ऐसी-तैसीकरण के नये फंडे
आलोक पुराणिक
इधर चिंतन किया है, पुराने टाइप के शाप कुछ आउटडेटेड हो गये हैं। जैसे पुराने टाइप के ऋषि किसी को शाप में खंभा बना देते थे, किसी को सांप बना देते थे। किसी को गंधर्व बना देते थे। मामला अब उलटा हो गया है। अब रास्ते में आये किसी खंभे से ऋषिवर नाराज हो जायें, तो वह शाप दे सकते हैं जा आदमी बन जा और निठारी में बतौर बालक तेरा अगला जन्म हो। या शाप दे दें या जा तू गाजियाबाद में इंसानी योनि में पैदा हो, जहां तू अपहरण, बिजली की अनुपस्थिति से बच जाये, तो चोरों की उपस्थिति से तेरी ऐसी-तैसी हो जाये। कतिपय ऐसे ही शाप किंवा बद्दुआओं पर इस खाकसार ने विचार किया है, जिन पर ऋषिगण भी विचार कर सकते हैं या सामान्यगण भी आपसी गाली-गलौज में इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
तेरे क्रेडिट कार्ड की लिमिट तब खत्म हो जाये, जब तू गर्ल फ्रेंड के लिए गिफ्ट ले रहा हो। प्रेमी जनों के लिए या प्रेम की शुरुआती राह पर चल रहे बंदों के लिए इससे विकट शाप कोई हो ही नहीं सकता।
तेरे मोबाइल का नेटवर्क तब ही ठप हो जाये, जब तेरी गर्लफ्रेंड फोन कर रही हो।
तेरे मोबाइल का नेटवर्क तब कभी भी ठप न हो, जब तेरी बीबी तुझे फोन पर डांट रही हो।
जब तुझे टीवी देखना हो, तो सारे चैनल ठप हो जायें। सिर्फ डीडी आये और उस पर कृषि दर्शन कार्यक्रम आ रहा हो।
तू जो भी चैनल खोलकर देखे, उस पर सिर्फ मनमोहन सिंहजी का भाषण आ रहा हो।
तू जिस कन्या पर लाइन मारने का विचार कर रहा हो, वह एक कन्या की मां निकले।
तू जिन्हे भावी समधी मानकर अपनी हैसियत के बारे-बारे में ऊंची हांक रहा हो, वो इनकम टैक्स के अफसर निकलें।
तू ऐसे ही मुंह दिखाने काबिल न रहे, जैसे वीरेंद्र सहवाग ।
जो घटिया चालू टाइप का एसएमएस तुझे तेरे फ्रेंड से मिला हो, वह गलती से तेरे मोबाइल से तेरी लेडी बास को एसएमएस हो जाये।
ट्रेन में जिस सहयात्री सुंदरी के साथ सफर सार्थक करने की तू योजना बना रहा हो, लालूजी की कृपा से उसका टिकट अपग्रेड हो जाये। वह थ्री टीयर से सेकंड एसी में चली जाये फिर तुझे अपने लेवल का ना मानकर देखने से भी इनकार कर दे।
तेरे चेहरे पर फिल्म कलाकार आलोकनाथ जैसे भाव परमानेंट हो जायें, सुंदरियां तुझे सिर्फ पिता मानें या बड़ा भाई।
और क्या जी, इनसे भी ज्यादा मारक बद्दुआएं और क्या हो सकती हैं जी।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-9810018799
Wednesday, June 20, 2007
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8 comments:
बहुत खतरनाक टाईप के शाप मन में दबाये बैठे हो, अच्छा है सिद्धि प्राप्त नहीं हो वरना तो सब दोस्त काम से गये ही समझो.ट्रायल तो दोस्तों पर ही लेते न!! :)
ब्राह्मण कुल में जन्म लेने से हमें भी छोटा-मोटा श्राप देने की अथॉरिटी है. हम देते हैं - पुन: आलोक पुराणिक भव:
जन्म जन्मांतर यही मस्त लिखने का श्राप!
ये तो हम भी मानते है गाजियाबद मे आप शाप वश है,लेकिन लिखते रहे ,ये श्राप तो आपको लगतर मिलत रहेगा
क्या चक्कर है, भई.. रंजीता आंटी कह रही थीं आपका फ़ोन नहीं लग रहा..? जबकि आपकी मिसेज़ बोलीं कि लाइन बराबर है?..
आगले जन्म में आलोक पुराणीक के रूप में ही पैदा हो.
टिप्पणी करते हुए डर लग रहा है जी कि कहीं कभी आपको कुछ बुरा-भला न कहा हो।
पंडित होने के नाते एक श्राप हम भी देना चाहते हैं, आपको ब्लॉगिंग की बीमारी परमानेंटली लग जाए, ताकि अबकी आप हमें छोड़कर न जा सकें। :)
इधर से भी एक ब्राम्हण का श्राप ले ही लिजिये जो जल हाथ में लिए बैठा है--
" आप अगले सात जन्मों तक ना केवल यही लिखते रहें जो कि लिखते हैं बल्कि अगले सात जन्मों तक ब्लॉग जगत में ही टंगे रहें!!"
अउर भौजी जब भी आपका फ़ुनवा घुमाय बिना किसी व्यवधान के आपको हमेशा कॉल लगता रहे!!
उ का है ना कि
"तू जिस कन्या पर लाइन मारने का विचार कर रहा हो, वह एक कन्या की मां निकले।"
ई वाला लोचा पिछले दिनों हमरे साथ हो चुका है, एक 25 साला कन्या से बात की तो मालूम हुआ कि उसका 5 साल का एक बेटा है और वो इहां के डी आई जी की बेटी है।
बू हू हू
आपने सचमुच डरा दिया, सिद्धपुरूषों से थोड़ा बचकर रहना चाहिए, ऐसे वाले साधुओं की तपस्या भंग करने के लिए मल्लिका सेहरावतों की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.
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