Sunday, June 10, 2007

संडे सूक्ति-आप बहूत हरामी टाइप हैं

संडे सूक्ति-आप बहूत हरामी टाइप हैं
आलोक पुराणिक
अगर हरामी शब्द के टेकनीकल मतलब को छोड़ दिया जाये, तो अब यह शब्द प्यार और सम्मान का सूचक है। यह बात कुछ समय पहले ही मुझे पता लगी।
करीब छह महीने पहले का किस्सा-दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कालेज में मीडिया का अर्थशास्त्र विषय पर लेक्चर देने के लिए बुलाया गया था। विषय के अनुरुप तमाम तथ्य-आंकड़ों के साथ अपनी बात रखी। इसके बाद खाना-पीना(पीना मतलब चाय पीना) होने लगा।
एक छात्र करीब आकर बहुत प्यार और सम्मान के साथ बोला-सर आपके मैंने बहुत व्यंग्य लेख पढ़े हैं, यहां पढ़े हैं। वहां पढ़े हैं, जी व्यंग्य लेख पढ़कर तो लगता है कि आप बहूत हरामी टाइप हैं।
अहा हा हा मजा आ गया-जिंदगी में इस तरह का कांप्लीमेंट किसी ने नहीं दिया।
बात आगे चली-मीडिया के आंकड़ों, नये तथ्यों पर।
छात्र फिर बोला-सर आज लग रहा है कि आप तो कुछ पढ़े-लिखे से हैं।
मैंने छात्र को गले लगा लिया।
ऐसे ओरिजनल कांप्लीमेंट देने वाले कहां हैं जी।
खैर, अगला मुझे सिर्फ हरामी मान कर चल रहा था, पर मैं कुछ पढ़ा-लिखा सा भी निकल गया।
गले लगाने के बाद छात्र अनौपचारिक हो गया और बोला-सर एक सलाह दूं। ये आप जो सीरियस टाइप के लेख वगैरह लिखते हैं आंकड़े-वांकड़े वाले। इनमें मजा नहीं आता। आप तो सिर्फ व्यंग्य लेख ही लिखा कीजिये।
बताइए, डिमांड हरामीपने की है।
नान-हरामी आइटम इंटरेस्टिंग नहीं होते।
अभी एक मीडिया शिक्षण संस्थान में स्टारों की लोकप्रियता पर अनौपचारिक सर्वे करवाया। उसमें एक चौंकाने वाला रिजल्ट सामने आया कि इमरान हाशमी की पापुलरिटी शाहरुख खान से ज्यादा है।
मैंने छात्रों को बुलाकर पूछा भई ये क्या मामला है।
छात्रों ने जो बताया उसका निचोड़ यह है कि इमरान हाशमी की एक्स्ट्रा क्यूरिकुलर एक्टिविटीज विकट हरामीपने की हैं। वो बहुत अच्छी लगती हैं। एक छात्र बोला शाहरुख खान को प्रेमिका का विकेट गिराने के लिए तीन घंटे खेलना पड़ता है। हमें तो इमरान हाशमी का काम लुभाता है। मर्डर से लेकर अकसर फिल्म तक देख लो, पट्ठा एक घंटे में ही दूसरे की बीबी को पटा लाता है।
देखिये, डिमांड हरामीपने की है।
बल्कि मेरा तो निवेदन है कि अब इस पर सीरियस विमर्श होना चाहिए। हरामीपन की परिभाषाएं, हरामीपने के विभिन्न आयाम, , हरामीपन कला या है विज्ञान, हरामीपन झूठ का हिस्सा है, या झूठ हरामीपन का पार्ट है। हरामीपन का इतिहास, हरामीपन-प्रागैतिहासिक काल से उत्तर आधुनिक काल तक। हिंदुत्व के हरामी बनाम धर्मनिरपेक्ष हरामी। शर्म निरपेक्ष हरामी और कर्म निरपेक्ष हरामी, मतलब कि फुलमफुल स्पीड पर चले हरामी विमर्श ताकि जनता को इसके सारे आयामों का विधिवत ज्ञान हो सके।
खैर, अभी कल ही गया इमरान हाशमी की नयी फिल्म ट्रेन देखने।
मेरे पड़ोस में बैठे पड़ोसी ने अपने आगे के पड़ोसी को बताया-अबे ये इमरान हाशमी भौत हरामी है। देख मजा आयेगा।
और साहब इमरान हाशमी ने निराश नहीं किया। इंटरवेल से पहले ही वह जन-आकांक्षाओं पर खरा उतरा।
फिल्म देखकर मैं बहुत चिंतित हुआ, बहुत हो गया भाई इमरान अब बस भी करो। हरामीपना ठीक है, पर इतना भी नहीं कि जनता आपसे इतनी ज्यादा अपेक्षाएं रखें।
मैं सोच रहा था कि अमिताभ बच्चन से रिक्वेस्ट करूं कि भाई आप सीनियर आदमी हैं, जरा समझाइए इमरान हाशमी को। पर नहीं, डर गया। अमिताभजी आजकल इमरान हाशिमत्व में इमरान के चचा हो रहे हैं। खैर साहब मैंने दिलीप कुमार साहब को फोन किया और निवेदन किया कि आपका एक ट्रैकरिकार्ड है। आप समझाइए इमरान हाशमी को कि नयी पीढ़ी को इतना प्रेरित न करें।
दिलीप साहब ने इमरान हाशमी से जो बात की है, उसका ब्यौरा कुछ यूं है-











दिलीप कुमार-बेटे इमरान बरखुरदार अच्छे – खासे नौजवान हो, करने के लिए इतने अच्छे धंधे है। बेटे, दूसरों की बीबियों को पटाने के तुम्हारे तौर-तरीके बहुत गंदे हैं।
इमरान हाशमी-आपको इस मसले पर बोलना बेकार हैजो तमाम फिल्मों में अपने लिए एक बीबी नहीं पटा पाया,उसे इस मसले पर बोलने का ना कोई अधिकार है। मुझे पता है कि आप एक ही प्रेमिका के मामले में डर जाते थे।उसे पत्नी बनाने से पहले ही मर जाते थे।
दिलीप कुमार-बरखुरदार हम बहुत पुराने एक्टर हैं, हमारे काम की इज्जत कीजिये। हमारे काम से कुछ सबक लीजिये।
इमरान हाशमी-जी अगर आपकी फिल्म राम-श्याम के डबल रोल के कुछ सबक सीख पायेंगे।तो फिर बहुत धांसू रिजल्ट आयेंगे। फिर हमारी फिल्म में एक नहीं दो-दो इमरान हाशमी दूसरों की बीबियों को पटायेंगे।
दिलीप कुमार-बरखुरदार आप हमारी बात को नहीं समझ रहे हैं। आपकी फिल्में देखकर नौजवान बिगड़ रहे हैं।
इमरान हाशमी-आप गलत समझते हैं कि इन पर हमारा कोई असर है।सर, आज के नौजवान बिगड़ने के मामले में आत्मनिर्भर हैं।
दिलीप कुमार-देखो, इमरान हमसे सीखो प्यार के अंदाज खास, प्यार ऐसे करो, जैसे करता था देवदास।
इमरान हाशमी-दिलीप साहब फिजूल में आप इतना लंबा लेक्चर झाड़ रहे थे, देखिये पारो किसी और की बीबी थी, फिर आप क्यों उसके लिए ट्राई मार रहे थे। दिक्कत यही है कि दिलीप साहब आपका प्रयास फ्लाप गया , पर इस तरह के मामलों में हम हमेशा टाप गया। अपने फ्लाप प्रेमों के फंडे ना मुझे बताइए। इमरान हाशमी से सीखिये कुछ, उसे कुछ ना सिखाइए।
अब आप बताइए किसे बुलाया जाये इमरान हाशमी को समझाने के लिए।
आलोक पुराणिक मोबाइल-09810018799

11 comments:

संजय बेंगाणी said...

कमाल के हरामीपन से लिखा गया है, वह भी एक पढ़े लिखे व्यक्ति द्वारा. हमें ऐसा हरामीपन पसन्द है.

और ये हाशमी की फिल्म क्या देखने जाते है?

ePandit said...

कमाल की हरामीपन वाली पोस्ट लिखी है। आनंदम आनंदम!

अंत में इमरान हाशमी और दिलीप कुमार का संवाद बहुत मजेदार रहा।

वो इमरान हाशमी पर एक स्पैशल पोस्ट आ सकती है क्या जिसमें कि बताया जाए कि वो हरामीपन में एक्सपर्ट कैसे बना। :)

रंजन (Ranjan) said...

जय हरामीपन की!!!

बडा हरामी है.

Arun Arora said...

यानी आप पढे लिखे भी है, और इमरान हाशमी से प्रभावित भी,
शक्ल से हमे भी आप दोनॊ बहुत सीधे दिखाई देते हॊ
क्या भाभी जी और आपके पडोसी इस बारे मे जानते है
अब हमे अपनी सामाजिक जुम्मेदारी का एहसास हो रहा है हमे महसूस हो रहा है ये कार्य हमे जल्द ही कर देना चाहिये,हम निकलते है

काकेश said...

आपकी संडे सूक्ति देख के अपने पड़ोसी की तारीफ की कि " वाह आप भी बड़े हरामी हो" तो संडे को भी डंडे पड़ गये ... आप को एक डिस्क्लेमर लगाना चाहिये था ना ... :-)

अभिनव said...

बहुत हरामी टाईप लेख लिख मारा है आपने। आपके एक काव्य पाठ में इस घटना के उल्लेख को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है।

अभय तिवारी said...

सही है बंधु..हम सीख रहे हैं आप से..

sanjay patel said...

आलोक भाई;
आपने तो हरामीपन को पूरी तरह री-डिफ़ाइन कर दिया जी.आपकी कारीगरी के बाद ऐसा न हो कि हिन्दी साहित्य के नामचीन आलोचक नामवरसिंह,अशोक वाजपेयी,नन्दकिशोर आचार्य और प्रभाकर श्रोत्रिय इस शब्द मींमासा करने लग जाएं क्योंकि पंत,निराला,भवानी भाई आदि का लिखा तो जल्द ही कूडा़-करकट होता जा रहा है . लगता है कि आपके इस आलेख के बाद कला,साहित्य और कविता के क्षेत्र में हरामी-रत्न की शुरूआत हो जाए,,कोई यश चोपड़ा जल्द ही शाहरूख को लेकर हरामी नाम की किसी बडी़ तस्वीर की घोषणा कर दे और हमारे यशवंत व्यास अहा ! जिन्दगी के आगामी किसी विषय के लिये हरामीपन को ही चुन लें..जो रिसपैक्ट आपने हरामीपन को बख्शा़ है उसके मद्देनज़र मुझे लगता है आइ.आइ.एम में अब हरामीपन पर एक सालाना लेक्चर भी आयोजित किया जाए और अनिल अंबानी , मुकेश अंबानी और कुमारमगलम बिड़ला समुहों में एच.ई.ओ.(हरामी एक्ज़ीक्यूटिव आफ़िसर) की नियुक्तियां भी होने लग जाए.हाय ! कितना क्यूट हरामी पुराण रचा है आपने.

bhuvnesh sharma said...

जारी रखिये ये हरामीपन. हमको बहुतै पसंद आ रहा है......

Udan Tashtari said...

कसम से इतना न गिर पाऊँगा...मगर लिखा बेहतरीन है और आपसे सहमत हमेशा की तरह... :)

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

बाई द वे, इतने उम्दा हरामीपने की प्रेरणा अपको कहॉ से मिली?