Sunday, April 7, 2013
उफ्फ, 180 सेकंड्स का वेट
मर्डर का सिक्सर
Saturday, April 6, 2013
फ्लेक्सिबल फिटनेस है जी
आलोक पुराणिक
आईपीएल मैच में कुछ प्लेयर ऐसे सरसरायमान होकर दौड़ रहे हैं कि यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि कुछ दिन पहले देश के लिए खेलने के वक्त ये अनफिट हो रखे थे।
आईपीएल के लिए फिट हैं, देश के लिए फिट नहीं हैं।
ऐसा तक हो लिया है कि बंदा आईपीएल तक के लिए फिट ना है, पर इश्तिहारों की माडलिंग के लिए एकदम फिट है टनाटन। खेंचे जाओ फोटू, दिये जाओ नोट। मैचों में जो कभी-कभार खेलता दिखता है प्लेयर, वह इश्तिहारों में 24 बाई 7 खेल मचाये हुए है।
फिटनेस अब फ्लेक्सिबल हो रही है।
एक ऐसे फ्लेक्सिबल फिट प्लेयर को डांटा मैंने, तो उसने मुझे उलट-डांटा-कुछ पता तो है ना आपको। तिहाड़ जेल में बंद हैं कई नेता, वहां कुछ काम करने को कहो उनसे,तो कहते हैं कि फिट नहीं हैं, पर मुख्यमंत्री-मंत्री बनने को एकदम फिटमफिट मानें खुद को।
मैंने प्लेयर को बताया-देखो मुख्यमंत्री और मंत्रीगिरी में कुछ खास करना नहीं होता है, उसके लिए तो मरणशैय्या पर भी फिट हैं। पर तिहाड़ जेल में बिस्कुट वगैरह बनाने के काम में तो मेहनत लगती है, इसलिए उसके लिए फिट ना हैं। नेता फ्लेक्सिबल फिटनेस दिखाये, तो समझ में आता है। पर तुम प्लेयर लोग इंडियन टीम के लिए अनफिट हो, आईपीएल के लिए फिट हो। यह बात समझ ना आती।
प्लेयर और नाराज हो गया, बोला-खबरदार जो आपने मुझे नेताओं से कंपेयर किया। सिर्फ फ्लेक्सिबल फिटनेस के आधार पर हमें नेताओं से कंपेयर ना किया जा सकता।
मैंने आगे कहा उससे-अरे फ्लेक्सिबल फिटनेस वाले नेता और प्लेयर एक और मामले में एक जैसे हैं, तुम भी तमाम आइटम बेचो, नेता भी मुल्क को बेचे डाल रहे हैं।
आईपीएल प्लेयर गोरे होने की क्रीम का इश्तिहार करते हुए बोला-ना हम तो जो भी बेचते हैं, उसके बारे में सब कुछ बता कर बेचते हैं। नेता तो बेचे ही जा रहे हैं,बता कुछ ना रहे। बताओ, एक भी सौदे के बारे में किसी नेता ने बताओ हो कुछ भी।
बात तो आईपीएल प्लेयर सही ही कह रहा है।
नेता लोग प्लीज, बोल-बता के बेचो, प्लेयरों की तरह।
Wednesday, August 29, 2007
अब नये खोमचे www.alokpuranik.com पर
अब व्यंग्य की दुकान वहीं सजाने की तैयारी हो रही है।
मैथिलीजी (ब्लागवाणी वाले) और उनके पुत्र सीरिल ने इस खाकसार को वर्डप्रेस के कई गुर बताते हुए इस नये खोमचे को सैट किया है। तकनीकी बाधाएं कई तरह की थीं। कई तरह के बवाल और सवाल आये।
लगातार बार एक समस्या यह आ रही थी कि जो थीम सैट की जाती थी, वह अपने आप बदल जाती थी। जीतू भाई, काकेशजी ने सबने तरह-तरह की सलाह-मदद आफर की। पर पिराबलम साल्व नहीं हुई। वही होता रहा, जो थीम सैट करो, सुबह तक बदल जाती थी।
मैथिलीजी कई बार परेशान हुए। बोले-बीसियों वैबसाइट बना लीं, पर ऐसी बेगैरत, बेहया वैबसाइट नहीं देखी, जो कुत्ते की दुम तरह टेढ़ी की की टेढ़ी हो जाती है। मैंने बताया कि मेरी सोहबत का असर है। एक दिन शायद कुछ बहुत ठोंक-पीट हुई है, तो शायद यह अब ठीक काम करे।
अब ठीक काम करे, इसी उम्मीद पर खोमचा शिफ्ट हो रहा है।
मैथिलीजी और उनके पुत्र सिरिल को अभी फाइनल वाला धन्यवाद देना निरर्थक यूं है, कि अभी उनका पीछा छोड़ा नहीं है मैंने। दरअसल यह सब किया -धरा उन्ही का है। तरह-तरह के बवाल , सवाल उनके सामने रोज रख रहा हूं। और वे पूरे धैर्य से उनके जवाब तलाश रहे हैं।(मैथिलीजी के दफ्तर में परम धांसू पेस्ट्री और चाय के साथ तरह-तरह के बवाल-सवाल निपटाये जाते हैं, ब्लागर बंधु इसे नोट कर लें)
एक बात और, मैंने शनिवार और रविवार को मैंने नोट किया कि लोग शायद ज्यादा पढ़ने के मूड में नहीं रहते और खास तौर पर रविवार को तो बहुत कम लोग ब्लाग पढ़ने आते हैं। लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए नया खोमचा संडे को बंद टाइप रहेगा। मतलब संडे को पोस्ट अपडेट नहीं होगी। बाकी छह दिन मंडे टू सेटर्ड सुबह छह बजे तक अपना शटर खुल जायेगा, अगर टेकनीकल पेंच नहीं रहे तो। इस वैबसाइट में जो भी कुछ अच्छा लगे, उसके लिए धन्यवाद, क्रेडिट मैथिलीजी और उनके पुत्र सिरिल को प्रेषित कीजियेगा।
हां जो कुछ चिरकुटात्मक, अगड़म-बगड़म है, उस पर मेरा और सिर्फ मेरा कापीराइट मानकर मुझे बतायें।
सादर
प्लीज नये खोमचे पर रोज आयें।
Tuesday, August 28, 2007
भगीरथ जेल में
(अब तक आपने पढ़ा। भगीरथ भारतवर्ष के जल
देखिये, ये क्या
जी बगैर
भगीरथ मुनि गु्स्से
कई बरसों तक
मां गंगा द्वितीय
जिस पहाड़
वह फार्महाऊस पानी बेचने वाली
गंगा द्वितीय जिस
तब तक
बिसलेरी, खेंचलेरी, खालेरी, पालेरी, पचालेरी, फिनफिन, शिनशिन,छीनछीन
हर
पर भगीरथ
किसी
पर..........।
सारी कंपनियों के बंदों ने
फिर ...........भगीरथ गिरफ्तार
उन पर
1-
2- इस इलाके
3- भगीरथ ने विदेशों
4- पहाड़
5-
गिरफ्तार भगीरथ
लेटेस्ट
आलोक पुराणिक मोबाइल-09810018799
Monday, August 27, 2007
भगीरथजी मुनि की रेती पर उर्फ भगीरथ -गंगा नवकथा
आलोक पुराणिक
गंगा
मुनि की रेती पर
छुटभैये
पुलिस वालों की भगीरथ
नगरपालिका वालों ने
भगीरथ ने कहा-साधना
नगरपालिका वालों ने कहा-महाराज परमीशन का यही
भगीरथ ने कहा-मैं
जी
देखिये मैं साधु-संत आदमी हूं, मेरे
महाराज
भगीरथ यह सुनकर
भगीरथ
पर माडलिंग क्या होती है वत्स-भगीरथ ने पूछा।
हा, हा, हा, हा हर
देखिये मैं जनसेवा
गुरु आपका
(जारी कल भी)
आलोक पुराणिक मोबाइल-09810018799
Sunday, August 26, 2007
ज्यादा पैसे लेकर भी
आलोक पुराणिक
इ
अपना मानना है कि इंडिया की टीम ऐसे नहीं हारी, उसने अपने ऊपर लगे आरोप का जवाब दिया है। इंडिया की टीम पर आरोप लगता रहता है कि उसके खिलाडी सिर्फ माडलिंग, इश्तिहार पैसे के लिए खेलते हैं। जैसे पवार साहब ने पैसे बढाये, टीम ने हारकर दिखा दिया, लो हम पैसे के लिए भी नहीं खेलते। ज्यादा पैसे लेकर भी हम हार सकते हैं।
वैसे मुझे लगता है कि कपिल देव वाली क्रिकेट लीग का भविष्य एकदम चकाचक है। अगर उसके खिलाडियों को ज्यादा पैसा मिलता है, तो उनके मजे हैं ही। और अगर उसके खिलाडियों को पवार साहब के खिलाडियों से कम पैसा मिलता है, तो कपिल के खिलाडी कह सकते हैं कि हम बेहतर हैं, क्योंकि हम सस्ते में हारते हैं। सो विदेशों में हारने का पहला हक उनकी टीम का बनता है।
मुझे लगता है कि कुछ समय बाद, चार-छह क्रिकेट लीग टाइप संस्थाएं हो जायेंगी, बडी बमचक रहेगी। हर क्रिकेट संस्था वाला अपनी टीम की मार्केटिंग करेगी-रस्ते का माल सस्ते में, हम से हरवाईये, एकदम सस्ते में काम चलाईये। एक मैच हारने की फीस में दो मैच हारेंगे, एक पे एक फ्री।
दिल्ली
इधर सीन
जो मजा पहले पालिटिक्स की जूतम-लात में आता था, अब क्रिकेट की बातों में आता है।
शरद पवार कह रहे हैं कि जो खिलाडी कपिल
खैर, पब्लिक
सबसे ज्यादा आफत विज्ञापन बनाने वालों की होगी। पता लगा कि कोई कोल्ड ड्रिंक वाला पवारजी वाले प्लेयर को पिलाता रह गया और सेंचुरी ठोंक दी कपिलदेव वाले प्लेयर ने।
एक
मैंने कहा-इश्तिहार
वह बुरा सा मान गया-बोला-जी और बेवकूफ बना रहे हैं, आप उन्हे नहीं कहते। सिर्फ हमें कहते हो।
बात में दम है जी। जब सभी बना रहे हैं,तो सिर्फ इश्तिहार वालों से ही क्यों कहा जाये।
आलोक पुराणिक