तो तू आ क्यों जात्ता है
आलोक पुराणिक
मई-जून के महीने विश्वविद्यालय टीचरों के लिए कुछ गलतफहमी के होते हैं। उनकी पूछ कुछ इस तरह से बढ़ जाती है, जिस तरह से श्राद्ध पक्ष में पंडों की। यह खाकसार भी लपेटे में आ गया और बच्चों को एक कैरियर काऊंसलिंग सेशन में बता रहा था कि सीए कर लो, एमबीए कर लो, लॉ कर लो।
एक छात्र बोला - मैं अभी एक अमेरिकन मैगजीन में पढ़कर आ रहा हूं, हथियार के डीलर सबसे ज्यादा कमाई करते हैं। आप ये वाला कैरियर आप्शन तो बता ही नहीं रहे हो।
मेरा अज्ञान मेरे ज्ञान से बहुत ज्यादा है। इस कैरियर के बारे में मुझे ज्ञान नहीं है-मैंने अपनी असमर्थता जाहिर की।
जब पता नहीं है, तो तू आ क्यों जात्ता है बताने -छात्र ने एकदम स्वाभाविक प्रतिक्रिया की।
मैं खुश हुआ, कितना विनम्र बालक है। वरना , वो तो ठोंक भी सकता था मुझे।
देखो, हथियारों के बारे में जानकारी तो आर्मी में मिलती है, एयरफोर्स में मिलती है। मेरे ख्याल में तुम्हे सेना या एयरफोर्स में जाना चाहिए। वहां सारी जानकारियां होती हैं -मैंने अपनी तरफ से समझाने की कोशिश की।
वह तो तमाम मैगजीनों में हैं। हमें तो ये बताओ कि हथियारों के सौदे कैसे होते हैं, कौन करवाता है। स्विस खाते में रकम कैसे जमा होती है। मिग चलाने वाला पायलट को हजारों मिलते हैं, पर मिग बिकवाने वाले को अरबों मिलते हैं। गुरुवर कुछ इस पर प्रकाश डालें-छात्र ने आगे कहा।
इस संबंध में चंद्रास्वामी, क्वात्रोकि, और भी तमाम विद्वान प्रकाश डाल पायेंगे। उनसे मिलो-मैंने बताया।
पर इनसे मिलने के लिए क्या सैटिंग करने पड़ेगी, इस पर कहीं कुछ किताब है-छात्र ने आगे पूछा।
नहीं, यह सब मेरी जानकारी में नहीं है-मैंने फिर असमर्थता जाहिर की।
जब पता नहीं है, तो तू आ क्यों जात्ता है बताने छात्र ने फिर एकदम स्वाभाविक प्रतिक्रिया की।
बेटा, तुम चाहो तो एकाउंटेंट बन सकते हो, वकील बन सकते हो-मैंने छात्रों के सामने और कैरियर विकल्प रखे।
एकाउंटेंट बनकर भी अगर इन हथियार डीलरों के एकाउंट रखने हैं और इन्ही के लिए अगर केस लड़ना है, तो फिर सीधे इन जैसा क्यों न बन लिया जाये। मेरे शहर के एक बंदे के पास अठ्ठाईस पेट्रोल पंप हैं। कुछ पेट्रोल पंपीय कैरियर बनाने के नुस्खे बताइए। पेट्रोल पंप कैसे हासिल करें, इस विषय पर कोई लेक्चर दें या किताब बतायें-छात्र ने आगे पूछा।
इस संबंध में उससे ही पूछो, जिसके पास इतने पेट्रोल पंप हैं-मैंने अपनी राय दी।
वो क्या बतायेंगे, पूरे शहर को मालूम है। वह तो उन वाले केंद्रीय मंत्री के दामाद हैं। आप तो ये बताओ मंत्री का दामाद कैसे बना जाये, क्या इस विषय पर कोई कोर्स या किताब उपलब्ध है-छात्र आगे पूछ रहा है।
जी मुझे नहीं पता-मैं फिर कह रहा हूं।
जब पता नहीं है, तो तू आ क्यों जात्ता है बताने -छात्र ने फिर स्वाभाविक प्रतिक्रिया की।
मैं भी यही सोच रहा हूं कि जब मुझे पता ही नहीं है, तो मैं कैरियरों के बारे में बताने जाता क्यों हूं।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-9810018799
Tuesday, June 26, 2007
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9 comments:
दोष 100% आपका है. जब कुछ पता नहीं....
अच्छा यह बताएं भूमि अधिग्रहण (पढ़े अतिक्रमण) वाले केरियर पर कुछ प्रकाश डाल सकते है?
रेल्वे के ठेके कैसे प्राप्त करें?
अरे भाई जब कुछ पता नहीं....
सुनते हैं कि किडनैपिंग मे भी बड़ा पैसा है। तनिक इस विषय पर प्रकाश डालें...!
आलोक पुराणिक जैसा व्यंग्य लेखक कैसे बनें, इस विषय पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं?
जी कहना तो मैं भी बहुत कुछ चाहता था पर मुझे इन सब के बारे में कुछ भी नहीं मालूम.. इसलिये चुप हूँ...
श्रीश उवाच > आलोक पुराणिक जैसा व्यंग्य लेखक कैसे बनें, इस विषय पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं?
बिल्कुल सही सवाल. व्यंग लेखन भी आर्म्स सप्लाई और किडनैपिंग जैसा फायदेमन्द सौदा है. अब कहें व्यंगकार जी :) :) :) :)
आज जमाना उल्टा आ गया है आप क्या बतायेंगे आपको अब मेरे ख्याल से छात्र खुद ही बता देंगे आगे आने वाले समय में क्या होने वाला है...देखते है ना हमारा देश दिन-पर-दिन प्रगती कर रहा है...
शानू
गुरुदेव हमे तो इन छात्रो के बारे मे बताये उनसे कैसे और कहा मिला जा सकता है,कुछ उन्ही से सैटिंग करवा दे.
भाई, जब कुछ पता ही नहीं और छोटे छोटे बालकों से बचते बचाते निकल आये तो यहाँ क्या ज्ञानगंगा बहा रहे हो? ऐसी प्रर्दशनी पहली बार देखी. हा हा
-अच्छा, अब श्रीश को बता दो. देखो, पहली बार कुछ पूछ रहा है. (हम भी उसी में से टीप लेंगे). :)
सच है…हमें भी वो राज बता दो…।
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