हवाई यात्रा को धांसू-धमालयुक्त बनायें-नौ मिनट का क्रैश कोर्स
आलोक पुराणिक
नोट-यह क्रैश कोर्स हवाई जहाज चलाने वालों के लिए नहीं हैं। होशियार चलाने वाले तो बगैर क्रैश कोर्स के ही हवाई जहाज क्रैश कराने में समर्थ होते हैं। यह वाला क्रैश कोर्स तो हवाई यात्रा करने वालों के लिए है।
हवाई यात्रा को धांसू बनाने के उद्देश्य से आचार्य आलोक पुराणिक ने एक केस स्टडी तैयार की है पहले सब उसे पढ़ें, तदनंतर संक्षेप में काम के फंडे बताये जायेंगे-
केस स्टडी
हर चीज का लेवल गिरता जा रहा है।
और क्या जी, जब मेरे जैसे हिंदी के फुक्के लेखक तक हवाई-यात्रा करने की सोच लें, तो क्या माना जायेगा। एयर डेक्कन ने सच्ची में परिवहन डेमोक्रेसी कायम की है, बस स्टैंड से लेकर हवाई अड्डे तक एक जैसे चेहरे। पर अभी कुछ और वक्त लगेगा, थोड़ी सी गंदगी, थोड़ी सी और कच-कच चाहिए और हां ये एयर होस्टेसों को हटाकर दिल्ली के ब्लू लाइन बस के कंडक्टर भरती किये जायें, हमको असुविधा होती है। हवा में इत्ती-इत्ती स्माइल और शराफत झेलकर दो-तीन घंटों में आदत खराब हो जाती है। जमीन पर आओ तो वही ब्लूलाइनी जलवा दिखता है। होस्टेस एयर में ही रह जाती है।
बहूत धांसू सीन दिख रहे हैं अब एयरपोर्टों पर ।
परसों मुंबई जाने वाली फ्लाइट तीन घंटे लेट थी।
अपन तो आश्वस्त थे कि दिल्ली की ब्लू लाइन बस का सा हिसाब होगा, सारी सीटें जब तक नहीं भर जायेंगी, तब तक कैसे उड़ेगा। बल्कि मैं तो एक तरह से निराश हुआ, मुझे उम्मीद थी कि एक एयरलाइन्स वाला ब्लूलाइनी घोषणा करेगा-अबे आज्जा मेरे वाड़े प्लेन में, ये पैले पोंचेगा।
इसके प्रतिउत्तर में दूसरा एयरलाइन्स वाला घोषणा करता -ओ ज्जी चले चाहे जो पहले, पहले हमारा ही पहुंचेगा। हम ड्राइवर उन्हे ही रक्खा करैं, जिनकी नजर झक्कास कमजोर हो, पठ्ठे गलती से भी कतई रेड लाइट ना देख पात्ते। सो हमारा वाड़ा पैले पोंचेगा।
मैं निराश हुआ। एयरपोर्ट, हवाई जहाजों का विकास अभी इस स्तर तक नहीं हुआ कि ऐसी घोषणाएं सुनायी दें।
एक घोषणा हुई-जी मुंबई जाने वाली फ्लाइट तीन घंटे लेट है।
मैंने चिंतित होकर फ्लाइट वाली मैडम से पूछा जी लेट है, सो तो ठीक है, पर ये बताओ कि हवाई जहाज कवर तो कर लेगा ना।
फ्लाइट वाली मैडम ने चकरायमान होकर पूछा-क्या मतलब-कवर करने से क्या मतलब।
जी हम तो रेल के हिसाब से चलते हैं। दिल्ली से मुंबई पंजाब मेल अगर आठ घंटे लेट हो, तो रास्ते में बहुत तेज स्पीड से चलकर आधा घंटा कवर लेती है-मैंने बताया।
एयर लाइन्सों के अज्ञानी लोग इत्ते सिंपल से सवाल का जवाब देने में असमर्थ रहते हैं।
रास्ते में टाफी –वाफी मिलीं, तो मैंने साफ कर दिया –अगर इसके पैसे देने हैं, तो कतई नहीं चाहिए। और अगर मुफ्त मिल रही हैं, तो पूरा पैकेट दे दो। और एक क्यों, दो –चार दे दो।
एक एयर होस्टेस ने घूर कर पूछा-लगता है कि आप पहली बार हवाई यात्रा कर रहे हैं।
मैंने बताया नहीं दूसरी बार, पहली बार तो मैंने हवाई जहाज के खिड़की के शीशे खोलने की जिद की। जब पैसे दिये हैं, तो फुलमफुल हवा क्यों न ली जाये। भई रेल में खिड़की न खुले, तो समझ में आती है। उचक्के खिड़की से चेन वगैरह खींच कर भाग जाते हैं। पर आसमान में क्या टेंशन, स्मगलर, नेता, ठग, उचक्के सब हवाई जहाज के अंदर होते हैं। बाहर कैसे हो सकते हैं।
एयर होस्टेस ने बड़बड़ाकर कहा-आप हवाई यात्रा के काबिल नहीं है।
मैंने जवाब में कहा-हवाई जहाजों को अभी मेरे लेवल तक आने में टाइम लगेगा। पर एक दिन आ ही जायेंगे।
शिक्षाएं-इस केस स्टडी से हमें निम्नलिखित शिक्षाएं मिलती हैं-
1- टाफी-चाकलेट के एकाध पैकेट नहीं, आठ -दस पैकेट झटकने चाहिए। इस पर बवाल पैदा होगा,मजे आयेंगे।
2- सीट पर पैर चढ़ाकर बैठें, एयरहोस्टेस नाराज हो, तो उसे बताइए कि उनकी एयरलाइन घर जैसी सुविधा देने का वादा करती है, और घर पर वह सीट पर पैर ऊपर करके ही बैठते हैं।
3- अगर पड़ोसी बात न करे, तो चीखें, हाय कैसे मनहूस आ बैठे हैं बगल में। मजा आयेगा। और अगर पड़ोसी बात कर रहा हो, तो आप शोर मचाकर उससे कहिए कि अबे घर पे तेरी बीबी तुझसे बात नहीं करती, जो जिससे चाहे बात करना शुरु कर देता है। इस हल्ले में और भी ज्यादा मजा आयेगा।
4- मौका पाकर पायलेट केबिन में घुस जायें और पायलेट से कहें कि मुझे बोनट पर बैठाओ,मुझे बस में बोनट पर बैठकर यात्रा करने का शौक है। और अगर पायलेट कहे कि प्लेन में बोनट नहीं होता, तो हल्ला मचाइए कि हाय बिना बोनट के उड़ा डाला प्लेन। हाय मरवा डाला, ये तो क्रैश हो जायेगा। क्रैश-क्रैश हल्ला काटते हुए आप पायलेट केबिन से बाहर आयें। यात्रियों में अफरा-तफरी मच जायेगी। बहूत धमाल मचेगा।
5- सीट के नीचे मूंगफली और केले के छिलके बिखेर दीजिये। एयरहोस्टेस नाराज हो, तो कह दीजिये जी मेरा दम घुट रहा अननेचुरल माहौल में। रेल यात्राओं ने मुझे इस कदर कूड़ा-फ्रेंडली बना दिया है कि अगर आसपास कूड़ा न हो, तो मुझे शक होने लगता है कि मैं इंडिया में नहीं हूं, किसी फारेन कंट्री में हूं। फारेन कंट्री की सुनकर मुझे टेंशन होने लगता है और मेरा दम घुटने लगता है।
आपका दम घुटने से बचाने के लिए एयरहोस्टेस खुद आपके साथ कूड़ा फैलायेंगी।
कित्ता धमाल होगा ना।
आलोक पुराणिक मोबाइल- 09810018799
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10 comments:
हम तो पहले यही समझे थे की ये कोर्स पायलटो के लिये है फ़िर पता चला कि यात्रियो के लिये है
भाइ ले जाने वाले सामान की लिस्ट भी लगे हाथो थमा देते कि कितने केले के छिलके कितनी मूंगफ़ली के छिलके कितनी रद्दी कागज,और टूते कुल्हड चाहिये
मेरे साथ समस्या दुसरी है. मुझे खिड़की खोल कर ताजी हवा खाते हुए यात्रा करने का शौक है. साथ ही हाथ बाहर निकाल सकूँ तो क्या बात है.
पान के कुछ बीड़े साथ मे बंधवा कर ही प्लेन की तरफ़ रुसखती करें। जैसे ही एयर होस्टेज को अपनी तरफ़ आते देखें, दन्न से एक पान निकालें और मुँह मे सहेजे। कल्लू की भैसिंया कि तरह जुगाली करें, जब मुँह मे काफी माल मसाला इकट्ठा हो जाए( मतलब बोलने लायक नही रहें तब एयर होस्टेज को बुलाकर, अपनी सारी परेशानिया सिलसिलेवार बताएं।
पड़ोसी से भी राजस्थान की गुर्जर समस्या पर बहस करें। अगर पड़ोसन लड़की है तो तुरन्त अगले स्टाप पर उतर जाएं, अपनी टिकट हमें टिकाएं, आगे की यात्रा हम करेंगे।
मुस्कान ला दी आपने हमारे चेहरे पर, शुक्रिया।
और हां जीतू भाई , ये बताओ सबै काम आप कर लोगे तो हम लोगन का करिहै। अरे कौनो काम हमरे लिए भी छोड़ब।
उ बाजू वाली सीट की मेहरारु खातिर हम कर लैहे सफ़र
बीच बीच मे घबराने का नाटक करें (एयर होस्टेज का सानिध्य बना रहेगा) लेकिन ये फार्मूला एयर इन्डिया या इन्डियन पर लागू नही होगा, नही तो आपको मातृत्व फीलिंग हो सकती है, एयरहोस्टेज है ही इत्ती बुजुर्ग।
बीच बीच मे खड़े हो जाएं, उल्टी आने का नाटक करें, पड़ोसी को बोले खिड़की खोले, उल्टी करनी है, जाहिर है वो नही खोल सकेगा, बस फिर खड़े हो जाएं और ऐलान करें कि उल्टी करनी है, लोगो पर गिरते पड़ते, दूर वाले बाथरुम तक जाएं। फिर मजा देखें। पूरे हवाई जहाज मे सवार यात्रियों की गालियों का पुण्य मिलेगा। एयर होस्टेज आपको अजीब नज़रों से देखेगी सो अलग।
सर जी
चेन खींचने जैसी बेसिक व्यवस्था नहीं है इसकी लिखित शिकायत करें. आठ घंटे की देरी हो गई है, नहाने के लिए बाल्टी और मग्गे की माँग भी करें, आखिर काम से मुंबई जा रहे हैं, हुलिया ठीक होना चाहिए.
अनामदास
बादलों के बीच उड़ते विभिन्न नजारों को जी-भर देखने, कैमरे में कैद करने के लिए कुछ मिनट वहीं गाड़ी(हवाई जहाज) खड़ी करने की जिद कर सकते हैं या थोड़ा और नीचे चलो या थोड़ा ऊपर से चलो की भी जायज मांग कर सकते हैं।
बहुत खूब गुरु जी, जिस दिन हवाईयात्रा पर जाएंगे उस दिन आपका कोर्स काम आएगा।
पर आपके टिप्स आजमाने पर जूते खाने का खतरा भी है।
अपनी सीट पर बैठे बैठे जोर जोर से कवितायें पढ़े और कोई मना करे तो कहिये कि बम्बई में कवि सम्मेलन में बुलाया गया हूँ, उसी की प्रेक्टीस कर रहा हूँ. हवाई जहाज से तो कोई श्रोता ऊठकर भाग भी नहीं सकता. ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगा. :)
इन सलाहों पर अमल जहाज उड़ने केबाद ही शुरू करें नहीं तो चढ़ने ही न दिए जाओगे।
पैसेंजर लिस्ट ध्यान से देखें अगर समीर नाम का कोई व्यकित सफर कर रहा हो तो ईयर प्लग जरूर ले लें।
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