आलोक पुराणिक
जनता की बेहद मांग पर(जनता की बेहद मांग क्या होती है,यह जानने के लिए वेट करें इस लेखक की शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक का-स्मार्ट झूठ कैसे बोलें) कुछ और क्रैश कोर्स शुरु हो रहे हैं। आज का कोर्स है-ज्योतिष कैसे सीखें।
खैर हमें यह पता होना चाहिए कि ज्योतिष की शुरुआत कैसे हुई।
एक प्राचीन कथा के मुताबिक एक सीनियर ऋषि की ग्रांट की फाइल सरकार के सचिवालय में अटकायमान -च -भटकायमान सी हो गयी। उसने पाया कि करीब एक साल तक रोज जाने के बावजूद उसकी फाइल मूव नहीं हो रही है।
उसने देखा कि या तो दफ्तर में हड़ताल हो जाती है। या संबंधित बाबू नहीं आया होता है। संबंधित बाबू आया होता है, तो संबंधित अधिकारी नहीं आया होता, दोनों आये होते हैं, तो चपरासी नहीं आया होता है। सब आये होते हैं, तो वह चाबी दफ्तर नहीं आयी होती है, जिससे मुनि की फाइल वाली दराज खोली जानी होती थी।
ऋषि परेशान हो गया और वह मुहुर्त निकाल कर दफ्तर आने लगा।
इस तरह से हम कह सकते हैं कि सरकारी विभागों का मुहुर्त ज्योतिष के विकास में भारी योगदान है।
ज्योतिष से जुड़ी एक कथा और यह है कि एक एनआरआई साहूकार कैलिफोर्निया से अपनी पत्नी के लिए ऐसी ज्वैलरी और साड़ियां लाया ,जिनकी फुल शाइन रात में ग्लोलाइट में ही दिखती थी। तब तक शादी-विवाह के मुहुर्त दिन में ही निकला करते थे। पर फुल शाइन दिखाने के लिए साहूकार ने पंडितों से कहा कि मुहुर्त रात में ही निकलना चाहिए। रात में साहूकार पत्नी की साड़ियों की शोभा देखकर नगर के बाकी साहूकारों और अफसरों की बीबियों ने घोषित कर दिया कि अबसे उनके परिवारों में भी शादियां रात में ही होगी। इस तरह से शादी –ब्याह के मुहुर्त रात में निकलने लगे।
खैर हमारे सामने मुद्दा यह है कि ऐसा ज्योतिष कैसे करें कि कभी पीटे ना जायें, हां धुआंधार नोट पीटे जायें। आप कुछ फंडे समझ लें, और उन्हे किसी पर भी लगा दें।
पहले हाथ देखें, आसमान पर देखें। आंख बंद करें। कुछ बुदबुदायें, मानो स्वर्ग में सामने बैठे जातक के कर्मों की एकाउंटिंग चित्रगुप्त से पूछ रहे हों।
(सुंदरी जातिका हो, तो कुछ ज्यादा देर तक देखें। मतलब बहुत ज्यादा देर तक नहीं। मतलब इतनी देर तक कि ठुकाई का डौल ना बने, मतलब कि इस संबंध में आपको विवेक से काम लेना पड़ेगा)
फिर कहें फंडा नंबर एक-
आपमें जितनी प्रतिभा है, उतना आपको मिलता नहीं है
इस ब्रह्मांड का हर बंदा इस बयान पर सिवाय सिर हिलाने के कुछ नहीं कर सकता। जो इस कथन से असहमत हो, उसका हाथ मत देखिये, समझ लीजिये, वह पागल है।
स्त्री जातिकाओं पर इस स्टेटमेंट को कुछ दूसरे तरीके से अप्लाई किया जा सकता है। जैसे, जितनी सुंदर आप हैं, उतना आपको रिकाग्निशन नहीं मिला।
इस बयान के बाद आप सही बात करने वाले ज्योतिषी के तौर पर जमना प्रारंभ हो जायेंगे।
फिर जातक का हाथ पलटकर पीछे से देखिये।
फिर मुखमुद्रा ऐसी बनाइये मानो विकट सोच में डूब गये हैं।
तत्पश्चात फंडा नंबर दो कहें-
देखिये, पता नहीं यह बात सच है या नहीं। मैं तो टेस्टिंग कर रहा हूं। हो सकता है कि गलत भी हो, आप ही बताइए। मुझे ऐसा लगता है कि आप तो दूसरों के लिए बहुत बहुत करते हैं। मतलब आप तो औरों के लिए जान तक देने को तैयार हो जाते हैं। पर लोग आपके बिलकुल नहीं करते।
इस बयान के बाद प्रभाव देखिये।
आप कुछ जमने से लगेंगे।
इस ब्रह्मांड में हरेक शख्स (जार्ज बुश तक) इस शुबहे में गिरफ्तार है कि वह दुनिया के लिए जाने क्या-क्या कर रहा है।
इस फंडे की बुनियाद के फंडे ये हैं कि सब सब से नाराज रहते हैं। सब सबको निकम्मा मानते हैं। सब सबके बारे में सोचते हुए यह मानकर चलते हैं कि इस सब में वे शामिल नहीं हैं।
दूसरे फंडे के बाद आप जम चुके होंगे।
तत्पश्चात तीसरे फंडे पर आयें-
और आसमान को फिर ताकें। कुछ बुदबुदायें मानो यमराज से कुछ मंत्रणा कर रहे हों।
फिर तीसरा फंडा कहें-
आपका कोई गुप्त शत्रु है
वाऊ, एकदम हिटो -हिट बयान है।
जो खुले तौर पर अपने सबसे बड़े शत्रु खुद हैं, वे भी मानकर चलते हैं कि उनके कुछ गुप्त शत्रु भी हैं। जो आत्म-चौपटीकरण में परम-आत्मनिर्भर हैं(हम सिर्फ भाजपा नेताओँ की बात नहीं कर रहे हैं), वे तक मानते हैं कि औरों के पास उन्हे चौपट करने की फुरसत है।
ज्योतिष के धंधे में धकाधक नोट पीटने का एक फंडा हमेशा याद रखें कि कभी पति और पत्नी की कुंडलियां और हाथ एक साथ न देखें। दोनों को अलग-अलग बुलाकर कहें कि आपका सबसे बड़ा शत्रु आपके आसपास ही रहता है। अच्छा ज्योतिषी बनने के लिए आवश्यक है कि सब कुछ साफ न करें, कुछ तो जातक या जातिका की कल्पनाशीलता पर छोड़ दें।
जैसे स्त्री जातिका को इस प्रश्न पर विचार करने दिया जाये असली गुप्त शत्रु कौन है-सास या पति या बास।
गुप्त शत्रु वाला फंडा ज्योतिष में बहुत कारगर होता है, इसलिए कि भविष्यवाणियां गलत होने पर यह कहा जा सकता है कि हम क्या करें, गुप्त शत्रुओं की हरकतों को हम कैसे कंट्रोल कर सकते हैं।
और अब सुनिये चौथा फंडा-बारह साल बाद आप यहां नहीं होंगे
यह भविष्य कथन आज तक गलत नहीं हुआ है। बारह साल में तो घूरे के भी दिन फिर जाते हैं। यह कथन घूरेनुमा इंसानों और इंसाननुमा घेर पर भी लागू होता है। फिर अब तो चुनाव इत्ती बार होने लगे हैं कि जिन्हे आप अपने मुहल्ले या शहर का घूरा समझते हैं वे विधायक से लेकर सांसद तक हो लेते हैं।
बल्कि हाल के एक ज्योतिषीय अध्ययन में साफ हुआ है कि जिन इंसानों में घूरत्व के तत्व जितने ज्यादा हैं, उनके मंत्री आदि होने की संभावनाएं उतनी ही प्रबल होती हैं।
खैर बारह साल में इंसान की बात तो दूर, पुल, सड़क और बांध तक अपनी जगह नहीं रहते।
बारह साल में बहुत कुछ हो लेगा, बंदा या तो टें बोल जायेगा, या फिर घूरे से उठकर मंत्री हो लेगा, या कहीं से गिरकर घूरे पर आ जायेगा।
और अब फाइनल फंडा ये है कि जातक या जातिका का हाथ लीजिये, उस पर कुछ नोट की आकृति का, सिक्के की आकृति का कुछ बनाइए। फिर कहिए, च्च च्च, आपके पास पैसा आता तो बहूत है, पर रुक नहीं पाता। जातक एकदम से सहमत हो जायेगा।
जी किसी का नहीं रुक पाता। जिनका रुकता है, वो भी यही समझते हैं कि नहीं रुक पाता। मुकेश अंबानीजी पेट्रोल बेचकर, पेट्रोकेमिकल बेचकर बहुत रोका है, पर उन्हे भी लगता है कि पैसा रुक नहीं पाया, सो अब वह रिलायंस फ्रेश में आलू-टमाटर बेचकर रोकने में लगे हैं। साहब किसी का नहीं रुक पाता।
पैसा रोकने की तरकीब यह बताइए कि वह आपके साथ ज्वाइंट एकाउंट खोल ले और उसी में से डीलिंग करे, तो पैसा रुक सकता है।
ये तरकीब कोई मानेगा नहीं, लिहाजा पैसा रुकेगा नहीं। लिहाजा आप पांच साल बाद अगले को कह सकते हैं, भईया हमने तो कही थी, तुमने नही सुनी।
और आखिर में यह मसला कि जातक से नोट कैसे पकड़े जायें। यहां यह याद रखें कि अगर मोटे नोट पकड़ने हों, तो खुले आम घोषित कर दें कि आप नोट पकड़ते तो क्या छूते तक नहीं हैं। वैसे इसमें झूठ भी नहीं, इस धंधे के बड़े कलाकार अपने नोट कभी नहीं छूते, दूसरों के से ही काम चलाते हैं।
आप कहें कि नोट तो मैं छूता तक नहीं, अगर आपकी श्रद्धा हो, तो सुदूर साऊथ के पोट्टमल्ली इलाके के चेन्नापक्कुर गांव में आप ज्योतिष पीठ की स्थापना कर रहे हैं, उसके लिए कुछ दान देने का पुण्य कमाना चाहें, तो उस गुल्लक में जाकर डाल सकते हैं( वैसे पोट्टमल्ली और चेन्नापक्कुर के अलावा कोई और नाम अपनी चाइस के रख सकते हैं)। उस गुल्लक के ऊपर लिखा हो-ज्योतिष पीठ में हजार से कम के नोट का चलन वर्जित है (आप सुविधानुसार और किसी भी नोट का चलन वर्जित कर सकते हैं)। चेन्नपक्कुर में ज्योतिष पीठ की स्थापना का फायदा यह है कि आप कई दशकों तक यह पीठ स्थापित करते रह सकते हैं।
तो आप जमाइए मामला, मैं अब चलता हूं, एक जगह व्याख्यान देने जाना है। विषय है-ज्योतिष और झूठ –समानताएं और संभावनाएं।
ये तरकीब कोई मानेगा नहीं, लिहाजा पैसा रुकेगा नहीं। लिहाजा आप पांच साल बाद अगले को कह सकते हैं, भईया हमने तो कही थी, तुमने नही सुनी।
और आखिर में यह मसला कि जातक से नोट कैसे पकड़े जायें। यहां यह याद रखें कि अगर मोटे नोट पकड़ने हों, तो खुले आम घोषित कर दें कि आप नोट पकड़ते तो क्या छूते तक नहीं हैं। वैसे इसमें झूठ भी नहीं, इस धंधे के बड़े कलाकार अपने नोट कभी नहीं छूते, दूसरों के से ही काम चलाते हैं।
आप कहें कि नोट तो मैं छूता तक नहीं, अगर आपकी श्रद्धा हो, तो सुदूर साऊथ के पोट्टमल्ली इलाके के चेन्नापक्कुर गांव में आप ज्योतिष पीठ की स्थापना कर रहे हैं, उसके लिए कुछ दान देने का पुण्य कमाना चाहें, तो उस गुल्लक में जाकर डाल सकते हैं( वैसे पोट्टमल्ली और चेन्नापक्कुर के अलावा कोई और नाम अपनी चाइस के रख सकते हैं)। उस गुल्लक के ऊपर लिखा हो-ज्योतिष पीठ में हजार से कम के नोट का चलन वर्जित है (आप सुविधानुसार और किसी भी नोट का चलन वर्जित कर सकते हैं)। चेन्नपक्कुर में ज्योतिष पीठ की स्थापना का फायदा यह है कि आप कई दशकों तक यह पीठ स्थापित करते रह सकते हैं।
तो आप जमाइए मामला, मैं अब चलता हूं, एक जगह व्याख्यान देने जाना है। विषय है-ज्योतिष और झूठ –समानताएं और संभावनाएं।
आलोक पुराणिक मोबाइल-9810018799
10 comments:
गुरुजी अकेले व्याख्यान देने मत जाया करो,चेलो के बिना गुरु अधूरा सा लगता है,और अपने से पहले चेले को देने दिया करो.सभी गुरु जी ऐसा ही करते है
आपकी गद्दी हथियाने का कोई खयाल मन मे नही है,आप चाहे तो लिखवा लो बाद मे कोर्ट कचहरी के लिये
आपतो पक्के ज्योतिषी निकले.
क्या काइयाँ दिमाग पाया है :)
मस्त!!!
आपने तो हमारे सारे फंडे लोगों को बता दिये । हम सोच रहे थे कि ब्लॉगर मीट में आकर कुछ पैसा कमाएँगे, कुछ लोगों को प्रभावित करेंगे । अब हमारा नाम ब्लॉगर मीट में कैंसिल मानिये ।
घुघूती बासूती
ऐसा ज्योतिष कैसे करें कि कभी पीटे ना जायें, हां धुआंधार नोट पीटे जायें। आप कुछ फंडे समझ लें, और उन्हे किसी पर भी लगा दें।
हमने सब समझ लिया है सारे तरीके अब अगर हम पकड़े गये तो गुरुदेव आपको ही आगे कर देंगें...:)
सुनीता(शानू)
हस्तरेखा शास्त्र का ज्ञानी नहीं हूँ मगर फिर लेखन देख कर भविष्य बताने की क्षमता रखता हूँ: आपके लेखन से जो जान पाया हूँ उसके अनुसार आप आज जहाँ हैं, आज से १२ वर्ष बाद निश्चित वहाँ नहीं रहेंगे. :)
-गजब लिखते हो...अब क्रेश कोर्स वाली किताब कब आ रही है, महाराज!!
-जय हो, जय हो!!
आप तो भैया हमारी पंडिताई के राज खोलकर रहोगे। कुछ ज्यातिष हम आपके बारे भी कर ही देते हैं।
दरअसल आपमें जितनी प्रतिभा है उतना आपको मिलता नहीं है। देखिए न इत्ता शानदार लेख लिखा है लेकिन टिप्पणियाँ सिर्फ ६। आप दूसरों को हँसाने के लिए जान तक देने के लिए तैयार हैं। आपको सावधान कर दूँ कि आपके कुछ गुप्त शत्रु हैं। वे आपकी गद्दी हथियाने के चक्कर में हैं, कौन? मैं नाम नहीं बताऊंगा।
वैसे बारह साल बाद आप यहाँ नहीं होंगे। चिट्ठापुरम नगर में ब्लॉगनगरी में आपका नया मकान होगा। अब आपके पास पैसा आता तो बहुत है पर रुकता नहीं। इसका एकमात्र उपाय यह है कि आप हमारे साथ ज्वाइंट एकाऊंट खोल लें। कल्याण ही कल्याण होगा। :)
कलयुग सोइ गुणवंत है,जो कछु झूठ बखान ।
बिनु झूठ कंह मसखरी,यह आख्यान पुरान ॥
यह आख्यान पुरान,कहें आलोक पुरानिक ।
ज्योतिर्मय विज्ञान अंध,यह कथा समानिक ॥
कहां बाप को ब्याह,अगर ज्योतिष न पूंछी ।
पुत्र भये बिन ब्याही मां के,करती नगरी छी छी ॥
पल्लो पडो न साधु से,मिलते रहे है ठग ।
दोष तिहारो आलोक नही,चल रहो कलयुग ॥
आस्ट्रोभदौरिया,जयपुर
[url]www.astrobhadauria.com[/url]
नही दोष इस जगत को भैया,कलयुग की महिमा न्यारी है । गाल बजाकर करें तरक्की,समय की सब बलिहारी है ॥ कलयुग सोइ गुणवंत बखाना । जो कहुं झूठ मसखरी जाना । एक राम एक रावन्ना,उन्ने उनकी सिया चुराई,तासे उन्ने उनको मारन्ना,तुलसीदास एक भये चूतिया,लिखि डारो है पोथन्ना ॥ गाल बजाकर राज कर रहे,जनता भूखी माडारी । बातों से भरता पेट,नजभक्षी अंदर से,दिखे यही कि जन्म से वे शकाहारी है ॥
चूतिया तेरा बाप भोसड़ी के आकर मुझसे मिल तुझे तेरा इतिहास भूगोल सब बताऊंगा वह भी झूठ नहीं है एकदम सच सच
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