Sunday, August 12, 2007

भाग बालक, भाग बालिका

भाग बालक, भाग बालिका
आलोक पुराणिक
चालू चैनल के बास लोग चिंतित है। क्या किया जाये।
ना कोई लड़की किसी लड़के के साथ भागी।
बास लोग कह रहे हैं कि अगर लड़के और लड़कियां येसेई शराफत पर उतरे रहे, तो चैनलों का क्या होगा। क्या दिखाया जायेगा। जिस हिसाब से मारा-मारी हो रही है, उस हिसाब से कुछ समय बाद तमाम चैनल अपने रिपोर्टरों की ड्यूटी लगायेंगे –बेट्टा फी रिपोर्टर पांच-पाँच लड़के-लड़कियों को भगाकर शादी कराओ, फिर उन्हे टीवी पर दिखाओ। तब नौकरी चलेगी।
लड़के-लड़की भागते हैं, तो मां-बाप के लिए समस्या पैदा हो जाती है।
लड़के-लड़की नहीं भागते हैं, तो टीवी चैनलों के लिए समस्या पैदा हो जाती है, क्या दिखायें। चैनल बंद होने का खतरा आ जाता है। नौकरियों पर संकट आ लेता है।
कईयों का रोजगार बच पाये, इसलिए कुछ लड़के और लड़कियों भागना पड़ेगा। उनका कुछ कर्तव्य इस समाज के प्रति, समाज के रोजगार अवसरों के प्रति बनता है या नहीं।
हे बालिका, हे बालक भाग।
चालू चैनल के बास लोग चिंतित हैं इस बात पर कि लाल हवेली पर काला भूत बहुत दिनों से नहीं आ रहा है।
भूत कहीं और निकल गया है।
भूत कहीं और निकल जाये, समस्या नहीं है। समस्या यह है कि कंपटीटर चैनल वाले की पकड़ में वो भूत नहीं आना चाहिए।
पिछले बार आफत हो गयी थी-कंपटीटर चैनल वाले एक एक्सक्लूसिव भूत ले आये थे। जिसके बारे में बताया गया था कि यह भूत सिर्फ और सिर्फ उसी चैनल पर मौजूद है।
पहले भूत निकलता था, तो लोग डरते थे।
अब भूत ना निकले, तो टीवी चैनल के लोग डरते हैं।
भूत ना निकला, तो रात को क्या दिखायेंगे।
शास्त्रों में लिखा है कि अतृ्प्त इच्छाओँ को पूरा करने के लिए भूत योनि मिलती है।
अब लिखा जा सकता है कि टीवी चैनल वालों की इच्छा पूरी करने के लिए भूत योनि मिलती है।
जल्दी ही चालू चैनल के रिपोर्टरों को बताना पड़ेगा, हर हफ्ते एक नया एक्सक्लूसिव भूत नहीं पकड़ा, तो भूत बना दिये जाओगे।
वैसे चालू चैनल के रिपोर्टर चर्चा करते हैं, कि मरकर भूत बन जायें तो अच्छा। टीवी चैनलों के दफ्तर में कम से कम डिमांड तो रहेगी।
दुनिया के सारे भूतों बाहर आओ, प्लीज टीवी पर क्या दिखायेंगे।
चालू चैनल के बास लोग परेशान हैं-बहुत दिन हुए किसी कन्या ने दावा नहीं किया कि वह इच्छाधारी नागिन है। या किसी नागिन ने दावा नहीं किया कि वह इच्छाधारी इंसान है।
नागिनें समझदार हैं, इंसान होने की इच्छा नहीं करतीं।
नागिनें क्या, पूरा नाग समाज समझदार है, कभी इंसानों को टीवी पर देखने की इच्छा नहीं करता।
पर इंसानों को नाग-नागिन चाहिए ही चाहिए।
वो तो इच्छाधारी नाग और नागिनों का अहसान मानना चाहिए तमाम टीवी रिपोर्टरों को कि इच्छाधारी नाग और नागिन और टीवी चैनलों पर नौकरी मांगने नहीं आते। वो अगर नौकरी मांगने आने लगे, इंसानी रिपोर्टरों को नौकरी कहां मिलेगी।
मैं चैनल वालों को समझाता हूं –भईया बुश और इराक के मामले पर कुछ रिपोर्ट दिखाओ ना।
चैनल वाला पूछता है-बुश और इराक क्या नाग-नागिन हैं।
मैं डांटता हूं-जनरल नालेज बहुत पुअर है तुम्हारा।
वो बता रहा है –बिलकुल नहीं, नाग-नागिनों कि कितने प्रकार हैं, उसे पता है। बाकी बुश इराक को पब्लिक देखती नहीं है। बुश को क्या देखें, नाग को ही देख लें। नाग देखने में क्यूट तो लगते हैं, यह बात बुश के बारे में नहीं कही जा सकती।
मैं समझा रहा हूं कि एकाध रिपोर्ट बढ़ती जनसंख्या पर भी करवा लो।
चैनल वाला कह रहा है-अगर जनसंख्या भूतों की बढ़ रही हो, तो रिपोर्ट करवा लें। इंसानों में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है।
आप ही बताइए उसे कैसे समझाया जाये।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-09810018799

8 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

इतने खतरनाक विषयों पर लिखते हैं पण्डिज्जी? ब्लॉग का नाम "भूत की चीख", "सफेद साये का सच", "नकाब की आवाज", "कच्ची कलियों की हत्या" छाप फड़कता हुआ क्यों नहीं रख लेते. आपका हिट ब्लॉग हिटमोस्टेस्ट हो जायेगा!

ePandit said...

अभी बाड़मेर पुलिस को जाकर शिकायत करते हैं कि आलोक जी बालक-बालिकाओं को भागने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। :)

आपने पोस्ट के शीर्षक दोबारा हिन्दी में लिखना शुरु किया, देखकर अच्छा लगा।

Yunus Khan said...

चलो अच्‍छा हुआ कोई तो मिला जिस पर ठीकरा फोड़ा जा सके । अब यहां से सात कोस दूर जब लड़की भागेगी तो मां कहेगी देख आलोक ने लिखा था इसलिए भाग गई

ghughutibasuti said...

हे बालिका, हे बालक भाग। चाहे विपरीत दिशा में भाग ।
घुघूती बासूती

Sanjeet Tripathi said...

ह्म्म सही है!!

वैसे एक बात दस्सो जी, ये जो आप शीर्षक अंग्रेजी मे दे रहे थे क्या सर्च इंजन तक पहुंच के लिए दे रहे थे?

Udan Tashtari said...

भागने का क्रेश कोर्स नहीं चलाये कि कहाँ, कैसे, कब और किस दिशा में सेफली भागें ताकि बाकि कोई न देख पाये सिर्फ चैनल वालों के सिवाय और कैसे नाम कमा कर वापस आयें. चुप्पे भागने वाले तो अब भी निकल ही रहे होंगे.

मस्त है जी!! हिन्दी मे शीर्षक वापसी के लिये साधुवाद.

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

कहते हैं भागते भूत की लंगोटी भली. अगर लड़की को भूत या लड़के को भूतनी या भूत-भूतनी को ही भगा दिया जाए तो कैसा रहेगा? आपके कोलेज में इसके लिए कोर्स ही क्यों न शुरू करवा दें!

Unknown said...

chalo yahi sahi.....kisi ne balak balikao ka disa nirdesh to kia...