी मंडी के साथ ही क्रिकेट मंडी सी हो लेगी। सुबह-सुबह खिलाडी बैट-बाल लिये आ जायेंगे। क्रिकेट के सारे आढ़तिये अपने मतलब के खिलाड़ियों को बटोर लेंगे।
इधर सीन बहुत मजेदार सा हो लिया
है।

जो मजा पहले पालिटिक्स की जूतम-लात में आता था, अब क्रिकेट की बातों में आता है।

शरद पवार कह रहे हैं कि जो खिलाडी कपिल देव की क्रिकेट लीग को ज्वाइन करेंगे, वे देश के लिए नहीं खेलेंगे। जैसे जो खिलाडी पवार साहब के पास हैं,, वे देश के लिए ही खेलते हैं या पूछें कि क्या वे हमेशा खेलते भी हैं।

खैर, पब्लिक को मालूम है, पवार साहब को नहीं, कि इंडियन क्रिकेटर आम तौर पर च्यवनप्राश, कोल्ड ड्रिंक वगैरह के लिए खेलते हैं।

सबसे ज्यादा आफत विज्ञापन बनाने वालों की होगी। पता लगा कि कोई कोल्ड ड्रिंक वाला पवारजी वाले प्लेयर को पिलाता रह गया और सेंचुरी ठोंक दी कपिलदेव वाले प्लेयर ने।

एक विज्ञापन कंपनी वाला बता रहा था जी हमने तो तैयारी यूं की है कि विज्ञापन में खिलाडियों के सिर दिखायेंगे ही नहीं। बस दौड़ते़ -भागते धड़ दिखायेंगे, फिर जिस टीम की परफारमेंस ठीक रहेगी, उसे ही अपनी टीम बता लेंगे। धड़ों पे सिर बाद में ठोंक देंगे। वैसे भी इंडियन क्रिकेट में सिर ज्यादा हो गये हैं। नेताओं के सिर, धंधेबाजों के सिर। सिर कम हों, एक्शन ज्यादा हो, तो बात बने।

मैंने कहा-इश्तिहार में खिलाडियों के सिर्फ धड़ दिखाओगे। क्रिकेट के नाम पर पब्लिक को बेवकूफ बनाओगे।

वह बुरा सा मान गया-बोला-जी और बेवकूफ बना रहे हैं, आप उन्हे नहीं कहते। सिर्फ हमें कहते हो।

बात में दम है जी। जब सभी बना रहे हैं,तो सिर्फ इश्तिहार वालों से ही क्यों कहा जाये।

आलोक पुराणिक मोबाइल-09810018799

10 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

"वैसे मुझे लगता है कि कपिल देव वाली क्रिकेट लीग का भविष्य एकदम चकाचक है।"
डा. स्मार्ट निवेष पुराणिक; साफ-साफ बतायें - क्या एस्सल के शेयर पर "खरीद" का रिकमेण्डेशन है यह! :)

अनूप शुक्ल said...

सस्ते में हारने का फ़ंडा अच्छा है!

Arun Arora said...

सही विष्लेषण..:)

हरिमोहन सिंह said...

हा हा हा एस्‍सल का शेयर , भाई कहॉं से कहॉं पहुँच जाते हो । पुराणिक द स्‍मार्ट भी अगडम बगडम हो जायेगा इससे तो ।

ghughutibasuti said...

सदा की तरह बहुत बढ़िया ।
घुघूती बासूती

Sanjeet Tripathi said...

सही!!

ravishndtv said...

क्रिकेट में किटी पार्टी हो रही है। मज़ा आ रहा है। धीरे धीरे क्रिकेट मैच का हाल हिंदी न्यूज चैनल वाला होने वाला है। अब लोगों की शादियों सालगिरहों के मौके पर भी क्रिकेट मैच हुआ करेंगे। किसी नेता की पचहत्तरवीं जयंती पर भी नेशनल स्टेडियम में बड़ा मैच होगा। यह होने भी लगा है मगर छो़टे मोटे स्तर पर। लेकिन अब होगा...हर स्तर पर।

dpkraj said...

बहुत बढ़िया व्यंग्य है।
दीपक भारत दीप

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया !

Devi Nangrani said...

सच्चाई को आइना क्या?
बहुत खूब

देवी