बिल गेट्स की एफआईआर
आलोक पुराणिक
दिल्ली के नेहरु प्लेस में हर भारतीय को एक बार जाना चाहिए। राष्ट्रीय गौरव की धाराएं एकदम फुल स्पीड से हृदय में हिलोरें सी लेती हैं(देखा, हृदय में हिलोरें में क्या अनुप्रास अलंकार साधा है)।
ओ जी अलंकार की बातें पुराने जमाने की बातें हैं, हम नये जमाने की बातें कर रहे हैं। मार्डनाइजेशन को समर्पित स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरुजी की आत्मा एकदम प्रसन्न हो जायेगी यह देखकर कि उनके नाम पर बने हुए इस प्लेस में एकदम मार्डनाइज्ड स्टाइल की चोरी चल रही है। बिल गेट्स जिस साफ्टवेयर को लाखों का बता कर बेचने की उम्मीद करते हैं, उसे हमारे कुछ भारतीय भाई डेढ़ सौ रुपये में बेच लेते हैं।
कास्ट इफेक्टिवनेस और क्या होती है जी।
बात दरअसल यह थी कि कई हजार रुपये लगाकर एक साफ्टवेयर की ओरिजनल कापी खरीदी थी। इंस्टाल करने की कोशिश की तो इत्ते रजिस्ट्रेशन नंबर, स्पष्टीकरण उस साफ्टवेयर की सीडी ने मांगे, जितने घर जल्दी आने पर पत्नी भी नहीं मांगती।
मैंने एक नेहरु प्लेसी एक्सपर्ट से समस्या की काट पूछी, तो इसने एक सीडी थमा दी। साहब एक झटके में साफ्टवेयर इंस्टाल हो लिया, एकदम सरपट, सर्र-सर्र टाइप।
फंडा क्लियर हुआ-चोरी का हाईवे एकैदम निरापद होता है, नो पासवर्ड, नो चेकिंग।
नियम-कानून से चलने वाले का रास्ता रोकने के लिए तरह-तरह के रजिस्ट्रेशन के बैरियर होते हैं।
यह बात सिर्फ सिर्फ साफ्टवेयर पर ही नहीं, हेयर एंड देयर भी लागू होती है।
पर अगर बिल गेट्स ने चोरी पकड़ ली तो सारे अंदर हो जायेंगे-मैंने शंका व्यक्त की।
अब बिल गेट्स झज्जर हरियाणा में आकर एफआईआर लिखाओगा कै-झज्जर से आये एक भाई ने स्पष्टीकरण सा सवाल पेश किया।
अहा क्या सीन खिंच रहा है, बिल गेट्स साफ्टवेयर चोरी की रिपोर्ट लिखाने हरियाणा के किसी थाने में गये हैं। संवाद कुछ इस टाइप के होंगे-
बिल गेट्स-जी मेरा विंडोज साफ्टवेयर चोरी हो गया है।
पुलिस-देख्खोजी, विंडो के पास कुछ्छ रखणा ही नहीं चाहिए।
बिल गेट्स- जी विंडोज साफ्टवेयर चोरी हो गया है।
पुलिस-साफ बता, कुण सा आइटम गया। बिल गेट्स-ये मेरे हाथ में सीडी है, इसका माल चोरी हो गया है।
पुलिस-अब्बै तू पुलिस ने बेवकूफ समझै के, तेरा माल तेरे हाथ में है, ओर तू कै रा कि चोरी हो ली।
बिल गेट्स-नहीं मतलब इसमें से किसी ने माल चुरा लिया।
पुलिस-अबे यो क्या कोई लाक्कर है कि पर्स है, जो माल पार कर लिया। तू साफ-साफ क्यों नहीं बोल रहा। अच्छा बता मौका-ए-वारदात क्या है। कित्ते बंदे आये माल चुराने। कोई सुबूत-ऊबूत छोड्डा कि नहीं।
बिल गेट्स-देखिये, इस तरह से सबूत नहीं होता। वो यह साफ्टवेयर सौ रुपये में बेच रहे हैं ।
पुलिस-अबे तो इसमें रोणै की कोण सी बात है, तू पिचहत्तर में बेचने लग, बौत ग्राहक आयेंगे।
बिल गेट्स-पर आप समझिये कि उन्होने मेरी सीडी चोरी कर ली है।
पुलिस-ल्लै, फिर वो ही, जब तेरी सीडी तेरे ही पास है, तो फिर चोरी कैसे हो ल्ली। समझा ना।
बताइए, बिल गेट्स कैसे समझाये।
आलोक पुराणिक-मोबाइल-09810018799
Monday, June 18, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
7 comments:
वाह पुराणिक जी, बहुत मजेदार लिखा है
आप जरा मेरा मदद करोगे। मैन ने हिन्दी की जावा स्क्रिप्ट जोड दिया। लेकिन पठ नहीं सक्ता। क्यों कि उस के अंन्द्र कोनसा Font है वह मुझे पता नहीं। यह मेरा पन्ना है।
http://jaijawanjaikisan.blogspot.com
wah puranik ji maja aa gaya. bil gates to kya bhagwan bi aa jaye to wo bhi bhartiya pulis thane men fir darj nahi karwa satka.
sanjay agrawal
sanawad
वाह क्या खूब लिखा है, मजा आ गया, बेचारा बिलगेट्स! :)
@ കേരളഫാർമർ/keralafarmer,
आप अपनी समस्या परिचर्चा फोरम पर पूछें, वह इस बारे में चर्चा के लिए उपयुक्त मंच है।
बहुत सही, बिल गेट्स क्या जाने भारत की माया को, लगे हाथों यह भी बताईये कि उस थाने से बिल्लू भैया कुछ ले-देकर ही बाहर आ पाये या ऐसे ही आ गये..
बहुत बड़िया!!! क्या हरियाणवी भाषा लिखी है आनंद आया, मिठास घुली हुई, वाह वाह |
Post a Comment