आलोक पुराणिक
शुक्र चांद की सोहबत में चमक रहा था, इस धांसू खगोलीय कांड को बच्चों को समझाने की कोशिश कर रहा था।

बच्चो देखो समझो, वह छोटा सा शुक्र है और उस बड़े को तुम जानते हो –चांद। दोनों चमक रहे हैं, पता है, इसका कारण क्या है-मैंने बातचीत शुरु की।
जी कारण साफ है कि बड़े बास के साथ जो भी अटैच हो लेगा, वह चमक ही जायेगा। बास का ड्राइवर भी चमाचम चमकता है। बास का खास हमेशा चमकता है। बड़े के साथ अटैच हो लो, चमक खुद –ब-खुद आ लेगी। सिंपल कारण है, आपको क्यों नहीं समझ में आ रहा है-एक बच्चे ने कहा।
बेटा बात को समझो। इस मसले को ऐसे मत देखो, शुक्र भी एक ग्रह है। चंद्रमा भी एक ग्रह है। दोनों ही ग्रह हैं। यूं दोनों का ही स्टेटस सेम सा है-मैंने बच्चे को समझाया।
जी दोनों ही ग्रह हैं, माना। पर आप यह भी समझिये कि हमारे परिचय में दो दरोगा हैं। एक दरोगाजी चौराहे पर तैनात हैं और एक आबकारी मंत्री के साथ अटैच हैं। रोज अख़बार में फोटू किसका चमकता है, आबकारी मंत्री वाले दरोगाजी का, रोज नये-नये ठेकों का उद्घाटन करते मंत्रीजी के साथ-बच्चे ने साफ किया।
नहीं तुम बात नहीं
समझ रहे हो, दरोगाजी का मामला दूसरा है। ग्रहों का मामला दूसरा है, वहां दूसरे सिद्धांत लागू होते हैं-मैंने समझाने की कोशिश की।सिद्धांत सब तरफ एक जैसे ही काम करते हैं। अच्छा बताओ इत्ते बड़े-बड़े ग्रह हैं वृहस्पति, शनि ये क्यों नहीं चंद्रमा के साथ चमकते हुए दिखते, इसलिए कि ये चांद से करीबी सैटिंग नहीं साध पाते । शुक्र ने साध ली, ये जो चमक है, यह चांद की चमचागिरी की चमक है-बच्चा तर्क कर रहा है।
नहीं तुम सौर –मंडल के सिद्धांत को समझने की कोशिश करो। इतने सारे ग्रह हैं, हरेक का रास्ता अलग-अलग है-मैंने उसे सौर-सिद्धांत समझाने की कोशिश की।
राइट, सबके रास्ते अलग हैं। जो बास के साथ नहीं आयेगा, उसको कोई नहीं पूछेगा। दूसरी तरफ जो ग्रह चांद तो छोड़ो, शुक्र ग्रह के करीब भी आ जाता, उसका फोटू छप जाता-बच्चे ने आगे फिर समझाया। छोड़ो, ये बताओ कि इस खगोलीय कांड से तुमने क्या वैज्ञानिक तथ्य समझे-मैंने फाइनली पूछने की कोशिश कर रहा हूं।
जी यहीं चमकने
के लिए बास की या बास के खास के साथ सैटिंग जमानी चाहिए, वरना श्रद्धांजलि तक में फोटू ना आयेगा-बच्चा फाइनली बता रहा है।आप ही बताइए, बच्चे को सौर सिद्धांत कैसे समझाया जाये।
आलोक पुराणिक मोबाइल-0-9810018799
7 comments:
गुरुजी आपके इन शिष्यो को देख कर भारत के उज्वल भविष्य की तसवीर साफ़ साफ़ दिखाई देने लगती है
आने वाले समय मे भारत को नेताओ की कोई कमी नही रहेगी :)
ये क्या सर कुछ नया लिखते चमचई से चमक का सिद्धांत तो बहुत्तेही पुरानो है ! वैसे सही किया आप इस पर लिख दिये सिद्धांतों को भी नित नई व्याख्याओं विश्लेषणों की जरूरत पडे है न ! स्माइली सहित
नीलिमा
भैय्या , इ जौन बच्चे का उल्लेख आप किए हो ना, ओका पता हमका दई दौ, गुरु बना लइहैंहम उनका!
हम तो खुद ही टिपिया टिपिया कर आपके साथ इसीलिये इतने समय से चिपके हैं कि कुछ चमक जायें. आप की क्लास के बच्चे बहुत होनहार हैं, उन्हें मेरा शत शत नमन.
-चमचई जिन्दाबाद. :)
वैधानिक चेत - यह टेक्नीकल है.
आपने शुक्र और चांद को ग्रह बताया है. जबकि, चांद उपग्रह है. शुक्र ग्रह है.
अर्थ यह है कि चमक आने के लिये अगर आप बॉस के करीबी नहीं है तो बॉस के सेक्रेटरी के करीबी बन जाइये. आप पर चैरीब्लॉसम की साइन स्वत: आ जायेगी!
गुरुजी, जामिया में पढ़ाते वक्त न तो आपने ऐसा कुछ पढ़ाया और न ही बैच में ऐसे शिष्य हम लोग थे. आज-कल कहां पढ़ाने लगे हैं, जहां शिष्य आपसे इस तरह बात करते हैं. क्या खूब लिखा है और लिख रहे हैं. देखना गुरुजी आपसे भी कोई ना चिपक जाए, वह भी चमक जाएगा.
समीरजी आपसे चिपक गए हैं तो हम उन्हीं से चिपक जाते हैं। इनडायरेक्ट आपकी चमक मिल ही जाएगी।
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