कृषि दर्शन में आमिर खान
आलोक पुराणिक
दूरदर्शन में काम करने वाले अपने एक मित्र को मैंने कहा कि मौका है, अपने प्रागैतिहासिक कालीन कार्यक्रम कृषि दर्शन की टीआरपी बढ़ा लो, अब तो आमिर खान, अमिताभ बच्चन सब कह रहे हैं कि वे खेती-किसानी करते हैं। ये अपनी-अपनी खरीदी गयी जमीनों को बचाने के लिए हलफ देकर कह रहे हैं कि वे बाकायदा किसान हैं। इन वाले किसानों को बुलाकर कुछ खेती चर्चा करवा लो, पब्लिक कृषि दर्शन भी देखने लगेगी।
दूरदर्शनी मित्र ने सहमति व्यक्त की।
एक ही घंटे में एक निजी टीवी चैनल से फोन आया-जी आपने आमिर खान के कृषि दर्शन वाले कार्यक्रम का सुझाव दिया था, उसे हम करने वाले हैं। आप आ जाइए आमिर खान के इंटरव्यू की रिकार्डिंग के लिए।
दूरदर्शन के मामले में यही होता है। आप दूरदर्शन वालों को सुझाव दें, वो निकलते हैं निजी चैनल में। दुनिया गोल है, गोलमाल भी। माल गोलमाल में ही है।
खैर साहब, मैंने आमिर खान साहब का कृषि दर्शन टाइप कार्यक्रम में इंटरव्यू शुरु किया।
सवाल-आमिर जी आप खुद को किसान बता रहे हैं। प्लीज आप हमारे किसान भाईयों को खरीफ के बारे में कुछ बताइए।
आमिर-आई थिंक सो, कि खरीफ तो लाइक राम गोपाल वर्मा की फिल्म के अंडरवर्ल्ड कैरेक्टर का नाम सा लगता है। खरीफ नाम बढ़िया है। इस पर पिच्चर बन सकती है। बल्कि सीरिज हो सकती है, खरीफ वन, खरीफ टू। राम गोपाल वर्मा तो वैसे भी सीरिज वाली फिल्में बनाते हैं, अभी सरकार टू बन रही है।
सवाल-नहीं मेरा मतलब है,आप बतौर किसान के बात करें। मतलब आप किसान भाईयों को बतायें कि पांच हेक्टेयर के खेत में कितना पानी डालना चाहिए।
आमिर-ये हेक्टेयर क्या होता है। ये तो लाइक इंगलिश नाम लगता है। ये तो करण जौहर की पिच्चर का नाम हो सकता है। हेक्टेयर हीरो का नाम भी हो सकता है, और हीरोईन का भी हो सकता है। पर हेक्टेयर से मुझे क्या मतलब। करण जौहर या शाहरुख खान को बनायेगा हेक्टेयर या फिर रानी मुखर्जी को। अपन को क्या। हेक्टेयर पर मुझसे सवाल न करें।
सवाल-आमिर साहब, बात को समझने की कोशिश करें और को समझायें कि पांच हेक्टेयर के खेत में किसान भाईयों को कितना पानी डालना चाहिए।
आमिर -उखड़कर-पानी क्यों डालना चाहिए, कोक क्यों नहीं डालना चाहिए। देखिये साहब मैं कोक के पक्ष में हूं। पानी तो कोक के कंपटीशन में है। मैं क्यों कहूं किसान भाई पानी डालें। कोक डालें।
सवाल-आमिर साहब, प्लीज यह बताइए कि छोटे खेत की जुताई के लिए कौन सा ट्रेक्टर सही रहेगा।
जवाब-ये जुताई क्या होता है जी। ये तो आप पुरानी टाइप की फिल्मों के नाम बता रहे हैं, जीतेंद्र अंकल के टाइम फिल्में होती थीं, जुदाई, विदाई, जुताई। पुरानी फिल्मों में मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं है।
सो साहब, शो धांसू रिकार्ड हो गया है। कभी भी आ सकता है, देखिये।
हां, बस एक चेंज हो गया है, यह कृषि दर्शन टाइप कार्यक्रम के बजाय कामेडी कार्यक्रम वाली कैटेगिरी में जायेगा।
आलोक पुराणिक
मोबाइल-09810018799
Monday, June 11, 2007
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6 comments:
आलोक जी आपने तो बिना जुताईके पाटा चला दिया है फ़िल्म सिटी के किसानो पर ,अमर अमिताभ के उपर क्ब चला रहे है
सही है।
सही तो कहा आमिर जी ने। कोक छिड़केंगे तो कीटनाशक की जरुरत ही नहीं। एक तीर से दो शिकार। :)
अमिताभ जी का इंटरव्यू चालू चैनल पर लिया जाए।
ये खुशी की बात है कि अब आपकी रचनायें आनलाइन पढ़ने को मिल रही हैं। बहुत-बहुत बधायी।
बहुत मजा आया आलोक जी। आपको दो बार सुन चुका हूँ। अब आपको आनलाइन पढ भी पा रहा हूँ। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
इंटरव्यू वाली फोटो में आप नहीं दिख रहे...दोनों ही आमिर खान की हैं-आप कहाँ हो??
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