आलोक पुराणिक
जी मैं पहले ही साफ किये देता हूं। मैं राष्ट्रपति पद के लिए कैंडीडेट एकदम नहीं

यह सोचकर ही मेरा मन कांप हो उठता है कि मैं राष्ट्रपति हो गया हूं। हाय हाय कैसे तो कटेगी। अभी कुछ दिन पहले टीवी पर देखा, अफ्रीका के किसी गणराज्य के राष्ट्रपति को हमारे राष्ट्रपति रिसीव कर रहे थे, राष्ट्रपति भवन में। सिलसिला कुछ यूं चलता था कि अफ्रीकन राष्ट्रपति अपनी भाषा में कुछ कहते थे, फिर उनका दुभाषिया उसे अंग्रेजी में कुछ का कुछ बताता था। फिर उसे हिंदी में हम कुछ का कुछ समझते थे। हमारे राष्ट्रपति हर बार मुस्कुराते प्रतीत होते थे।
वार्तालाप यूं हुआ।
अफ्रीकन राष्ट्रपति-होंवागा, होंडासा वांगाऊ जैंगारा होटंकालु हाजाचालं बाचमकाम बाजावटच हमामाम।
दुभाषिया के कहे का हिंदी आशय-हमारे राष्ट्रपति कह रहे हैं कि भारत महान राष्ट्र है, हम भी महान राष्ट्र हैं। दोनों ही महान राष्ट्र हैं। इस बात को समझने में ही महानता है।
अफ्रीकन राष्ट्रपति-गंदाडामन हलामाचा तताबोलड सआबवोत लाजौलाड हौसाजाप, वाहफ ,वफाक वफाक।
दुभाषिया के कहे का हिंदी आशय-हम सब महान हैं. तो महानों की तरह की बातें करनी चाहिए। मैं राष्ट्रपति के महान टेस्ट की तारीफ करता हूं। उन्होने अपने यहां मुगल गार्डन में तरह-तरह के फूल लगा रखे हैं।
अब बताइए साहब, एक अफ्रीकन राष्ट्रपति तो आते नहीं हैं, वहां। रोज कोई न कोई आता ही है। सबकी इस तरह से सुनते रहे , तो मर जायेंगे। रात में भी कान में होंगाडा, जांबाला, खोंलाबू सुनायी देगा। इतनी महानता तो हम न झेल पायेंगे। राष्ट्र भले ही महान हो गया हो, हम तो क्षुद्र ही रह गये है ना। बल्कि हम तो अकसर ही पूछते हैं कि भई जो राष्ट्र महान हुआ है, वो है कहां। दिखायी नहीं पड़ता। हमें तो अपने यहां बिजली जाती हुई दिखायी पड़ती है। वैसे सुना है, बिजली तो राष्ट्रपति भवन में भी जाती है। और पानी राष्ट्रपति भवन में भी रेगुलरली नहीं आता है। तब ठीक है, इसका मतलब यह कि बिजली -पानी के मामले में राष्ट्रपति भवन राष्ट्र से जुड़ा हुआ है, एकैदम से मामला मुगल गार्डनात्मक नहीं हो लिया है।
साहब, मैं महा

और फिर मैं तो और तरह की बातें सोचकर डर जाता हूं, सुना है राष्ट्रपति बनने के बाद कोई दिक्कत नहीं होती। बिजली का बिल एकदम ठीक आता है। फोन के बिल वाले भी हर बार पांच-सात सौ रुपये एक्स्ट्रा लगाकर नहीं भेजते। हाय हम पूरे दिन करेंगे क्या। अभी तो एक दिन बिजली का बिल सही कराने जाते हैं। लोकल दफ्तर वाला ऊपर भेज देता है। ऊपर वाला और ऊपर वाला भेज देता है। एक हफ्ता इसी में कट लेता है। फोन के बिल का भी यही हिसाब है, एक बंदा कहता है कि उस दफ्तर चले जाओ। वहां बताया जाता है कि नहीं जी बिल तो आपका पचास हजार का है, पर आप सिर्फ पच्चीस हजार पर सैटल कर लो। दस हजार रुपये में सैटलमेंट के लिए तो आपको ओखला जाना पंडेगा। जी एकाध हफ्ता तो इसमें कट लेता है। इतने बवाल रहते हैं कि लाइफ कटी जा रही है। इन सारे बवाल न रहें, तो जियेंगे कैसे।
खैर साहब, स

बात सही है, कई विवाह इसीलिए चल रहे हैं कि दोनों के पास झगडने का टाइम नहीं है।
मैंने भी नोट किया है, जब पत्नी बिजी होती है, तो सब नार्मल होता है। पर जब फ्री होती है, तो जरुर टोकती है-मोबाइल पर किससे इतनी पोलाइटली बात कर रहे थे, हम से तो नहीं करते इतनी अच्छी तरह से बात।
तो साहब, दिन भर खाली हुए,तो वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ जायेगा।
ना मुझे नहीं बनना राष्ट्रपति।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-0-9810018799
9 comments:
अच्छा किया जो आपने बता दिया नहीं तो मैं राष्ट्रपति पद के लिये अपना नाम पेश करने वाला था.
अब मुझे भी नहीं बनना राष्ट्रपति.
भाइ आप कतई ना घबराये जब भाभी जी शक करे फ़ोरन मेरे से बात करादे कि इनसे बात कर रहा था ,उम्मीद है आप समझ गये होगे ,बस बदले मे जरा आप भी ऐसा ही करेगे इतना भर करेगे दो्नो का काम बन जायेगा :)
आलोक जी,
आप तो सोनिया गांधी की तर्ज पर त्याग देवता बन्ने की राह पर हैं । समझ लो आप महान बन ही गये । जिन्दगी की छोटी छोटी बातों के लिये आप चकाचौध की दुनिया को छोड रहे हैं । आअप सचमुच महान हैं ।
आपके चिठ्ठे को पढ विश्वास हो गया आप में ही हिन्दुस्तान बसता है। आप स्व्यं मेरा भारत महान है, राष्ट्रपति तो उससमे बसने वाला एक बन्दा है।
धन्य हैं आप |
सही कहा..इसीलिये हम भी पीछे हट गये...
बनना तो हमे भी था मगर उम्र आड़े आ रही है, और अब आपकी पोस्ट भी आड़े आ गई है. अगली बार प्रयास करने से पहले आपकी पोस्ट एक बार पढ़ लूँगा :)
मैं आपसे कहना चाहता हूँ -
होंवागा, होंडासा वांगाऊ जैंगारा होटंकालु हाजाचालं बाचमकाम बाजावटच हमामाम।
"होंडासा वांगाऊ जैंगारा हाजाचालं बाचमुल"
हिन्दी में इसका आशय: "आपका लिखा पढ़ते पढ़ते हमारे रोज के दस मिनट कट जाते हैं, अगर आपने लिखना बंद कर दिया तो हमारा क्या होगा?"
ह्द्ग्फ्द्ग्यी क्ष्य्हेद्जु,ंब्क्क्ष्भ्स्म,,स्ध्व्शेउन .ह्द्द्स्तेय.उएउएह्ह्फ्ह्फ्ह प द्फ्ज्फ्फ्ज. द्फ्झ्ह्द्न.ंक्ंव्न ?????
( भैय्या जी, ऐसे कैसे बच जाओगे ? य़ा तो खुद तैयार हो, या मेरी पहली पसन्द मल्लिका सहरावत को ही बना दो. )
एक राष्ट्रपति का दर्द। आपने इतना कुछ जान कैसे लिया। कोई स्टिंग आपरेशन?
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