Saturday, June 16, 2007

अब सस्ते में हारेंगे उर्फ हिट विकेटी-क्रिकेटीय फंडे

अब सस्ते में हारेंगे उर्फ हिट विकेटीय-क्रिकेटीय फंडे
आलोक पुराणिक
चंदू बोर्डे भूतपूर्व बैट्समैन जब पुणे स्थित अपने घर में पड़ोस के बूढ़ों के साथ जोड़ों के दर्द और धूप में चलने पर कमर में होने वाले दर्द की चर्चा कर रहे थे, तब ही इंडियन टीम उनके हवाले कर दी गयी।
लो जी अब जिन्हे खुद चलने में दिक्कत है, वह पूरी टीम को दौड़ायेंगे।
ग्राहम फोर्ड ने जब से मना की, तब से अपन तो बहुत खुश हैं राष्ट्रहित में। बोर्डे साहब के आने के कई फायदे हैं-
1-जी अब हारना सस्ता हो जायेगा। फोर्ड साहब मोटी रकम लेते, शायद पौंड में लेते। लो जी पौंड देकर हारते, अब सिर्फ रुपये देकर ही हारने के इंतजाम हो जायेंगे।
2-जब कोच विदेशी थे, तो कई लोगों ने आरोप लगाया था कि इंडिया की हार में विदेशी हाथ है। अब वह लफड़ा भी खत्म। हार में सिर्फ स्वदेशी हाथ होगा।
3-रवि शास्त्री, मदनलाल, कपिल देव को तसल्ली होनी चाहिए कि उन्हे 2050 में इंडियन क्रिकेट टीम का कोच बना दिया जायेगा। 2050 तक नहीं बने, तो 2080 तक तो बन ही जायेंगे।
4-सचिन तेंदुलकर को थोड़ी निराशा जरुर होगी, कोच बनने का उनका नंबर सन् 2050 तक नहीं आ पायेगा।
5-हां, इरफान पठान को तो अब कोच बनने का ख्वाब छोड़ देना चाहिए, और फिर सन् 2150 में कोच बन भी गये, तो क्या हो लेगा।
वैसे इस खाकसार का सुझाव है कि चंदू बोर्डे साहब की पीढ़ी के बंदों को सीधे टीम में खिलाना चाहिए। क्या कहा, इस उम्र में खेल नहीं पायेंगे। तो इस उम्र में अभी वाले ही कहां खेल पा रहे हैं।
चंदू बोर्डे के उम्र के बंदों को टीम में रखने के एक फायदा यह होगा कि ये ज्यादा टाइम और ध्यान खेल पर लगायेंगे, शायद इनसे टी-शर्ट, कैमरे, बनियान, साइकिल बिकवाने के लिए स्पांसर नहीं आयेंगे।
पूरी टीम ही कुछ इस टाइप की हो, सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, अजित वाडेकर, श्रीकांत, सैयद किरमानी, बिशन सिंह बेदी, कीर्ति आजाद और जी नवजोत सिंह सिद्धू।
वैसे सिद्धू साहब के दूसरे इस्तेमाल भी हैं, प्रतिद्वंद्वी टीम को धमका दिया जाये कि अगर जीतने की जुर्रत की, तो एक कमरे में बंद करके बीस दिन सिद्धूजी के लतीफे सुनने पड़ेंगे।
डराने का काम सिद्धू साहब से अच्छा कौन कर सकता है।
और जो सिद्धूजी के लतीफों से भी ना डरे, उसे किसी भी चीज से नहीं डराया जा सकता।

आलोक पुराणिक
मोबाइल-9810018799

3 comments:

Arun Arora said...

नही जी अब विदेशी हाथ की संभावनाये बढ गई है इस तरह की डीलिंग मे हमारा मुकाबला विदेशी कहा कर पाते है
लेकिन इस से देश मे पैसा आने की काफ़ी संभावनाये बढ गई है

ePandit said...

चंदू बोर्डे के उम्र के बंदों को टीम में रखने के एक फायदा यह होगा कि ये ज्यादा टाइम और ध्यान खेल पर लगायेंगे, शायद इनसे टी-शर्ट, कैमरे, बनियान, साइकिल बिकवाने के लिए स्पांसर नहीं आयेंगे।

हा हा हा!!!

sanjay patel said...

एक और सहुलियत है बोर्डे साहब की नियुक्ति से...जीत गये तो कहेंगे ये देखिये अनुभव काम आया न...और हार गये..? हम भारतीय संस्कारों की दुहाई दे डालेंगे..थक गये हैं बेचारे..घर में बैठे बैठे भी यूं ही बोर हो रहे थे ..देखो पवार साहब कितने भले हैं..बडे़-बूढों का कितना ख़याल रखते हैं..खेल में हार-वार तो चलती ही रहती है.अब क्या बोर्डे साहब इस उम्र में मैदान पर उतरेंगे..हद करते हो यार ...इज़्ज़त न दो चलेगा..बेइज़्ज़ती तो मत करो यार.
joglikhisanjaypatelki.blogspot.com