Tuesday, August 21, 2007

चांऊग शी कांऊ जूं चीं चीं

चांऊग शी कांऊ जूं चीं चीं
आलोक पुराणिक
स्वतंत्रता दिवस बीत चुका था। सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा-टाइप देशभक्ति कैसेट फिर से स्टोर में चले जाने चाहिए थे, कायदे से। पर नहीं ऐसा नहीं हुआ।
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा- एक गोरा बंदा गाना टाइप गा रहा था।
मैंने कहा भईया अच्छा है हिंदोस्तां, पर तू क्यों गा रहा है। यह तो हमें गाना चाहिए। पर फिलहाल गाने में असमर्थ हैं-क्योंकि पानी नहीं आया है तीन दिनों से, सो नहा नहीं पाये हैं। और सो नहीं पाये हैं, क्योंकि बिजली नहीं है सात दिनों से। पूरे मुहल्ले का बिजली-तार चोरी हो गया है, बिजली अफसरों के नेतृत्व में। इसके बावजूद हिंदोस्तां हमारा बहूत अच्छा है,क्योंकि होने को तो यह पाकिस्तान या बंगलादेश या श्रीलंका भी हो सकता था या युगांडा या सोमालिया भी-मैंने एक साथ सवाल, स्पष्टीकरण गोरे के सामने रखा।
गोरे ने बताया कि वह नोकिया मोबाइल कंपनी का मार्केटिंग मैनेजर है, जित्ते हैंडसेट उसकी कंपनी इंडिया में बेच चुकी है, उतनी तो उसके देश की कुल पापुलेशन भी नहीं है।
गोरे की बात में दम है। जिन देशों में पापुलेशन कंट्रोल हो गया, वहां मोबाइल की सेल डाऊन हो गयी।
थैंक्स टू इंडियन्स-जितनी आबादी दिल्ली के आठ-दस मुहल्लों की मिलाकर है, उतनी आबादी एक पूरे देश की है-फिनलैंड की, करीब पैंतालीस लाख, नोकिया कंपनी का देश।
पापुलेशन कंट्रोल हो गयी होती. तो फिर इस कंपनी के लिए भारत सारे जहां से अच्छा नहीं रहता।
पापुलेशन कंट्रोल नहीं हुई, सो सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हो लिया।
चांऊग शी कांऊ जूं चीं चीं –एक चीनी टाइप बंदा कह रहा है।
इसका मतलब है –सारे जहां से अच्छा से हिंदोस्तां हमारा-चीनी बंदा लक्ष्मी-गणेश का मार्केटिंग मैनेजर है, उन वाली गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों का, जो चीन से इंडिया लायी गयी हैं, दीवाली पर बेचने के लिए।
पर ये माल इंडिया आ कैसे गया-मैं चीनी से पूछ रहा हूं।
पुलिस, स्मगलर कोआपरेशन से-वह बता रहा है।
इंडिया में पब्लिक भले ही शिकायत कर ले कि पुलिस सहयोग नहीं करती, पर स्मगलर कभी शिकायत नहीं करते कि पुलिस का कोआपरेशन नहीं मिलता।
अगर पुलिस कोआपरेटिव नहीं होती, तो बताइए कि क्या चीनियों के लिए हो सकता था-सारे जहां से हिदोस्तां हमारा।
नहीं ना।
इधऱ मैं सोच रहा हूं कि फिनलैंड, चीन वालों के जितना अच्छा है हिंदोस्तान, उतना हमारे लिए क्यों नहीं हो पाता।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-09810018799

7 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

आप को इतिहास की जानकारी नहीं है क्या - शक/यवन/कुषाण से लेकर मंगोल/तुर्क/अंग्रेज सभी के लिये तो हिन्दुस्तान हमारा रहा है. उस जमाने की (तथाकथित पुलीस/सेना) ने सब को कोआपरेट किया है. सो अब क्या पहाड़ टूट पड़ा.
आप अपने शिष्य़ों को सही परिप्रेक्ष्य में इतिहास पढ़ाया करें.

Udan Tashtari said...

अजदक इसी की एजेन्सी के जुगाड़ में तो उच्च स्तरीय साहित्यिक सम्मेलन में गये हैं चीन.साहित्य तो बहाना है? हा हा!!

आप ऐसे ही खुलासा करते रहे तो मित्र तो कर चुके कमाई. ना खुद कमाते हो न कमाने देते हो. :) किस टाईप के हो भाई.

Arun Arora said...

एक बात भुल गये गुरुदेव भारत मे वामपंथियो को.उनके लिये तो हमेशा से सारे जहा से अच्छे चीनी भाइ रहे है ..केतना साथ दिये है और दे रहे है किसी से भी पूछ लो...?

चंद्रभूषण said...

आपकी पिछली सारी नहीं तो बहुत सारी पोस्टों में यह सबसे अच्छी है- भाषा से ऊपर उठकर कथ्य से लुभाने वाली शानदार रचना!

परमजीत सिहँ बाली said...

बात तो सच्ची है..इसी लिए तो वही लोग ज्यादा गाते हैं जिन्हें कुछ मिल रहा है...सारे जहाँ से अच्छा...:(

Sanjeet Tripathi said...

बाकी सब ठीक है पर आप बंदों से कब से बातें करने लगे, बंदियों को छोड़कर!

Unknown said...

mujhe to sare jaha se acche to aap hi lagate ho gurudev . kyoun kya khayal hai.